यशवंत का योगदान, 15 हजार बेटियां हो गई ग्रेजुएट
संजय शर्मा, इटखोरी (चतरा): कुमार साहब के नाम से क्षेत्र में मशहूर कुमार यशवंत नारायण ¨सह
संजय शर्मा, इटखोरी (चतरा): कुमार साहब के नाम से क्षेत्र में मशहूर कुमार यशवंत नारायण ¨सह का नाम यहां के शिक्षा जगत में किसी परिचय का मोहताज नहीं। एक दौर में नक्सल प्रभावित इटखोरी में महिला शिक्षा को लेकर परेशानी थी। इनकी पहल पर मैट्रिक और फिर स्नातक तक बेटियों की पढ़ाई का इंतजाम हुआ। आज यहां की 15 हजार बेटियां ग्रेजुएट हैं।
तब मुश्किल थी बेटियों की पढ़ाई :
फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले कुमार साहब का शिक्षा से गहरा नाता सत्तर के दशक में जुड़ा था। उस वक्त क्षेत्र की बेटियां बमुश्किल से मिडिल स्कूल तक की पढ़ाई पूरी कर पाती थीं। बेटियों को हाई स्कूल में पढ़ाने के लिए उनके परिजन स सोचते भी नहीं पाते थे। महिला साक्षरता को ध्यान में रखते हुए इन्होंने इटखोरी में पदस्थापित कुछ अधिकारियों की बेटियों के साथ अपनी दो बेटी तराना ¨सह एवं लता ¨सह का नाम कृष्ण वल्लभ हाई स्कूल में लिखवाया। मकसद था कि दूसरी बेटियां, उनके भी प्रेरित हों। परिणाम सुखद रहा। दूसरे लोग भी प्रेरित होकर अपनी बेटियों को हाई स्कूल तक की शिक्षा दिलाने के लिए स्कूल भेजने लगे।
महाविद्यालय की स्थापना
करीब दो दशक तक अन्य सामाजिक क्षेत्रों में काम करते रहने के दौरान नब्बे के दशक में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की जयंती के दिन 3 दिसंबर 1985 को इन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इटखोरी में भद्रकाली महाविद्यालय की स्थापना की। उस वक्त क्षेत्र में कोई भी महाविद्यालय नहीं था। उच्च शिक्षा के लिए विद्यार्थियों को चतरा, हजारीबाग तथा झुमरी तिलैया के कॉलेजों में जाना पड़ता था। लड़के तो चले जाते थे, बेटियां मन मसोस कर रह जाती थीं। परेशानी को देखते हुए अभिभावकों की अनुमति नहीं मिलती। यह बात कुमार साहब को खलती थी। तब उन्होंने बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाने का संकल्प ले क्षेत्र के प्रबुद्ध जनों के सहयोग से यहां के इंदिरा क्लब नामक एक भवन में कॉलेज का संचालन शुरू करवाया। भद्रकाली महाविद्यालय के संचालन में कई बाधाएं उनके सामने आई। लेकिन वे लगातार अपने अभियान में जुटे रहे। लोगों से सहयोग लिया, आज तीन दशक पहले बोया गया इनके द्वारा उच्च शिक्षा का बीज आज विशाल बरगद का आकार ले चुका है। इटखोरी, मयूरहंड, गिद्धौर, पत्थलगडा, कान्हाचट्टी एवं पड़ोस के हजारीबाग जिला के चौपारण प्रखंड की बेटियां ग्रेजुएट तक की पढ़ाई पूरी कर रही है। लाभ आर्थिक तंगी के चलते बाहर जा कर पढ़ाई नहीं कर पाने वाले लड़के भी उठा रहे हैं।
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कॉलेज खुलने के पहले आते हैं, बंद होने के बाद जाते हैं
बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाने की सोच के साथ भद्रकाली महाविद्यालय की स्थापना करने वाले कुमार यशवंत नारायण ¨सह बेटियों के संरक्षण के प्रति भी काफी समर्पित रहे हैं। आज नब्बे वर्ष से अधिक उम्र हो जाने के बाद भी नियमित रूप से वे महाविद्यालय जाते हैं। अनुशासन की बागडोर खुद अपने हाथों में रखते हैं। महाविद्यालय का संचालन शुरू होने से पहले कुमार साहब कॉलेज पहुंच जाते हैं। फिर कॉलेज में पढ़ाई समाप्त होने और बेटियों को घर विदा करने के बाद ही वे कॉलेज से अपने घर वापस आते हैं।