लापता बेटे की खबर मिले तो मां को मिल जाए 'अमृत'
पेटरवार चमोली हादसे के तीन दिन बाद भी पेटरवार प्रखंड के जाराडीह निवासी अमृत कुमार
पेटरवार : चमोली हादसे के तीन दिन बाद भी पेटरवार प्रखंड के जाराडीह निवासी अमृत कुमार का कुछ भी पता नहीं है। हालांकि, उसके साथ काम कर रहे गांव के ही युवक ने यह जरूर बताया कि जल प्रलय के वक्त अमृत नीचे ही था। इस खबर से विधवा मां और गर्भवती पत्नी बेसुध पड़ गई हैं। उनके कान बस यही सुनने को तरस रहे हैं कि अमृत सलामत है। हालांकि, मन अनहोनी का भय उन्हें डरा रहा है। जल प्रलय के बाद बेटे का फोन क्या स्विच्ड ऑफ हुआ घर में चूल्हे बुझे पड़े हैं। स्वजनों के मुंह में निवाला नहीं जा रहा है।
अमृत के लापता की खबर पर गोमिया विधायक डॉ. लंबोदर महतो, पूर्व विधायक योगेंद्र महतो बीडीओ शैलेंद्र चौरसिया अमृत के परिजनों से मिलकर ढांढस बंधाया एवं हर स्तर पर सहयोग करने का आश्वासन दिया। श्रम विभाग बोकारो की ओर से भी मामले की पड़ताल की जा रही है, एवं सहयोग के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। अमृत के लापता होने के सूचना मिलते ही बड़ा भाई चरण महतो हरियाणा से चमोली जिले के घटनास्थल पर पहुंचे हैं एवं अपने भाई अमृत को खोजबीन में जुटे हुए हैं। चरण महतो ने बताया कि स्थिति हृदय विदारक है।
घटनास्थल पर लोग चालीस-पचास फीट नीचे दबे हुए हैं, भगवान करें कि लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके। बताते चलें कि पेटरवार के जाराडीह गांव से तीन युवक अमृत कुमार, गुरुचरण महतो एवं टिकेंद्र महतो चमोली जिले में एनपीटीसी के डेम निर्माण कार्य में मजदूरी कर रहे थे। बीते सात फरवरी को चमोली में आये आपदा के बाद अमृत कुमार से परिजनों का दूरभाष पर संपर्क नहीं हो पाया है। बीते सात फरवरी को ही सुबह सात बजे अमृत से परिजनों की दूरभाष पर अंतिम बातचीत हुई थी। इसके बाद से अमृत का परिजनों से कोई बातचीत नही हो सकी है। स्वजनों ने बताया कि अमृत की शादी बीते साल मार्च में कसमार के बरईखुर्द गांव में हुई थी। बीते मार्च में ही वह घर आया था। अभी बीते 13 अक्टूबर को वापस काम पर उत्तराखंड के चमोली चला गया। जहां पर वह कंपनी के कंस्ट्रक्शन साइट पर सिविल ़फोरमैन के पद पर कार्य कर रहा था। बीते सात फरवरी को चमोली में आपदा के बाद स्वजनों के संपर्क किये जाने पर फोन ऑफ मिल रहा है। अमृत की सकुशलता को लेकर पूरा पेटरवार प्रार्थना कर रहा है।