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विस्थापितों ने छह घंटे बंद करा दिया कारो परियोजना का काम

संवाद सहयोगी करगली (बेरमो) सीसीएल बीएंडके प्रक्षेत्र की कारो परियोजना का काम स्थानीय ि

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 09:32 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 06:16 AM (IST)
विस्थापितों ने छह घंटे बंद करा दिया कारो परियोजना का काम
विस्थापितों ने छह घंटे बंद करा दिया कारो परियोजना का काम

संवाद सहयोगी, करगली (बेरमो) :

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सीसीएल बीएंडके प्रक्षेत्र की कारो परियोजना का काम स्थानीय विस्थापितों ने बुधवार को लगभग छह घंटे तक बंद करा दिया। माइंस के विस्तार के लिए प्रबंधन की ओर से कारो खेल मैदान की कटाई किए जाने की सूचना पाकर दर्जनों महिला-पुरुष पहुंचे। और मशीनों व ट्रकों को रोककर विरोध जताया। विस्थापितों ने कहा कि सीसीएल प्रबंधन कोयला उत्पादन की होड़ में इस कदर मग्न है कि विस्थापितों की सुविधाओं का जरा सा भी ख्याल नहीं रख रहा। कारो माइंस के विस्तार के लिए पुराने तालाब को काटकर उसके अस्तित्व को समाप्त कर दिया। अब खेल मैदान की कटाई कर इसके अस्तित्व को समाप्त करना चाह रहा है, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रबंधन सिर्फ कोयला उत्पादन करने की दिशा में कार्य कर रहा है, लेकिन विस्थापितों की समस्याओं का समाधान करने को पहल नहीं कर रहा है। कहा कि सीसीएल प्रबंधन कारो बस्ती के विस्थापितों को जमीन के एवज नौकरी व मुआवजा उपलब्ध कराते हुए जल्द से जल्द अंयत्र बसाए। क्योंकि आबादी माइंस करीब आने से डर के साए में जीने को विवश हैं। उपस्थित नगर परिषद अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह एवं इंटक नेता महेंद्र विश्वकर्मा ने कहा कि सीसीएल प्रबंधन विस्थापितों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए माइंस का विस्तार करे। सीसीएल प्रबंधन यहां के विस्थापितों के बच्चों को खेलने के लिए अन्य मैदान उपलब्ध कराए, उसके बाद माइंस के समीप के मैदान की कटाई कराए। साथ ही नए तालाब को व्यवस्थित तरीके से बनवाए, जिससे लोगों को सहूलियत हो। पीओ ने कहा कि कारो तालाब को सुंदरीकरण कराकर उसे और भी बेहतर बनवाया जाएगा। ताकि विस्थापितों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। साथ ही खेल मैदान की तबतक कटाई नहीं कराई जाएगी, जबतक कि विस्थापितों के बच्चों के खेलने के लिए वैकल्पिक ग्राउंड की व्यवस्था न कर दी जाए। जल्द ही सभी लोगों आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराते हुए पुनर्वासित किया जाएगा। मौके पर वार्ड पार्षद विशाखा देवी, पूर्व पार्षद आशोक अग्रवाल, शरण सिंह राणा, विस्थापितों में शशि सिंह, पप्पू कुमार, रामचरण तुरी, लता देवी, चीना देवी, नैना देवी, पिकू देवी, झानो देवी, लता देवी, रतना देवी, प्रतिमा देवी, चिता देवी, मेहलाल गंझू, आबिद हुसैन, विजय राम, चंदन राम आदि मौजूद थे।


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