इस बार नहीं होगा संथालियों का धर्मसम्मेलन
संवाद सहयोगी ललपनिया (बेरमो) ललपनिया स्थित लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ में प्रत्येक वर्ष काि
संवाद सहयोगी, ललपनिया (बेरमो) : ललपनिया स्थित लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ में प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा में होने वाले संथालियों के अंतरराष्ट्रीय धर्मसम्मेलन पर इस बार कोरोना की नजर लग गई है। इस दफा यहां 29 व 30 नवंबर को दो दिवसीय 20वां सरना धर्म महासम्मेलन होने वाला था, जिसे शुक्रवार को ललपनिया स्थित टीटीपीएस के श्यामली अतिथि भवन में प्रशासन व धोरोमगढ़ समिति की बैठक में स्थगित करने का निर्णय लिया गया। साथ ही लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ में बाहरी श्रद्धालुओं के आगमन पर रोक लगा दी गई।
एसडीएम अनंत कुमार ने कहा कि 29 व 30 नवंबर को होने वाले दो दिवसीय सरना धर्म महासम्मेलन के आयोजन पर सरकारी निर्देश पर रोक लगा दी गई है। धोरोमगढ़ समिति के अध्यक्ष बबुली सोरेन ने श्रद्धालुओं से अपील की कि कोरोना के मद्देनजर कार्तिक पूर्णिमा के दिन सभी लोग अपने-अपने घर में ही पूजा करें।
बैठक में एसडीपीओ सतीशचंद्र झा, टीटीपीएस के जीएम अनिल कुमार शर्मा, गोमिया के बीडीओ कपिल कुमार, सीओ ओमप्रकाश मंडल, पुलिस इंस्पेक्टर सुजीत कुमार, धोरोमगढ़ समिति के उपाध्यक्ष बाहाराम मांझी, कार्यालय सचिव जयराम हांसदा, सदस्य सतीशचंद्र मुर्मू, रामचंद्र हांसदा, दशरथ मार्डी, बुधन सोरेन, मछला मुर्मू आदि उपस्थित थे।
--दो दिवसीय पूजन महोत्सव में तब्दील : संथाली आदिवासियों का सबसे बड़ा धर्मस्थल लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ बेरमो अनुमंडल के ललपनिया में है, जहां प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय धर्म महासम्मेलन होता है। इस वर्ष कोरोना के कारण दो दिवसीय पूजन महोत्सव में तब्दील कर दिया गया है। इसे सादगी से मनाया जाएगा।
-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी नहीं होगा आयोजन : धोरोमगढ़ समिति के अध्यक्ष बबुली सोरेन ने बताया कि कोरोना से बचाव के मद्देनजर इस बार धर्म महासम्मेलन का आयोजन नहीं किया जाएगा। सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप सादगी से दो दिवसीय पूजन महोत्सव मनाया जाएगा। किसी प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे। दुकान व स्टॉल लगाने की अनुमति नहीं है।
-नहीं होगा धर्मगुरुओं का जुटान : धोरोमगढ़ समिति के सचिव लोबिन मुर्मू ने बताया कि ललपनिया स्थित संथालियों के धर्मस्थल लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर इस बार धर्मगुरुओं का जुटान नहीं होगा। प्रवचन कार्यक्रम भी नहीं किया जाएगा। 29 व 30 नवंबर को केवल स्थानीय लोग व समिति के पदाधिकारी व सदस्य दोरबारी चट्टान स्थित मंदिर में सादगी से अपने आराध्य देव लुगूबुरु की पूजा-अर्चना करेंगे।