कोयले का संकट झेलते हुए भी टीटीपीएस ने बनाया कीर्तिमान
ललपनिया (बेरमो) कोयले का संकट झेलते हुए भी तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन (टीटीपीएस) ने विद्य
ललपनिया (बेरमो) : कोयले का संकट झेलते हुए भी तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन (टीटीपीएस) ने विद्युत उत्पादन में कीर्तिमान बनाया है। बेरमो अनुमंडल के ललपनिया में स्थापित झारखंड सरकार के इस महत्वपूर्ण विद्युत उत्पादक संयंत्र की यूनिट नंबर दो से लगभग डेढ़ साल बाद इन दिनों 180 मेगावाट से अधिक विद्युत उत्पादन हो रहा है। इस कारण कर्मचारियों व अधिकारियों में काफी हर्ष है। पिछले दो दिनों से यूनिट नंबर दो से 180 से 185 मेगावाट बिजली उत्पादन होने का सिलसिला जारी है। इस वजह से प्रबंधन का हौसला बुलंद हो गया है। हालांकि कोयले की कमी की चिता भी सता रही है।
इस बीच सीसीएल प्रबंधन ने एक बार फिर कोल डिस्पैच बंद करने की चेतावनी दे दी है। इधर, यूनिट नंबर दो से पिछले दो दिनों से बेहतर उत्पादन होने के साथ ही बंद पड़ी यूनिट नंबर एक भी दुरुस्त होकर उत्पादन के लिए तैयार हो चुकी है। जबकि कोयले की कमी के कारण उसे अबतक चालू नहीं किया जा सका है। प्रबंधन सूत्री के अनुसार यूनिट नंबर दो से 180-185 मेगावाट उत्पादन बरकरार रखने के लिए जितने लोड पर चलाया जा रहा है, उसके अनुरूप अधिक कोयले की जरूरत पड़ेगी। यूनिट नंबर दो से उत्पादन की गति और ज्यादा बढ़ाई जा सकती है। उसके लिए पर्याप्त कोयला स्टाक में नहीं है। प्रतिदिन साढ़े छह हजार मीट्रिक टन कोयले की आवश्यकता :
टीटीपीएस की दोनों यूनिट की विद्युत उत्पादन क्षमता 210-210 मेगावाट है। दोनों यूनिट से क्षमता के अनुरूप बिजली उत्पादन करने के लिए प्रतिदिन साढ़े छह हजार मीट्रिक टन कोयले की आवश्यकता है। जबकि पिछले छह माह से कोयला संकट के कारण मात्र एक ही यूनिट से उत्पादन किया जा रहा है। इस कारण झारखंड राज्य के विभिन्न क्षेत्रों को बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है। टीटीपीएस से उत्पादित बिजली झारखंड राज्य विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के माध्यम से राज्य की राजधानी रांची सहित गढ़वा, पलामू आदि में आपूर्ति की जाती है।
विगत छह माह से टीटीपीएस झेल रहा कोयला संकट :
झारखंड सरकार के विद्युत उपक्रम तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड (टीवीएनएल) के अधीन संचालित टीटीपीएस विगत छह माह से कोयला संकट झेल रहा है। बकाया राशि की मांग को लेकर बीते सात अप्रैल से सीसीएल की ओर से टीटीपीएस को कोयला आपूर्ति रोक दी गई थी। उसके बाद कोयले के अभाव में यूनिट नंबर एक को 24 जून को बंद कर दिया गया। उस यूनिट में मरम्मत का काम कराया जाने लगा। कुछ दिनों बाद मरम्मत का काम पूरा होने पर उस यूनिट को चालू किया गया था। बाद में कुछ तकनीकी गड़बड़ी आ जाने के कारण उसे पुन: बंद कर दिया गया। अब दुरुस्त होने के बावजूद कोयले के अभाव में उसे चालू नहीं किया गया है।
अप्रैल से पूर्व तक 900 करोड़ रुपये था सीसीएल का बकाया :
अप्रैल माह से पूर्व तक टीटीपीएस में कोयला आपूर्ति के एवज सीसीएल का बकाया लगभग 900 करोड़ रुपये हो गया था। सीसीएल ने बकाया भुगतान नहीं होने पर टीटीपीएस को सात अप्रैल से कोयला देना बंद कर दिया था। तब से ही टीटीपीएस में कोयला संकट गहराने लगा। हालांकि कोयले की आपूर्ति बंद किए जाने के बाद टीवीएनएल प्रबंधन ने सीसीएल को 50 करोड़ रुपये व 20 करोड़ रुपये दो किस्तों में कुल 70 करोड़ रुपये भुगतान किया था। तब जाकर सीसीएल प्रबंधन ने टीटीपीएस को एक रैक कोयला प्रतिदिन भेजना शुरू किया। नियमित रूप से कोयला नहीं मिलने के कारण टीटीपीएस में कोयला संकट अब भी बरकरार है।
जानकारी के अनुसार इस माह सितंबर में भी टीवीएनएल प्रबंधन ने कोयला आपूर्ति के एवज सीसीएल को 20 करोड़ रुपये भुगतान किया है। प्रबंधन ने सीसीएल को जून माह से अब तक लगभग 70 करोड़ का भुगतान किया और कैरी टू कैश के तहत कोयला टीटीपीएस ले रहा था। इस माह भी 20 करोड़ का भुगतान किया है। इसके बाद लगभग 874 करोड़ बकाया सीसीएल का बचा था जो अब बढ़कर पुन: 900 करोड़ से अधिक हो गया है। जबकि टीटीपीएस का झारखंड विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (जेवीएनएल) के पास लगभग 4,500 करोड़ रुपये बकाया है। वर्जन
फोटो : 23 बेरमो 05 में यह काफी हर्ष का विषय है कि डेढ़ साल बाद टीटीपीएस की यूनिट नंबर दो से 180-185 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा। उत्पादन की इस रफ्तार को बरकरार रखने व और ज्यादा बढ़ाने में कोयले का संकट आड़े आ रहा है। सीसीएल प्रबंधन ने पुन: कोयला आपूर्ति बंद करने की चेतावनी दी है, जो चिता का विषय है।
- अनिल कुमार शर्मा, महाप्रबंधक, टीटीपीएस