सत्संग से मानव का जीवन होता सफल
चास सत्संग से मानव का जीवन सफल हो जाता है। भगवान के प्रति सच्ची आस्था पर ही लोग सही रास्ते पर
चास : सत्संग से मानव का जीवन सफल हो जाता है। भगवान के प्रति सच्ची आस्था पर ही लोग सही रास्ते पर चल सकते हैं। यह कहना है कथावाचक आचार्य श्री वेदानंद शास्त्री जी आनंद का। उन्होंने चीरा चास केके सिंह कालोनी में राधा कृष्ण भक्त मंडल की ओर से आयोजित श्री राम कथा महोत्सव में प्रवचन करते हुए कही। उन्होंने आध्यात्मिक शक्ति से परम तत्व को प्राप्त कर लेने के साथ ही लघुता का एहसास गोस्वामी तुलसी दास जी के चरित्र से दिया। उन्होंने कहा कि श्रीमद रामचरित मानस की रचना से पूर्व तुलसी दासजी का इस संसार के सभी जीव, देव, असुर, किन्नर, नाग, गंधर्व, विषधर, सामिष, निरामिष जीवों को अपना दंडवत प्रमाण करना उनकी लघुता में महत्ता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मानव को अपना तन, मन, धन और अपना सभी कर्म भगवान को समर्पित करना चाहिए। अर्थात पूर्ण रूप से अपने आपको भगवान को समर्पित कर देना चाहिए। भगवान के ऊपर आश्रित जीव निर्भय होकर अपनी गतिविधियों में लिप्त रहते हैं। भगवान के प्रति शंका रखने के बजाय पूरी आस्था रखनी चाहिए। वे सदैव सभी जीवों के क्रियाकलापों का निरीक्षण एवं परिणाम को अ²श्य रूप से संचालित करते रहते हैं।
यदि मानव सत्संग में लग जाए तो जीवन सफल और कुसंग में लग जाये तो पतन निश्चित ही समझना चाहिए। सांसारिक वस्तुओं से मोह एवं लगाव मानव को कष्टमय जीवन बिताने पर मजबूर करता है। अंत में भगवान शिव और पार्वती के मंगल परिणय का वर्णन करते हुए कथा को विश्राम दिया गया।