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हरियाली की हिफाजत में झोंक दी जवानी

जागरण संवाददाता बेरमो बेरमो कोयलांचल के पेटरवार प्रखंड में है पिछरी जंगल जिसकी हरि

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Sep 2021 10:24 PM (IST)Updated: Fri, 10 Sep 2021 10:24 PM (IST)
हरियाली की हिफाजत में झोंक दी जवानी
हरियाली की हिफाजत में झोंक दी जवानी

जागरण संवाददाता, बेरमो : बेरमो कोयलांचल के पेटरवार प्रखंड में है पिछरी जंगल, जिसकी हरियाली की हिफाजत करने को स्थानीय वनरक्षकों ने अपनी जवानी झोंक दी। परिणामस्वरूप, अब 375 हेक्टेयर भूमि में सखुआ, सागवान, शीशम के पेड़ों के साथ ही औषधीय गुणों वाले पौधों की भरमार पिछरी जंगल में है। निरंतर 25 वर्षों से लगभग दो दर्जन सदस्यों पर आधारित वनरक्षकों का दल इस जंगल की हरियाली की सुरक्षा कर रहा है, फिर भी उन सबका जज्बा अबतक कम नहीं हुआ है। उन वनरक्षकों में सूरज महतो, भगवान मांझी, रघु साव, वासुदेव महतो, हेमलाल महतो, कुंवर महतो, देवशरण टुडू, भगवान दास, सोमर मल्लाह, लालमोहन महली, छुटू मांझी, कामदेव मिश्रा, फूलमति देवी, महेश साव, केदार वर्मा आदि शामिल हैं। उनमें भगवान मांझी एवं कामदेव मिश्रा का देहांत हो चुका है। लकड़ी माफियाओं की ओर से वनरक्षकों को लगातार धमकी दी जाती रही, लेकिन धमकियों की परवाह किए बिना सभी वनरक्षक अपने अभियान में जुटे रहे। नतीजतन, लकड़ी माफिया की दाल नहीं गली और इस जंगल का निरंतर विकास होता रहा। वन सुरक्षा अभियान से उत्साही युवकों ने ली प्रेरणा : 90 के दशक में पिछरी पंचायत की 375 हेक्टेयर वनभूमि में लगे जंगल की सुरक्षा तब सरकार के लिए भी बड़ी चुनौती थी। लकड़ी माफियाओं की नजर जंगल के कीमती पेड़ों पर रहती थी। मौका मिलते ही पेड़ों की कटाई कर ली जाती थी। 25 वर्ष पूर्व पिछरी जंगल की सुरक्षा के लिए बेरमो अनुमंडल के कसमार क्षेत्र के हिशिम व केदला के जंगलों में चल रहे वन सुरक्षा अभियान को देखकर पेटरवार प्रखंड की पिछरी पंचायत के उत्साही युवकों ने प्रेरणा ली। उन युवकों ने पिछरी जंगल की हिफाजत में अपनी पूरी जवानी खपा दी। उनमें कई तो अब बूढ़े हो चले हैं, लेकिन उनका जज्बा आज भी पूर्ववत कायम है। एकीकृत बिहार के समय से शुरू हुआ अभियान : पिछरी जंगल की सुरक्षा का अभियान एकीकृत बिहार के समय से शुरू हुआ। 27 सितंबर 1996 को बिहार सरकार के पत्रांक 54/90 /5244 दिनांक 8.11.90 के आलोक में उत्तरी छोटानागपुर वन सुरक्षा परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष जगदीश महतो की अध्यक्षता में मध्य विद्यालय पिछरी में ग्रामीणों की एक महती सभा हुई थी। उस सभा में पिछरी जंगल की सुरक्षा के लिए ग्राम वन प्रबंधन एवं संरक्षण समिति गठित की गई, जिसके नेतृत्व की कमान सूरज महतो को दी गई। उनके साथ दो दर्जन से अधिक उत्साही युवक अभियान से जुड़ गए, जो वनरक्षक की भूमिका निभाने लगे। फलत- लकड़ी माफियाओं की सक्रियता पिछरी जंगल में घटी और हरियाली बढ़ने लगी। वर्जन फोटो : 10 बेरमो 14

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पिछरी जंगल से स्थानीय ग्रामीणों का काफी लगाव है। इसलिए जंगल की सुरक्षा को तत्पर रहते हैं। इस जंगल में अब वृक्षों की संख्या बढ़ने के साथ ही मोर-तोते आदि के अलावा अन्य वन्य प्राणियों की संख्या भी दिनोंदिन बढ़ रही है। वनरक्षकों की मेहनत से तो पिछरी जंगल अबतक सुरक्षित रहा। आने वाले दिनों में वन सुरक्षा का दायित्व अगली पीढ़ी को उठाना होगा। सिर्फ सरकारी व्यवस्था से जंगल सुरक्षित नहीं रह सकते।

- सूरज महतो, अध्यक्ष, ग्राम वन प्रबंधन एवं संरक्षण समिति पिछरी

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फोटो : 10 बेरमो 15 मैंने अपनी पूरी जवानी पिछरी जंगल को बचाने में खपा दी। वर्ष 1996-97 के दौरान जंगल में दौड़कर लकड़ी माफियाओं को खदेड़ता था। साथ ही जंगल के पेड़ों को रक्षासूत्र बांध कर ग्रामीणों को उसकी सुरक्षा करने का संकल्प दिलाता था। नई पीढ़ी जंगल की सुरक्षा के प्रति विमुख है। जबकि पर्यावरण संरक्षण जंगलों पर ही निर्भर है। यह बात युवाओं को समझाता हूं और हरियाली की हिफाजत करने के लिए प्रेरित करता हूं।

- हीरामन महतो, वरीय सदस्य, ग्राम वन प्रबंधन एवं संरक्षण समिति पिछरी


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