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50 करोड़ खर्च के बाद भी क्वार्टरों की स्थिति जर्जर

बेरमो : बेरमो के तीन कोयला प्रक्षेत्रों की श्रमिक कॉलोनियों के लिए सीसीएल की ओर से कायाक

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 11:00 AM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 11:00 AM (IST)
50 करोड़ खर्च के बाद भी क्वार्टरों की स्थिति जर्जर
50 करोड़ खर्च के बाद भी क्वार्टरों की स्थिति जर्जर

बेरमो : बेरमो के तीन कोयला प्रक्षेत्रों की श्रमिक कॉलोनियों के लिए सीसीएल की ओर से कायाकल्प योजना के तहत करीब 50 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। तीन वर्षो से कायाकल्प योजना यहां की अधिकतर परियोजनाओं में लागू भी है लेकिन बदहाल कॉलोनियों की स्थिति नहीं सुधर रही है। जर्जर क्वार्टरों में रह रहे मजदूर परिवारों को अब हर वक्त हादसे का भय सताता है। यहां ऐसी कई घटनाएं कालांतर में घट चुकी हैं, जिसे याद कर कोयला कर्मी सहम जाते हैं। मजदूरों के समक्ष असुरक्षा की भावना को दूर करने के लिए सीसीएल ने कायाकल्प योजना की गति तेज की है और ठेकेदारों को समय सीमा में योजना कार्य पूर्ण करने का निर्देश दिया है।

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सीसीएल की ओर से यहां रिजनल कॉलोनी, रिवर साइड कॉलोनी, माइनस क्वार्टर, आंबेडकर कॉलोनी, करगली, ढोरी पांच नंबर, स्टाफ क्वार्टर, शारदा कॉलोनी, सेंट्रल कॉलोनी मकोली, सुभाषनगर, गांधीनगर, संडेबाजार, जवाहरनगर, फील्डक्वाइरी, रामनगर, बेरमो सीम, तीन नंबर करगली, जारंगडीह, कथारा, स्वांग, गो¨वदुपर सरीखे श्रमिक कॉलोनियों में लाखों की आबादी है। इनमें से अधिकतर क्वार्टरों की स्थिति जर्जर है। ब्रिटिश काल में बनी इन श्रमिक कॉलोनियों के जीर्णोद्धार को लेकर सीसीएल ने कायाकल्प योजना को परियोजनावार धरातल पर उतारने का अभियान शुरू किया है। राष्ट्रीयकरण के बाद कोयला कामगारों की अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी तो हुई लेकिन कामगारों की कॉलोनियों की हालत में सुधार अबतक नहीं हो सका है। कॉलोनी में काफी संख्या में ऐसे परिवार हैं जो सीसीएल की खदानों में कार्य कर रहे हैं या सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जर्जर क्वार्टरों के अलावा कॉलोनी की सड़कें एवं नालियां भी बदहाल स्थिति में है। अधिकतर कॉलोनियों में पेयजल की भी समस्या है। खदानों में जमा प्रदूषित पानी को फिल्टर करके सप्लाई की जाती है। इस कारण उस पानी का उपयोग लोग केवल नहाने-धोने में ही किया जाता है। कहीं-कहीं पाइपलाइन के सड़ने से नियमित जलापूर्ति भी नहीं हो पाती है। पेयजल के लिए आसपास के चापाकल या दूरदराज के जलस्त्रोतों पर कामगारों को निर्भर रहना पड़ता हैं। ढोरी पांच नंबर धौड़ा इस मामले में सर्वाधिक नारकीय स्थिति में है। कॉलोनी निवासी चंदन कुमार, यशोदा देवी, चमेली देवी, प्रीति कुमारी, संजय कुमार, सुरेश राम आदि ने बताया कि पांच नंबर में पानी के अलावा बिजली की समस्या से भी हर दिन जूझना पड़ता है।

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सीसीएल क्वार्टरों की मरम्मत को लेकर कायाकल्प योजना पूरे प्रक्षेत्र में चल रही है। अधिकतर कॉलोनियों में अनधिकृत रूप से कब्जा कर लोग सीसीएल के क्वार्टरों में रह रहे हैं। ऐसे क्वार्टरों की मरम्मत का प्रावधान नहीं है। सीसीएल के कामगार के अनुरोध पर ही कार्ययोजना तैयार होती है। अधिकांश क्वार्टरों में कायाकल्प का काम चल रहा है।

- एमके पंजाबी, जीएम, बीएंडके प्रक्षेत्र।


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