आस्था का केंद्र है कसमार गरी का सिद्धपीठ दुर्गा मंदिर
संवाद सहयोगी बहादुरपुर कसमार प्रखंड के गरी का दुर्गा मंदिर सिद्धपीठ का दर्जा पा चुका है।
संवाद सहयोगी, बहादुरपुर : कसमार प्रखंड के गरी का दुर्गा मंदिर सिद्धपीठ का दर्जा पा चुका है। इस मंदिर की स्थापना विक्रम संवत 1833 में की गई थी। इस मंदिर की स्थापना के पीछे मां दुर्गा की अछ्वुत कृपा के साथ साथ चौबे परिवार की कहानी जुडी हुई है। संबद्ध 1800 में रक्षपाल चौबे अपने पुत्र लक्ष्मण चौबे के साथ बक्सर (बिहार )के गरबा बस्ती से मधुकरपुर होते हुए गरी ग्राम आए थे, जिसके बाद लक्ष्मण चौबे के तीन पुत्र हुए मोतीराम चौबे, उचित चौबे एवं नीलमाधव चौबे हुए। एक बार उचित चौबे के पुत्र छत्रधारी चौबे गंभीर रूप से बीमार हो गए थे। पुत्र की जीवित रहने की कोई उम्मीद नहीं बची थी, उस वक्त ना कोई वैद,हकीम या चिकित्सक नही था। जब स्थिति बहुत ही गंभीर हो गई और उनके जीवित रहने की कोई उम्मीद नहीं बची तो मोतीराम चौबे ने आकाश की ओर हाथ फैलाकर जगत जननी मां दुर्गा से विनती करते हुए कहा कि हे मां छत्रधारी का बीमारी मुक्त कर दीजिए तो मैं आपकी हर साल पूजा करूंगा। जिसके बाद मां की कृपा से चमत्कार हुआ और नन्हा बालक ठीक हो गया। तब उसी वक्त मोतीराम चौबे ने अपने भाइयों के सहयोग से मनोकामना पूर्ण करने वाली सर्वे शक्ति रूपा मां दुर्गा की पूजा प्रारंभ कर दी। अब मां की कृपा से वार्षिक पूजा उस वक्त से आज तक निस्वार्थ होते आ रही है। इस पूजा का आयोजन हर साल चौबे परिवार की ओर से किया जाता है। आस्था का सैलाब महाअष्टमी, महानवमी को उमड़ता है। यहां पूजा बांग्ला विधि से किया संपन्न होती है।