खेल का नायक बना फिल्म में खलनायक
युवराज सिंह ने सरकारी अनदेखी के कारण वेटलिफ्टिंग और पावरलिफ्टिंग से नाता तोड़ कर फिल्मी दुनिया में कदम रखा।
बोकारो, जेएनएन। यह सरकारी तंत्र की उदासीनता का महज एक उदाहरण है। सरकारी स्तर पर राज्य में खेलकूद का बेहतर माहौल तैयार करने और खिलाड़ियों को सुविधा-संसाधन मुहैया कराने का दावा भी फेल हो रहा है। इसलिए आत्मनिर्भरता के लिए खिलाड़ियों को विकल्प तलाशना पड़ता है। यह अगल बात है कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी ही सफल हो पाते हैं। ऐसे हीप्रतिभावान हैं बोकारो के पूर्व भारोत्तोलक युवराज सिंह। इन्होंने सरकारी अनदेखी के कारण वेटलिफ्टिंग और पावरलिफ्टिंग से नाता तोड़ कर फिल्मी दुनिया में कदम रखा। वह फिलहाल भोजपुरी सिनेमा में खलनायक की भूमिका अदा कर रहे हैं।
खेलकूद के हीरो रहे युवराज ने को इसके लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। बताते हैं कि 2016 में ही गोरेगांव, मुंबई गया और एक भोजपुरी फिल्म में खलनायक के लिए ऑडिशन दिया। लेकिन इसमें सफल नहीं रहा। इसके बाद लौट कर बोकारो आ गया। यहां अभिनय का प्रशिक्षण लिया। बाद में भोजपुरी फिल्मों में छोटी-छोटी भूमिका अदा की। 2017 में भोजपुरी फिल्म में ब्रेक मिला। उन्होंने राउडी एस में खलनायक की भूमिका में सबको प्रभावित किया। उन्हें एक और भोजपुरी फिल्म में खलनायक का रोल मिला।
खेल में उपलब्धि
युवराज के पिता चास निवासी अटल बिहारी सिंह बीएसएलकर्मी हैं। इन्हें बचपन से ही खेलकूद से लगाव था। स्कूली स्तर पर खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेने लगे और इसमें मेडल भी जीता। 2008 में प्रशिक्षक राजेंद्र प्रसाद से वेटलिफ्टिंग व पावरलिफ्टिंग का प्रशिक्षण लिया। 2009-10 में इन्होंने जमशेदपुर में आयोजित राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया। 2011-12 में दिल्ली में आयोजित स्कूल नेशनल वेटलि¨फ्टग व पावरलिफ्टिंग प्रतियोगिता में भी स्वर्ण पदक जीता। 2012-13 में बोकारो में आयोजित इंटर स्टील प्लांट वेटलिफ्टिंग व पावरलिफ्टिंग प्रतियोगिता में रजत पदक मिला।
युवराज ने 2015 तक लगातार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में मेडल जीता। इस दौरान नियोजन के लिए काफी प्रयास किया। लेकिन निराशा हाथ लगी। कहते हैं कि भारोत्तोलन व शक्तित्तोलन के लिए प्रत्येक दिन चार लीटर दूध पीता था। भोजन में पौष्टिक आहार लेता था। हर माह 15 से 20 हजार रुपये खर्च होते थे। इसलिए नौकरी की तलाश शुरू की, लेकिन नहीं मिली। झारखंड में अब तक खेल नीति लागू नहीं हुई है। नौकरी की तलाश में हर जगह हताशा हाथ लगी तो फिल्मों में भाग्य आजमाने की कोशिश की। 2016 में वेटलिफ्टिंग व पावरलिफ्टिंग से नाता तोड़ लिया।