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यहां राज परिवार की परंपरा को वंशजों ने रखा जीवित

संवाद सहयोगी तालगड़िया चंदनकियारी प्रखंड के बाबुग्राम महाल अमलाबाद भंडारीबांध और बीरू

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 10:12 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 10:12 PM (IST)
यहां राज परिवार की परंपरा को वंशजों ने रखा जीवित
यहां राज परिवार की परंपरा को वंशजों ने रखा जीवित

संवाद सहयोगी, तालगड़िया:

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चंदनकियारी प्रखंड के बाबुग्राम, महाल, अमलाबाद, भंडारीबांध और बीरूबांध में काशीपुर के राजा के वंशज राजशाही ठाट से से दुर्गा पूजा मनाते हैं। राज गया है परंतु परंपरा को संजीदगी से संजोये हुए हैं। दुर्गा पूजा के अवसर पर शिखर परिवार के लोगों का अपनी पुस्तैनी क्षत्रिय धर्म की झलक दिखाई देता है। वे लोग अपने कुल देवी को शक्ति की रूप में पूजा करते हैं। कहा जाता है कि उस समय जब राजा लड़ाई करने निकलते तो अपनी कुल देवी से आशीर्वाद लेते थे। विजय होने के बाद कुल देवी को बलि दी जाती थी।

शुक्रवार को चंदनकियारी के इन विभिन्न गावों में बसे राजा के वंशजों ने महा सप्तमी को तालाब, पोखर आदि जलाशयों से कुल देवी मा दुर्गा के रूप में आह्वान करते हुए वारि (कलश) यात्रा निकाली गई । बेल के लकड़ी के बनी शक्ति को पालकी में गाजे बाजे के साथ लाया गया। इस दौरान अपने पारंपरिक औजारों जैसे भाला, तलवार, बलम आदि के साथ गांव पहुंचे। तत्पश्चात मंदिर में स्थापित कर पूजा शुरू किया गया। विधिपूर्वक पूजा अर्चना से वातावरण भक्तिमय हो गया। दशमी अर्थात वारि विसर्जन तक बलि की प्रथा है। वर्षभर में यह वही अवसर है जब शेखर परिवार के सदस्य अपना नौकरी व पेशा छोड़कर एक साथ दुर्गा पूजा मनाते हैं ।


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