ट्विटर पर दिखाया सदर अस्पताल का 'घाव', सीएम के आदेश पर अमला रेस
जिले के सदर अस्पताल की कुव्यवस्था सोमवार को पूरी दुनिया के सामने उजागर हो गई। एक यूजर ने अस्पताल के जख्मों को दिखाते हुए ट्विटर पर सीएम से शिकायत की जिसके बाद सीएम के निर्देश पर प्रशासनिक अमला रेस हो गया।
जागरण संवाददाता, बोकारो: जिले के सदर अस्पताल की कुव्यवस्था सोमवार को पूरी दुनिया के सामने उजागर हो गई। एक यूजर ने अस्पताल के 'जख्मों' को दिखाते हुए ट्विटर पर सीएम से शिकायत की, जिसके बाद सीएम के निर्देश पर प्रशासनिक अमला रेस हो गया। उपायुक्त कुलदीप चौधरी अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे। ओपीडी काउंटर पर रखे सामान के कार्टन देख उन्होंने नाराजगी जताई। जनरल, फीमेल व मेल वार्ड, सीसीयू, आइसीयू, ओपीडी आदि वार्ड में मिल रही सुविधाओं की जानकारी ली। कई मरीजों ने समय पर नाश्ता व भोजन नहीं मिलने, नियमित साफ-सफाई नहीं होने और चादर व कंबल नहीं मिलने की शिकायत की। इस पर उपायुक्त ने नाराजगी जताते हुए अस्पताल उपाधीक्षक व अन्य चिकित्सा पदाधिकारियों को फटकार लगाई। दो घंटे के अंदर सभी बेड पर बेडशीट बिछाने व अन्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने को कहा। सिविल सर्जन को अस्पताल की सफाई सुनिश्चित करने एवं अस्पताल के वार्डो का नियमित निरीक्षण करने का निर्देश दिया। निर्धारित स्थानों पर डस्टबिन लगाने एवं मरीजों को ससमय नाश्ता व भोजन उपलब्ध कराने को कहा।
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बदहाल है अस्पताल की व्यवस्था, नर्स के भरोसे मरीज: बोकारो सदर अस्पताल की बदहाली के संबंध में एक स्थानीय युवक अफजल खान ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट किया था। बताया कि कोरोना की तीसरी लहर में सभी सरकारी अस्पतालों को पूरी तरह दुरुस्त रखने के सरकार के आदेश के बावजूद बोकारो सदर अस्पताल की स्थिति बहुत खराब है। अस्पताल में भर्ती मरीजों को नर्सों के भरोसे छोड़ दिया जाता है। गंदगी इतनी है कि दुर्गध के मारे वार्ड में खड़ा होना मुश्किल होता है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस ट्वीट को गंभीरता से लेते हुए बोकारो डीसी को मामले की जांच का आदेश दिया। सीएम ने कहा कि अविलंब सदर अस्पताल की स्थिति में सुधार करें।
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सिविल सर्जन के खिलाफ शिकायत कर चुके हैं उपायुक्त: जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पहले भी सवालों के घेरे में रह चुकी है। बोकारो के उपायुक्त सिविल सर्जन के खिलाफ शिकायत तक कर चुके हैं। उपायुक्त ने यह भी लिखा था कि सदर अस्पताल में चिकित्सकों की अनुपस्थिति के कारण कई बच्चों की मौत हो गई। यहां अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा मरीजों को अपने निजी नर्सिंग होम में भेजने का वीडियो वायरल हुआ। मरीजों से पैसे मांगने का भी मामला सामने आया। हालांकि विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई और व्यवस्था इसी तरह रेंगती रही।
निरीक्षण के दौरान डीडीसी जयकिशोर प्रसाद, सिविल सर्जन डा. जितेंद्र कुमार, कोविड-19 के नोडल पदाधिकारी डा. एनपी सिंह, जिला मलेरिया पदाधिकारी डा. बीपी गुप्ता, विशेष कार्य पदाधिकारी विवेक सुमन, अस्पताल उपाधीक्षक डा. संजय कुमार आदि थे।
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स्ट्रेचर पर अस्पताल की व्यवस्था, मरीज भगवान भरोसे: लोगों की शिकायत है कि सदर अस्पताल में मनमानी चरम पर है। यहां के एक भी चिकित्सक सप्ताह के छह दिन काम नहीं करते हैं। अस्पताल के उपाधीक्षक द्वारा बनाए गए ड्यूटी रोस्टर पर ही विवाद उत्पन्न हो गया। चिकित्सकों का कहना था कि कि डीएस खुद को-आपरेटिव कालोनी में निजी अस्पताल चलाते हैं। और तो और, दो लाख रुपये मासिक वेतन लेने वाली महिला चिकित्सकों को केवल आन काल रखा गया है, यानी मरीज आएंगे तो डाक्टर को बुलाया जाएगा। इन्हीं सब वजहों से अस्पताल की व्यवस्था नियंत्रण से बाहर होती चली गई।