कोयलांचल की राजनीति का डूब गया सितारा
बेरमो न केवल बेरमो के लिए बल्कि पूरे कोयलांचल के लिए 24 मई का दिन ब्लैक संडे साबित हु
बेरमो : न केवल बेरमो के लिए, बल्कि पूरे कोयलांचल के लिए 24 मई का दिन ब्लैक संडे साबित हुआ। क्योंकि इस दिन इंटक के राष्ट्रीय महामंत्री सह बेरमो विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह के रूप में कोयलांचल की राजनीति का एक सूरज अस्त हो गया। वे श्रमिकों की बुलंद आवाज के साथ ही कोयलांचल की राजनीति के स्तंभ भी थे। वे एकीकृत बिहार के समय से ही कोयलांचल अंतर्गत दक्षिणी व उत्तरी छोटानागपुर की सियासी जमीन पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए थे। इसलिए एकीकृत बिहार के वे जहां दो बार मंत्री बने, वहीं झारखंड राज्य गठन के बाद हेमंत सोरेन की सरकार वर्ष 2013 में बनने पर उन्होंने चार विभागों के मंत्री पद को सुशोभित करने का गौरव पाया था। वर्ष 1989 में एकीकृत बिहार की सत्येंद्र नारायण सिंह की सरकार में वे लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री बने तो वर्ष 2000 में लालू-राबड़ी सरकार में ऊर्जा मंत्री का कार्यभार संभाला था। वहीं वर्ष 2013 में झारखंड के स्वास्थ्य, ऊर्जा, वित्त व संसदीय कार्य मंत्री रहे।
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बेरमो की जनता के दिल पर किया एकछत्र राज :
राजेंद्र प्रसाद सिंह ने लगभग चार दशक तक बेरमो की जनता के दिल पर एकछत्र राज किया। इस दौरान वे छह बार विधायक बने। हालांकि दो दफा हार का भी सामना उन्हें करना पड़ा। इसके बावजूद उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई। विधायक न रहते हुए भी लोग उन्हें विधायकजी ही कहा करते थे। वे 1985 से बेरमो विधनासभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। इस दौरान 6 बार बेरमो के विधायक बने, तो 2005 के विस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी योगेश्वर महतो बाटुल से पराजित हुए थे। वहीं 2009 में फिर चुनाव जीतकर बेरमो सीट पर कब्जा जमाया। उसके बाद 2014 के विस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी योगेश्वर महतो बाटुल से ही हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन 2014 के विस चुनाव में रिकार्ड मतों के अंतर से जीत हासिल कर शानदार वापसी कर ली। उन्हें वर्ष 2005 में विपक्ष में रहते हुए भी अर्जुन मुंडा की सरकार में झारखंड के उत्कृष्ट विधायक का सम्मान मिला था।
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तीन साल पहले दिल्ली में हुआ था ब्रेन स्ट्रोक : राजेंद्र प्रसाद सिंह का तीन साल पहले ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, तब वे दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में इंटक के राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे। उस दौरान मंच में ही उन्हें ब्रेन स्ट्रोक लगा था। उस वक्त उनके साथ मंच पर कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी व पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे। राहुल गांधी ने सहारा देते हुए उन्हें एंबुलेंस तक पहुंचाया था। दिल्ली व गुड़गांव में कुछ दिनों तक उपचार के बाद स्वस्थ होने पर वे फिर से राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय हो गए थे।
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खुद को बताते थे दुबेजी की बगिया का माली : राजेंद्र प्रसाद सिंह खुद को दुबेजी की बगिया का माली बताते थे। उन्हें श्रमिकों के प्रखर नेता सह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बिदेश्वरी दुबे ने अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था। वे देश की मजदूर राजनीति के एक स्तंभ थे। दो दशक से ज्यादा समय से वे श्रमिक संगठन इंटक के राष्ट्रीय महामंत्री रहे। कोयलांचल के मजदूरों पर उनकी काफी पकड़ थी। उनके निधन से श्रमिक राजनीति को झटका लगा है। वे इंटक के राष्ट्रीय महामंत्री के साथ ही वर्ष 2009 में झारखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता भी बने थे। इसके अलावा इंडियन माइन वर्कर्स फेडरेशन के अध्यक्ष, राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के केंद्रीय अध्यक्ष, कोल इंडिया सुरक्षा परिषद और जेबीसीसीआइ के सदस्य भी रहे।