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मां से घर आने का वादा कर शहीद हो गया रियासी का लाल

राजेश डोगरा रियासी जम्मू संभाग के रियासी जिले के निवासी सेना के जवान रतन सिंह ने शुक्रवार

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 08:00 AM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 08:00 AM (IST)
मां से घर आने का वादा कर शहीद हो गया रियासी का लाल
मां से घर आने का वादा कर शहीद हो गया रियासी का लाल

राजेश डोगरा, रियासी :

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जम्मू संभाग के रियासी जिले के निवासी सेना के जवान रतन सिंह ने शुक्रवार को छुट्टी लेकर घर आने का मां से वादा किया था। उनके आने की खुशी में परिवार वाले विशेषकर उनके तीनों बच्चे लगभग चार माह के बाद अपने पापा से मिलने को लेकर बेहद उत्सुक थे, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। रतन सिंह आए तो जरूर, लेकिन तिरंगे में लिपट कर। इससे परिवार वालों की सारी खुशिया रुदन, चीत्कार और मातम में बदल गई।

रतन सिंह वीरवार को श्रीनगर के एचएमटी चौक के पास हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए। शुक्रवार दोपहर को उनका पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा उनके घर रियासी के साड़ गाव में पहुंचा। उनकी शहादत की खबर मिलने पर साड़ व आसपास इलाके के ग्रामीण पहले से ही शहीद के घर जमा हो गए थे। जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर घर लाया गया तो पूरा माहौल रुदन और चीत्कार में बदल गया। उनके पार्थिव शरीर से लिपटकर परिवार वाले बार-बार यही सवाल दोहरा रहे थे कि आने का वायदा तो किया था, लेकिन यह कैसा आना हुआ। दोपहर बाद शहीद की अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। उसके बाद स्थानीय घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि उनके आठ साल के बेटे अमित सिंह ने दी। मासूम बेटे को मुखाग्नि देते देख वहां मौजूद हर किसी की आंखों में आंसू छलक पड़े। मां का इलाज कराने से की इच्छा रह गई अधूरी

शहीद रतन सिंह की माता अपने उपचार के लिए अपनी बहू व बेटी के साथ ऊधमपुर में रतन सिंह के आने के इंतजार में थीं कि इसी बीच रतन सिंह की शहादत की खबर आ गई। परिजनों से पता चला कि रतन सिंह की माता की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी, जिस पर कुछ दिन पहले रतन सिंह ने अपनी बहन को फोन कर बोला था कि वह मा को लेकर वीरवार को ऊधमपुर पहुंच जाएं। छुट्टी लेकर वह भी शुक्रवार को श्रीनगर से ऊधमपुर आ जाएंगे। वहा मा का उपचार करवा देंगे। उसके बाद रतन सिंह की माता, उनकी पत्नी और बहन तीनों वीरवार को ऊधमपुर चले गए थे। उन्हें अगले ही दिन रतन सिंह के ऊधमपुर पहुंचने का इंतजार था, लेकिन उससे पहले वीरवार शाम को ही रतन सिंह की शहादत की खबर आ गई, जिस पर रोते-बिलखते वे तीनों घर की तरफ लौट गए।


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