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घोषित राहत पैकेज व्यापारियों और कारोबारियों को नहीं देगा राहत

कोरोना संक्रमण के कारण प्रभावित कारोबारियों को राहत देने के लिए उप राज्यपाल ने 1350 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा तो की लेकिन उससे सत्ता पक्ष को छोड़ कर सभी मायूस और नाखुश हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 08:09 AM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 08:09 AM (IST)
घोषित राहत पैकेज व्यापारियों और कारोबारियों को नहीं देगा राहत

जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : कोरोना संक्रमण के कारण प्रभावित कारोबारियों को राहत देने के लिए उप राज्यपाल ने 1350 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा तो की, लेकिन उससे सत्ता पक्ष को छोड़ कर सभी मायूस और नाखुश हैं। सभी लोगों का कहना है बिजली और पानी के बिलों में फिक्स डिमांड चार्जेस में 50 फीसद छूट है। ब्याज में दी जाने वाली मदद को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। वैसे भी इतनी कम मदद से किसी को फायदा नहीं होगा। हर कोई छह माह के बिजली बिल और बैंक कर्ज पर छह माह के ब्याज को माफ करने के साथ आम लोगों को भी राहत देने की मांग कर रहा है। काफी उम्मीद थी। लेकिन पैकेज की राशि सुनकर मायूसी हुई। घोषित पैकेज में छोटे दुकानदारों और आम लोगों के लिए कुछ भी राहत नहीं है। उद्योगों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के बिजली बिल ही माफ किए हैं। आम लोगों के बिजली बिल माफ नहीं कि गए हैं। कोरोना संक्रमण की वजह से दुकानदार और व्यापारी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। अभी भी दुकानदार प्रभावित हो रहे हैं। कोरोना संक्रमण के मामले आने के बाद तक वह प्रभावित हो रहे हैं।

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- जितेंद्र वरमानी, अध्यक्ष व्यापार मंडल

-------------- उप राज्यपाल द्वारा घोषित राहत पैकेज लोगों की आंखों में धूल झोंकने वाला है। व्यापारी वर्ग टैक्स भरने वाला सबसे बड़ा वर्ग है, मगर इस वर्ग के लिए कुछ नहीं किया है। बिजली बिल उद्योगों और बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों का ही माफ किया है। बैंक के ब्याज में 5 प्रतिशत का अनुदान की बात कही है, मगर स्पष्ट नहीं यह अनुदान ब्याज पर है, या मानटेरियम अवधि में ब्याज न लेने वाली रकम पर लगने वाले ब्याज पर। आटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए पैकेज में किया प्रावधान अच्छा है। मगर कंस्ट्रक्शन और बाकी को उद्योंगों के लिए कुछ नहीं किया।

विनोद गुप्ता, पूर्व अध्यक्ष चैंबर्स एंड कामर्स एंड इंडस्ट्रीज ----------------- प्रदेश के लिए 1350 करोड़ का राहत पैकेज सराहनीय कदम है। इसके लिए उप राज्यपाल बधाई के पात्र हैं। पैकेज में सभी के पचास फीसद बिजली और पानी बिल एक साल के लिए माफ करने, बैंक में कर्ज पर पांच प्रतिशत का अनुदान बड़ी राहत है। स्ट्रीट वेंडर्स के लिए दस हजार रुपये की मदद, आटोमोबाईल उद्योग के लिए मदद सहित कई प्रावधान किए हैं। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में यह पैकेज कोरोना से प्रभावित कारोबारियों के लिए बड़ी राहत सिद्ध होगा।

- पवन खजूरिया, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष, पवन खजूरिया

------------ 1350 करोड़ का राहत पैकेज लॉलीपॉप है। जो केवल देखने में अच्छा है। पैकेज में उद्योगों के डिमांड चार्जेस ही पचास फीसद माफ किए गए हैं। जबकि कोरोना संकट की वजह से प्रभावित उद्योगों के छह माह के बिजली बिल पूरी तरह से माफ किए जाने चाहिए। इसी तरह छह माह की अवधि के लिए उद्योंगों व व्यापारियों के कर्ज पर ब्याज पूरी तरह माफ किया जाना चाहिए। सरकार के इस पैकेज से उद्योगों सहित कारोबारियों व आम लोगों को कोई फायदा नहीं है।

उदयवीर सिंह, एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज, ऊधमपुर

---------- ट्रांसपोर्टरों को राहत देने के प्रयास तो किए हैं। मगर यह नाकाफी हैं। सूमो, बस और आटो चालकों को पंजीकृत कर उनको छह माह तक एक हजार रुपये के भुगतान तथा वाहन बीमा में दो से पांच हजार की मदद देने की बात कही है। जबकि हर ट्रांसपोर्टर और यात्री वाहन मालिकों का नुकसान इससे कई ज्यादा हुआ है। इसके अलावा आम लोगों को कोई खास राहत नहीं दी गई है। लोन पर लिए वाहनों की किश्तों पर ब्याज भी माफ नहीं किया गया है।

दर्शन कोतलाव, चेयरमैन ट्रांसपोर्ट यूनियन ऊधमपुर

--- राहत पैकेज आईवाश से ज्यादा कुछ नहीं है। 50 प्रतिशत बिजली और पानी के बिलों में जो छूट दी गई है, वह केवल फिक्स डिमांड चार्जेस में है। बैंकों के ब्याज में पांच फीसद का अनुदान किसी भी कारोबारी की भरपाई नहीं कर पाएगा। पर्यटन के नुकसान के आंकड़े मांगे थे, मगर होटल उद्योग को कोई राहत नहीं। सरकार केवल सबके छह माह के कर्ज पर ब्याज माफ करते और बिजली और पानी के छह माह के बिल ही माफ कर दे, तो यह आम लोगों से लेकर हर किसी के लिए बड़ी राहत होगी।

विक्रम सलाथिया, अध्यक्ष ऊधमपुर बार, रेस्टोंरेंट एंड होटल एसोसिएशन

----------- राहत पैकेज से उम्मीद ज्यादा थी। मगर खोदा पहाड़ा, निकली चुहिया वाली बात हुई। जो भी राहत दी है, स्पष्ट कुछ भी नहीं है। 50 फीसद बिजली माफ किया है, यह सारे बिल पर है या डिमांड चार्ज पर स्पष्ट नहीं है। उद्योग व बड़े व्यापारी संस्थानों को ही छूट दी गई है। मगर आम आदमी विशेष रूप से निम्न वर्ग को भी छूट मिलनी चाहिए। निजी स्कूलों की फीसें माफ करने के लिए कुछ नहीं किया गया। उप राज्यपाल को एक बार फिर से पुनर्विचार कर आम लोगों और खास तौर पर गरीब और निम्न वर्ग के लोगों को राहत देने पर विचार करना चाहिए।

- सुमित मगोत्रा, वरिष्ठ कांग्रेसी एवं इंटक नेता


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