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1.39 करोड़ के जुर्माने के बावजूद खुले में जलाया जा रहा कचरा

जागरण संवाददाता ऊधमपुर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा नगर परिषद को किए गए 1.39 कर

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 08:17 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 08:17 AM (IST)
1.39 करोड़ के जुर्माने के बावजूद खुले में जलाया जा रहा कचरा
1.39 करोड़ के जुर्माने के बावजूद खुले में जलाया जा रहा कचरा

जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा नगर परिषद को किए गए 1.39 करोड़ रुपये के जुर्माने के बावजूद नगर परिषद शहर में जगह-जगह पर खुले में कचरे को जलाने पर रोक नहीं लगा पाई है। रोजाना खुले में कचरा जलाए जाने से प्रदूषण फैल रहा है, जो लोगों की सेहत के लिए घातक है। नगर परिषद की ही तरह जिला प्रशासन भी इस गंभीर समस्या पर कोई गंभीरता नहीं दिखा रहा।

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खुले में कचरा जलाने से वायू प्रदूषण की समस्या की वजह से 2016 में एनजीटी ने पूरे देश में खुले में कचरा जलाने पर प्रतिबंधित किया था। इस प्रतिबंध के तीन साल बाद भी ऊधमपुर में प्रतिबंध का पालन होता नहीं दिखाई दे रहा। आज भी जगह-जगह पर खुले में कचरा धड़ल्ले से जलाकर एनजीटी के प्रतिबंध की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मगर खुले में कचरे को जलाने पर रोक लगाने में नगर सफल नहीं हो पाई है और जिला प्रशासन भी इस प्रतिबंध को शहर और जिले में लागू करा पाने में सफल होता नहीं नजर आ रहा है। हालांकि जिला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अनेक बार नगर परिषद को इस पर लगाम लगाने के लिए कह चुका है। इसके बावजूद कोई असर नहीं हो रहा।

शहर में हर समय कहीं न कहीं पर खुले में जलता कचरा वायु प्रदूषण में इजाफा कर रहा है। सुबह हो या शाम खुले में जलता कचरा कूड़ेदानों से लेकर कचरा जमा करने वाली डंपिग स्टेशनों पर जलता नजर देखा जा सकता है। लोगों के स्वास्थ्य के लिए घातक है खुले में कचरा जलाना

खुले में कचरा जलाने से बेहद जहरीली गैसें निकलती हैं, जो घातक प्रदूषण की वजह बनती है। इस प्रदूषण में सांस लेने से लोगों को गंभीर रोग हो सकते हैं। कचरे में पॉलीथिन रबर, प्लास्टिक, तेल, रसायन, पॉलीथन के अलावा अन्य कई हानिकारक पदार्थ होते हैं। इनके जलने से कार्बनडाइआक्साइड, नाइट्रोजन मोनो आक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड जैसी अनेक नुकसानदायक गैसें निकल कर पर्यावरण में घुल जाती हैं। यह सांस के साथ इंसान के शरीर में जाकर उसे गंभीर रोग दे सकती हैं। कचरे से निकलने वाले प्रदूषण के सांस के साथ शरीर में जाने से फेफड़ों, सांस के साथ दिमाग से संबंधित गंभीर होने का खतरा बढ़ जाता है। इस तरह का प्रदूषण कैंसर जैसे रोगों का कारण भी बन सकता है। सफाई कर्मचारियों से लेकर आम लोग जलाते हैं कचरा

शहर में कचरा जलाने से आम लोग तो बाज नहीं आ रहे, नगर परिषद के अपने सफाई कर्मचारी तक कचरे को जलाते हैं। सफाई कर्मचारी खुले में लगे कचरे के ढेरों को उठाने की बजाए उसे आग के हवाले कर देते हैं, जिससे की उनको कचरा न उठाना पड़े। यही हाल आम लोगों का भी है। दुकानदारों से लेकर आम लोग घरों का कचरा सड़क पर जमा कर उसे आग लगा देते हैं। कई बार तो कूड़ेदान में ही कचरे को आग लगा दी जाती है। जबकि नगर परिषद ने इसे रोकने के लिए कूड़ेदानों के बाहर आग न लगाने की बात लिखी है। मगर केवल लिखना भर काफी नहीं है, नगर परिषद और जिला प्रशासन को आग लगाने की आदत को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। खुले में कचरा जलाने वालों का पता लगाना बेहद मुश्किल काम है। क्योंकि पता ही नहीं चलता कि कौन कचरा जलाता है और कौन नहीं। लोगों के सहयोग के बिना इस प्रतिबंध को लागू करना मुश्किकल काम है। नगर परिषद लोगों को कचरा अलग-अलग एकत्रित करने के जागरूक करने के लिए अभियान चला रही है। चंद रोज पहले हुई बैठक में सभी पार्षदों से इसमें सहयोग करते हुए अपने वार्ड में जागरूकता अभियान चलाने को कहा है। सभी पार्षदों को अपने वार्डो में खुले में कचरा न जलाने के लिए भी जागरूक करने के लिए कहा जाएगा। इसके साथ ही सफाई कर्मचारियों को भी निर्देश दिए जाएंगे कि वे खुले में कचरा न जलाएं और लोगों को भी ऐसा करने से मना करें। नगर परिषद के सेनेटरी इंस्पेक्टरों को भी खुले में कचरा जलाने वालों का पता लगाने के लिए निगरानी करने के लिए कहा जाएगा।

-डॉ. जोगेश्वर गुप्ता, अध्यक्ष, नगर परिषद ऊधमपुर


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