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एक साथ मिल रहा सूखा और गीला कचरा बड़ी समस्या

जागरण संवाददाता ऊधमपुर शहर को स्वच्छ बनाने की राह में गीला और सूखा कचरा अलग करना

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 06:48 AM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 06:48 AM (IST)
एक साथ मिल रहा सूखा और गीला कचरा बड़ी समस्या
एक साथ मिल रहा सूखा और गीला कचरा बड़ी समस्या

जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : शहर को स्वच्छ बनाने की राह में गीला और सूखा कचरा अलग करना बेहद जरूरी है, मगर ऊधमपुर में लोग घरों में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा नहीं करते हैं। शहर में घर-घर से कचरा उठाने वाली कंपनी दोनों प्रकार के कचरे को अलग-अलग जमा कर रह ही है, क्योंकि ऐसा किए बिना कचरे का उचित निस्तारण करना संभव नहीं है। घर-घर से कचरा उठाने की सेवा शुरू होने के बाद से नगर परिषद इसके लिए प्रयास कर तो कर रही है, मगर न तो लोग घरों में अलग-अलग कचरा एकत्रित करते हैं और न ही कचरा उठाने वालों के पास कचरे को अलग रखने की व्यवस्था पूरी तरह से उपलब्ध है।

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ऊधमपुर शहर से रोजाना करीब 30 टन कचरा निकलता है, जिसमें से 60 फीसद गीला और 40 फीसद कचरा सूखा होता है। निकलने वाले गीले कचरे में ज्यादातर रसोई घरों में से निकलने वाली सब्जियां, फलों के छिलकों सहित ऐसा कचरा होता है, जिसका निस्तारण जैविक तरीके से किया जाना संभव है। मगर ऊधमपुर में ज्यादातर घरों में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा न होने की वजह से सूखा कचरा भी गीले के साथ मिलकर गीला बन जाता है। वहीं, 40 फीसद सूखे कचरे में से भी 30 फीसद कचरा गत्ता, कागज, पैकिग मैटेरियल व धातु और लकड़ी शामिल होते हैं, जो रिसाइकिल हो जाते हैं। 10 फीसद कचरे में शीशा व अन्य ऐसी चीजें होती हैं। यदि घरों के स्तर पर ही गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा हो जाए तो कचरा निस्तारण बेहतर तरीके से किया जा सकता है। गीले कचरे को जैविक तरीके से निपटा कर रोज निकलने वाले 60 फीसद कचरे को खत्म किया जा सकता है। वहीं, सूखे कचरे में से 30 फीसद कचरा रिसाइकिल हो जाता है। शेष दस फीसद कचरा ही बचता है, जिसको ठिकाने लगाना कोई बड़ा काम नहीं है।

नगर परिषद ने जब ऊधमपुर शहर में घर-घर से कचरा उठाने की व्यवस्था को शुरू किया था, उस समय इस काम का ठेका लेने वाली पताया कंपनी ने शहर के 17 वार्डो में हर घर को एक नीला और एक हरा कूड़ेदान दिया था, ताकि लोग गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा कर सकें। कंपनी ने भी दोनों तरह के कचरे को अलग जाम करने के लिए दो अलग खानों वाले वाहन भी लगाए, मगर इसके बावजूद कचरा अलग नहीं हुआ। इसके बाद नगर परिषद का गठन हुआ और नगर परिषद ने वार्ड स्तर पर अभियान चलाकर लोगों को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा करने के लिए जागरूक किया, मगर इसके बावजूद गीला और सूखा कचरा अलग नहीं हो पाया। अब घर-घर से कचरा उठाने का काम नई कंपनी ने लिया है। मगर कंपनी के कचरा उठाने वाले ज्यादातर वाहनों में गीला और सूखा कचरा अलग एकत्रित करने की व्यवस्था ही नहीं है। ऐसे में यदि लोग घरों पर गीला और सूखा कचरा अलग भी जमा करते हैं तो भी कचरा उठाने वाले एक साथ ही इसे वाहन में एक साथ डाल कर मिला देते हैं। गीले कचरे के निस्तारण के लिए नहीं है कंपोस्ट पिट

सूखा और गीला कचरा अलग-अलग जमा करने के बाद गीले कचरे के उचित निस्तारण के लिए नगर परिषद को कंपोस्ट पिटों की जरूरत है, जो उसके पास अभी तक नहीं है। जबकि कंपोस्ट पिट के बिना गीले कचरे का निस्तारण संभव नहीं है। यदि कंपोस्ट पिट की व्यवस्था हो जाए तो नगर परिषद गीले कचरे का निस्तारण बेहतर तरीके से कर सकती है। दोबारा शुरू होगा जागरूकता अभियान

शहर में कचरा निस्तारण की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए नगर परिषद, जिला प्रशासन के साथ शहरवासियों को सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है। गीला और सूखा कचरा अलग किए बिना उसका उचित निस्तारण संभव नहीं है। नगर परिषद के पास 8,600 कूड़ेदान आए हैं, जिनमें से आधे नीले और आधे हरे हैं। 20 वार्डो के लिए पार्षदों को 400-400 कूड़ेदान दिए हैं, जबकि एक वार्ड सात नंबर को 600 कूड़ेदान दिए हैं। ये कूड़ेदान वार्डो में वितरित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही शहर भर में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, जिसमें लोगों को गीला और सूखा कचरे में अंतर और कौन से रंग के कूड़ेदान में कौन सा कचरा डालना है, इसके प्रति जागरूक किया जाएगा। इस बारे में डीसी ऊधमपुर से भी बात हो गई है। जागरूकता के बाद जो लोग गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा नहीं करेंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी। नगर परिषद का प्रयास है कि शत-प्रतिशत कचरा घरों और दुकानों से एकत्रित हो। शहर में सड़कों और गलियों में कचरा नजर न आए। इसके साथ ही कचरा उठाने वाले भी अपने वाहनों में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा करने की व्यवस्था करें।

- डा. जोगेश्वर गुप्ता, नगर परिषद अध्यक्ष ऊधमपुर सूखा कचरा (नीले रंग का कूड़ेदान)

प्लास्टिक कवर, बोतलें, चिप्स, टाफी जैसी अन्य चीजों के रेपर, दूध व दही के पैकेट, पालीथिन पैकेट, गत्ते के बाक्स, कागज के बर्तन, शराब, दूध, लस्सी या अन्य किसी तरल पदार्थ के टैट्रापैक्स, पेपर कप और प्लेट, धातु के बने बीयर कोल्डड्रिक के कैन, रबर, थर्मोकोल, प्रसाधन सामग्रियां, बाल व ऐसा अन्य कचरा। गीला कचरा (हरे रंग का कूड़ेदान)

बची हुई सब्जी, फल, सब्जी और फलों के छिलके, बचा हुआ खाना, अंडे के छिलके, चिकन अवशेष हड्डियां, सड़े फल व सब्जियां, गंदा टिशू पेपर, चाय-काफी के बैग, पत्ते और पत्तों की प्लेट्स, पूजा सामग्री, फूल, राख व ऐसी अन्य चीजें। मैं भी स्वच्छता प्रहरी

दूसरे का इंतजार किए बिना अपने से करे हर कोई शुरुआत

शहर को स्वच्छ बनाना केवल नगर परिषद या प्रशासन की जिम्मेदारी ही नहीं है। शहर हर शहरवासी का है, इसलिए इसे स्वच्छ बनाने की जिम्मेदारी भी हर शहरवासी की है। हर किसी को अपने स्तर पर यथासंभव सहयोग देने के लिए आगे आना चाहिए। किसी दूसरे के शुरुआत करने का इंतजार किए बिना अपने आप से शहर को स्वच्छ बनाने के काम करना चाहिए। हर कोई जिम्मेदारी से अपने घर से गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग जमा कर शहर को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान देने की शुरुआत करे। शनिवार से अपने घर का कचरा अलग-अलग जमा करेंगे। इसके साथ ही हर मोहल्ले के लोगों और दोस्तों के साथ मिल कर लोगों को भी गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा करने के लिए जागरूक करेंगे।

- शाम भारद्वाज, शिवनगर, वार्ड नंबर 11


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