मक्रर संक्रांति पर प्राचीन गुफा खुलने की उम्मीद
राकेश शर्मा कटड़ा मां वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए देशभर से कटड़ा आने वाले श्रद्धालुओ को मकर संक्रांति पर मां की प्राचीन गुफा खुलने की उम्मीद बंधी है।
राकेश शर्मा, कटड़ा
मां वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए देशभर से आधार शिविर कटड़ा आने वाले श्रद्धालु मां की प्राचीन गुफा के खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद है कि मकर संक्रांति पर श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड प्रशासन प्राचीन गुफा के द्वार श्रद्धालुओं के लिए खोल सकता है।
मां वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा का अपना महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार, बाबा भैरवनाथ के कारण मां वैष्णो देवी इस गुफा में शरण ली थी। कुछ समय बाद इसी जगह पर मां वैष्णो देवी वैष्णो देवी के साथ बाबा भैरवनाथ का युद्ध हुआ और मां वैष्णो देवी ने बाबा भैरवनाथ का सिर धड़ से अलग कर दिया। श्रद्धालु इसी गुफा से करते थे मां के दर्शन
40 वर्ष पहले इसी प्राचीन गुफा से श्रद्धालु मां वैष्णो देवी के अलौकिक दर्शन करते थे, क्योंकि कोई और गुफा नहीं थी। इस प्राकृतिक गुफा के भीतर शीतल गंगा बहती है। प्रत्येक श्रद्धालु मां वैष्णो देवी का दर्शन प्राचीन गुफा से करना चाहता है, लेकिन यह सौभाग्य सभी को प्राप्त नहीं होता है। क्योंकि प्रतिदिन अधिक से अधिक 5000 श्रद्धालु ही इस गुफा से मां वैष्णो देवी के दर्शन कर सकते हैं। कृत्रिम गुफा का हुआ निर्माण
समय के साथ जैसे ही यात्रा में बढ़ोतरी हुई तो कृत्रिम गुफाओं का निर्माण शुरू हुआ। 40 वर्ष पूर्व धर्मार्थ ट्रस्ट की देखरेख में कृत्रिम गुफा का निर्माण हुआ। उसके बाद वर्ष 1986 में जब श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड का गठन हुआ तो अचानक मां वैष्णो देवी की यात्रा में बढ़ोतरी हो गई। श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए श्राइन बोर्ड ने वर्ष 2000 में दो अन्य कृत्रिम गुफाओ का निर्माण किया। मौजूदा समय में श्रद्धालु केवल कृत्रिम गुफाओं से ही मां वैष्णो देवी के दर्शन करते हैं जबकि प्राचीन गुफा के द्वार बंद रखे जाते हैं। मकर सक्रांति पर होती है प्राचीन गुफा की विशेष पूजा-अर्चना
मकर संक्राति को सबसे महत्वपूर्ण तथा धाíमक संक्रांत माना गया है। प्राचीन काल से ही मकर सक्रांति पर प्राचीन गुफा की विधिवत पूजा-अर्चना कर इसके द्वार खोल दिए जाते हैं। इस मौके पर यात्रा 10000 से नीचे हो तो श्रद्धालु भी इस दिन प्राचीन गुफा से मां वैष्णो देवी के दर्शन करते हैं। अगर यात्रा का आंकड़ा ज्यादा हो तो केवल मां वैष्णो देवी के पुजारी ही इस गुफा में प्रवेश कर मां वैष्णो देवी के दर्शन करते हैं। समय-समय पर बदला प्राचीन गुफा के प्रवेश द्वार का स्वरूप
मां वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा का प्रवेश द्वार पूरी तरह से प्राकृतिक हुआ करता था। वर्ष 1968 में यूको बैंक के सीएमडी एस एल सुनेजा ने प्राचीन गुफा के प्रवेश द्वार को संगमरमर से सुशोभित किया। वर्ष 2000 में श्राइन बोर्ड ने इस गुफा के प्रवेश द्वार पर मकराना संगमरमर लगाया। वर्ष 2019 में 29 सितंबर को श्राइन बोर्ड ने इस प्राचीन गुफा के प्रवेश द्वार को स्वर्ण द्वार बना दिया। मकर सक्रांति पर पुजारियों द्वारा प्राचीन गुफा की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। अगर यात्रा 10000 से नीचे रहती है तो श्रद्धालुओं के लिए प्राचीन गुफा खोलने की इजाजत दी जाएगी।
रमेश कुमार, सीईओ,श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड