दुर्गा नाटक मंडली और महादेव मंडली ने पारंपरिक तरीके से मनाया लोहड़ी पर्व
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संवाद सहयोगी, रियासी : रियासी में लोहड़ी के लुप्त होते त्योहार में फिर से रंग भरने के लिए दुर्गा नाटक मंडली और महादेव मंडली ने पारंपरिक तरीके से लोहड़ी का पर्व मना कर दो दशक पहले का समय दोहराया। उन्होंने लोगों के घरों में पारंपरिक तरीके से बनाया गया छज्जा नचाने के साथ ही ढोल की थाप पर खूब धमाल मचाया।
स्थानीय लोगों ने संयुक्त मंडली के इस प्रयास को सराहनीय कदम करार दिया। दो दशक से पहले के समय रियासी में लोहड़ी का पर्व 2 दिन मनाया जाता था जिसमें छज्जे बनाकर टोलियां ढोल बाजे लेकर लोगों के घरों में लोहड़ी मांगने निकल पड़ती थी। तब लोहड़ी और फिर उसके अगले दिन उन घरों में लोहड़ी मांगी जाती थी। जिनके घर नई शादी, पुत्र जन्म, सगाई तथा मुंडन हुए होते थे। लेकिन व्यस्तता तथा कम रूचि के चलते समय के साथ-साथ यह त्योहार फीका होता चला गया। जिस पर इस त्यौहार की लुप्त होती परंपरा को फिर से जीवित करने के लिए श्री दुर्गा नाटक मंडली और महादेव मंडली में संयुक्त रूप से ठीक उसी तरह से लोहड़ी पर्व मनाने का निर्णय लिया जैसे कि दो दशक पहले मनाई जाती थी। इसके लिए पारंपरिक तरीके से लगभग साडे आठ फीट गोलाकार छज्जा बनाया गया। लोहड़ी के दिन सोमवार को लगातार बारिश और खराब मौसम के कारण लोहड़ी मांगने का कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। जिस पर अगले दिन मंगलवार को संयुक्त मंडली ने पूरे उत्साह और जोश से पर्व मनाया। सुबह कस्बे के महादेव मंदिर में माथा टेकने के बाद लोहड़ी मांगने का सिलसिला शुरू हो गया जो कि देर रात तक जारी रहा। इस दौरान मंडली सदस्यों ने लोगों के घरों में छज्जा नचाने के साथी खूब धमाल मचाया। इससे लोग भी काफी खुश हुए और टोली को लोहड़ी के रूप में मुंह मांगी पैसे दिए। इस दौरान परिवार वालों को भी खूब नचाया गया। इस पर्व पर नई पीढ़ी में कई ऐसे भी थे जिन्होंने पहली बार पारंपरिक छज्जा देखा। उन्होंने छज्जे के साथ अपनी जमकर सेल्फी ली। वहीं कुछ युवाओं ने कहा कि उन्होंने पहली बार पारंपरिक तरीके से मनाए जाने वाली लोहड़ी का पर्व देखा है। अगले वर्ष वह भी इसी तरह लोहड़ी का पर्व मनाएंगे।