शहीद यशपाल का पार्थिव शरीर पंच तत्व में विलीन
जागरण संवाददाता ऊधमपुर राजौरी जिले के सुंदरबनी सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी ग
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : राजौरी जिले के सुंदरबनी सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी गोलाबारी में शहीद हुए राइफलमैन यशपाल का सुद्दमहादेव स्थित विनीसंगम स्थित श्मशानघाट पर सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। शहीद पंचतत्व में विलीन हो गए। शहीद को उसके भाई रशपाल ने मुखाग्नि दी। शहीद की अंतिम यात्रा में मानतलाई और सुद्धमहादेव क्षेत्र से हजारों लोग शामिल हुए। सभी ने नम आंखों से शहीद को विदाई दी।
वीरवार को यशपाल गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हो गए थे, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने दम तोड़ दिया। शहीद का पार्थिव शरीर सुबह साढ़े 11 बजे हेलीकॉप्टर से मानतलाई स्थित हेलीपैड पर पहुंचा। इसकी जानकारी मिलते ही शहीद के पार्थिव शरीर के दर्शन के लिए पूरा मानतलाई गांव उमड़ पड़ा। शहीद के पार्थिव शरीर पहुंचते ही मानतलाई यशपाल अमर रहे और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों से गूंज उठा। इसके बाद सुरक्षाबल के जवान तिरंगे में लिपटे शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर थोड़ी दूर स्थित शहीद के घर पहुंचे। पार्थिव शरीर को पहुंचते ही घर में मातम छा गया। करुणामयी चित्कारें गूंज उठी। शहीद की मां, पत्नी, भाई और पिता का रो-रो कर बुरा हाल था।
इसके बाद दोपहर को शहीद यशपाल अमर रहे, जब तक सूरज चांद रहेगा, शहीद यशपाल तेरा नाम रहेगा के गगनभेदी नारों के बीच शहीद की अंतिम यात्रा पूरे सैन्य सम्मान के साथ निकाली गई। इस दौरान हायर सेकेंडरी स्कूल सुद्दमहादेव के विद्यार्थी व अन्य लोग कतार में सड़क पर दोनों तरफ खड़े थे। उन्होंने अंतिम यात्रा पहुंचते ही वंदे मातरम, भारत माता की जय, शहीद यशपाल अमर रहे और पाकिस्तान मुर्दा के नारे लगाए।
अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
शहीद की अंतिम यात्रा में जन सैलाब उमड़ पड़ा। जिसे भी पता चला वह शहीद के अंतिम दर्शन करने और अंतिम विदाई देने उमड़ पड़ा। शहीद के अंतिम संस्कार में मानतलाई, सुद्धमहादेव, सराड़, चौका नाला, गौरीकुंड, चिलयाड़, बश्ट, चनैनी, कुद, मादा, मरमत, घाड़ियां, धनास के अलावा ऊधमपुर से भी लोग पहुंचे थे। अंतिम यात्रा सुद्धमहादेव के पास स्थिति विनी संगम स्थित शमशान घाट पहुंची। जहां पर सेना के जवानों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। उसके बाद पूरे सैन्य सम्मान से शहीद को पंच तत्व में विलीन किया गया। शहीद को उसके भाई रशपाल ने मुखाग्नि दी।
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शेर बच्चे, मुझे गुरुर है तेरी शहादत पर
शाबाश शेर के बच्चे, मुझे गुरुर है तेरी शहादत पर। तूने देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर किया है। यह बातें शहीद यशपाल के पिता देस राज ने कही। उन्होंने कहा कि बेटे को खोने का गम है पर खुशी है कि वह देश के काम आया। बेटे के इस तरह चले जाने से कमर टूटने का दर्द तो साफ झलक रहा था। मगर बेटे की शहादत पर गर्व करते हुए उन्होंने कहा कि बेट ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर उनका ही नहीं, बल्कि परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया है। सेना को पाकिस्तान से उसके बेटे की मौत का बदला लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि बुधवार को साढ़े सात बजे बेटे से बात हुई थी। उसके बाद वीरवार सुबह फोन पर बेटे को गोली लगने और उसका उपचार जारी होने की जानकारी दी गई। फिर उसकी शहादत की खबर आई। बेटे के चले जाने से छह माह पहले ब्याह कर लाई बहु के जीवन में अंधेरा छा गया है। उसे समझ नहीं आ रहा कि बहु और उसके घरवालों को क्या और कैसे समझाए। छोटे भाई को खो देने के गम से शहीद का बड़ा भाई रशपाल भी बुरी तरह से टूट गया है।
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छह माह में ही टूट गया सात जन्मों का रिश्ता
होनी को तो कुछ और ही मंजूर था। मातृभूमि की रक्षा का वादा निभाने के लिए वह पत्नी अर्चना के साथ किया सात जन्म निभाने का वादा, हाथों का चूड़ा उतरने से पहले ही हमेशा के लिए तोड़ कर चला गया। पति के इस तरह से चले जाने से अर्चना बदहावस हो गई है। परिवार के लोग उसे ढांढस बंधाते तो हैं, मगर हाथों का चुड़ा उतरने से पहले ही मांग उजड़ने पर उसे क्या और कैसे सांत्वना दें यह किसी को समझ नहीं आ रहा। छह माह पहले नवरात्र में अग्नी के सात फेरे लेकर अर्चना के साथ परिणय सूत्र में बंधे यशपाल छह माह में ही सात जन्मों के इस नाते को तोड़ कर चले गए। छह माह पहले यशपाल का विवाह चनुंतना के मरम्मत रजारा में रहने वाली अर्चना के साथ हुआ था। दोनों ने अपने जीवन को लेकर कई सपने बुने थे। यशपाल की योजना जम्मू में जमीन लेकर घर बनाने और कार खरीदने की थी। इसके लिए वह प्रयास कर रहा था। वहीं पत्नी से वीरवार सुबह साढ़े छह बजे उसने बात कर कुशलक्षेम पूछी। अभी दो माह पहले ही यशपाल लोहड़ी पर घर आया था। अगली बार आने पर वह कार और जमीन लेने वाला था।
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न जले चूल्हे न खेली होली
यशपाल की शहादत के चलते मानतलाई इलाके में मातम छा गया है। वीरवार सुबह शहादत की खबर मिलने के साथ पूरे गांव में मातम छा गया। पूरे मानतलाई क्षेत्र के लोग शहीद के परिवार के दुख में शामिल होने उनके घर पहुंचे। मानतलाई में लोगों के घरों में चूल्हे नहीं जले और न ही पूरे इलाके में किसी ने होली पर्व की खुशी मनाई। इलाके के सरपंच बोधराज ने बताया कि सुबह ही शहादत की खबर आने के बाद मानतलाई और आसपास के इलाकों में मातम पसर गया। लोग दुख बांटने यशपाल के घर पहुंचे। खबर आने के बाद से मानतलाई में शहीद के अंतिम संस्कार तक लोगों के घरों में चूल्हे नहीं जले। एक दिन पहले तक होली की तैयारियां चल रही थी, मगर सुबह खबर आते ही किसी ने होली तक नहीं खेली।
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न कोई बड़ा नेता और न ही कोई प्रशानिक अधिकारी पहुंचा
शहीद के शहादत को सलाम करने के लिए पूरा चनैनी क्षेत्र तो उमड़ा था, मगर शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए जिला से कोई बड़ा अधिकारी या बड़े नेता फुर्सत नहीं मिली। शहीद के अंतिम संस्कार में प्रशासन की तरफ से एसडीएम चनैनी अब्दुल सत्तार, एसडीपीओ चनैनी, चौकी अफसर सुद्धमहादेव, नायब तहसीलदार के अलावा भाजपा के नेता एडवोकेट नरेश और पूर्व विधायक केसी भगत पहुंचे। मगर जिला के भाजपा या अन्य किसी पार्टी का बड़ा नेता शहीद के अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचा। न ही जिला स्तर का कोई भी पुलिस या प्रशासनिक अधिकारी अंतिम संस्कार में पहुंचा।