बर्फबारी से कम होगी सेब व अखरोट की पैदावार
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : इस साल सीजन में हुई बर्फबारी ने पहाड़ी इलाकों में फलदार फस
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : इस साल सीजन में हुई बर्फबारी ने पहाड़ी इलाकों में फलदार फसलों को नुकसान पहुंचाया है। हालांकि इस समय कोई फल तो नहीं लगा है, जिस कारण पैदावार को नुकसान तो नहीं हुआ है, मगर फलदार पेड़ों को नुकसान हुआ है। इससे जिले में इस बार फलों की पैदावार 15 से 20 फीसद तक कम होने की आशंका है।
वहीं, दूसरी तरफ विभाग की मानें तो होने वाली फसल की गुणवत्ता काफी अच्छी रहेगी। हालांकि बर्फबारी के बाद अभी फलदार फसलों पर आने वाली महीनों में ओलावृष्टि से नुकसान का खतरा भी बरकरार है।
इस बार सर्दी के सीजन में पिछले साल दिसंबर से ही बर्फबारी का दौर शुरू हो गया था। इसके बाद अब तक कई बार मौसम बिगड़ने से बर्फबारी हुई। जनवरी माह में अच्छी खासी बर्फबारी हुई है। लगभग सभी पहाड़ी इलाकों में तीन फीट तक या इससे भी ज्यादा बर्फ की परत जमा हो गई है। हाल में हुई बर्फबारी ने तो बर्फ की परत को और भी मोटा कर जहां आम लोगों की ¨जदगी को मुश्किल बना दिया है, वहीं बर्फबारी प्रभावित इलाकों में सेब, अखरोट, आडू सहित स्टोन फ्रूट के पेड़ों को काफी नुकसान पहुंचाया है।
ऊधमपुर जिला के डुडु, बसंतगढ़, लाटी, पंचैरी सहित अन्य सर्द पहाड़ी इलाकों में 1250 हेक्टेयर भूभाग पर सेब लगता है। यहां से सालाना 24 से 2500 मीट्रिक टन तक सेब उत्पादित होता है। इसी तरह जिले में 4738 हेक्टेयर क्षेत्र में अखरोट लगता है। जहां से सालाना औसतन 9800 मीट्रिक टन अखरोट की पैदावार होती है। बर्फबारी प्रभावित इलाकों से आने वाले नुकसान के आंकड़े किसानों के साथ बागवानी विभाग के लिए परेशानी भरे हैं। सटीक आंकड़े तो फिलहाल नहीं पहुंचे हैं, मगर सेब व अखरोट सहित अन्य फलों के पेड़ों की शाखों से लेकर पेड़ों के टूटने से नुकसान की जानकारी बागवानी विभाग के पास पहुंची है।
इसके आधार पर बागवानी विभाग का अनुमान है कि जिले के पहाड़ी बर्फबारी प्रभावित इलाकों में इस बार सेब के पेड़ों सहित अन्य फलदार पेड़ों को 15 से 20 फीसद पूरी तरह से नुकसान पुहंचा है, जबकि 20 से 25 फीसद पेड़ों के तने टूटने से लेकर आंशिक तौर पर नुकसान हुआ है। विभाग के मुताबिक ज्यादातर नुकसान कैनोपी मैनेजमेंट उचित तरह से या न करने वाले किसानों का हुआ है।
बागवानी विभाग के मुताबिक बर्फबारी से पूरी तरह और आंशिक तौर पर पेड़ों को पहुंचे नुकसान की वजह से सेब व सर्दी में होने वाले अन्य फलों की पैदावार 15 से 20 फीसद तक कम होने की आशंका है। यह नुकसान और बढ़ेगा या नहीं यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अप्रैल और मई माह में होने वाली ओलावृष्टि कितना नुकसान पहुंचाती है।
------------ अच्छी गुणवत्ता की फसल मिलने की उम्मीद
बर्फ ने सेब के पेड़ों को बेशक 15 से 20 फीसद तक नुकसान पहुंचाया है। इससे पैदावार का प्रभावित होना भी तय है, मगर इस सबके बीच थोड़ी राहत की बात यह है कि समय-समय पर बर्फ गिरने से सेब की फसल के लिए बिल्कुल अनुकूल सर्द तापमान बरकरार है। तकरीबन एक से डेढ़ दशक बाद समय पर टिकने वाली बर्फबारी हुई है, जिसके कारण सेब व सर्दियों में होने वाली फलों की गुणवत्ता काफी अच्छी होगी।
--------
हेलनेट का प्रयोग कर ओलावृष्टि से बचाव संभव
बागवानी विभाग के अधिकारियों ने कहा कि सेब की फसल को अप्रैल, मई में ओलावृष्टि हर साल नुकसान पहुंचाती है। इस समय सेब के पेड़ों पर आने वाले फूल ओलावृष्टि से गिर जाते हैं। इससे बचाव में हेलनेट बेहद मददगार साबित होती है। उनके मुताबिक प्रति पेड़ पर हेल नेट लगाने का खर्च 400 से 500 रुपये के करीब आता है, जिसमें विभाग किसानों को 50 फीसद सब्सिडी देता है। इससे किसान की प्रति पेड़ हेलनेट की कीमत 200 से 250 रुपये ही रह जाती है। एक बार लगाई गई हेलनेट चार से पांच साल तक खराब नहीं होती, जिससे प्रतिवर्ष प्रति पेड़ हेलनेट का खर्च 40 से 50 रुपये पड़ता है, जो नगन्य है। हेलनेट लगाने से फूल झड़ने से बचते हैं, जिससे किसानों को औसतन 5 से 7 हजार रुपये के फलों की पैदावार अधिक मिलती है। किसानों को इससे लिए जागरूक किया जाता है। कई किसानों ने हेलनेट लगाई भी है, जिसका फायदा उनको मिल रहा है। इससे साथ ही ओलावृष्टि के बाद कारबेंडाजिम दस ग्राम, बोरिरक एसिड 20 ग्राम, जिंक सल्फेट 50 ग्राम और चूना 25 ग्राम 20 लीटर पानी में डाल कर घोल तैयार कर इसका छिड़काव करना चाहिए।
------------
- बर्फबारी से सेब की फसल को हुए नुकसान के आंकड़े पहुंच रहे हैं। अभी तक प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक ज्यादा नुकसान डुडु, बसंतगढ़, लाटी में हुआ है। यहां पर 15 फीसद तक सेबों व अखरोड़ के पेड़ टूटने से नुकसान पहुंचा है। जबकि 20 से 25 तक पेड़ों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। पंचैरी इलाके में भी नुकसान हुआ है, मगर यह कम है। अखरोट के पेड़ों को नुकसान की कोई सूचना नहीं है। अधिक बर्फबारी से सेब की फसल की गुणवत्ता अच्छी रहेगी। आने वाले अप्रैल और मई माह में किसानों को ओलावृष्टि से बचाव के लिए हेलनेट से पेड़ों को सुरक्षित करना चाहिए। साथ ही ओलावृष्टि के बाद किए जाने वाला छिड़काव अनिवार्य रूप से करना चाहिए।
- बृजवल्लभ गुप्ता, मुख्य बागवानी अधिकारी