पुलिस आतंकियों को तलाशती रही शहर के अंदर और हमला हुआ 18 किलोमीटर दूर
बलबीर सिंह जम्वाल किश्तवाड़ पिछले 30 साल से जब भी कोई राष्ट्रीय पर्व आता है तो किश्तवाड़
बलबीर सिंह जम्वाल, किश्तवाड़ : पिछले 30 साल से जब भी कोई राष्ट्रीय पर्व आता है तो किश्तवाड़ व उसके आसपास के इलाकों के लोग सहम जाते हैं कि न जाने कब, क्या हो जाए। हालांकि पिछले कुछ वर्षो से यह डर थोड़ा लोगों के दिलो दिमाग से निकलने लगा था कि अब राष्ट्रीय पर्व आने पर आतंकवादी गतिविधियां नहीं हो रही हैं। इससे लोग थोड़ी लापरवाही भी बरतना शुरू कर दिए थे, लेकिन शुक्रवार को हुए ताजा आतंकी हमले ने फिर लोगों के अंदर डर पैदा कर दिया है।
इस वर्ष न जाने पुलिस के पास ऐसी कौन सी सूचना मिली थी कि उन्होंने गणतंत्र दिवस के चार दिन पहले ही किश्तवाड़ के सारे नाके सील कर दिए गए थे और हर आने-जाने वाले वाहन की तलाशी ली जा रही थी। ऐसा नहीं है कि एक नाके से तलाशी देकर निकलने पर दूसरे नाके पर तलाशी नहीं होती थी। कुलिंद चौक से निकलते पर वहां तलाशी होती है। उसके बाद अगर जलना की तरफ जाना हो तो वहां भी तलाशी होती है और उसके बाद धूल में सेना की पोस्ट पर भी। वही हाल किश्तवाड़-संथन सड़क का भी था। वहां भी एसएसपी ऑफिस से लेकर भंडार कोर्ट तक आपको कई नाके मिलेंगे, जहां पर तलाशी होती है और पहचान भी बतानी पड़ती। यह सिलसिला शहर के आसपास ही चल रहा था और सुरक्षाबलों को इस बात की कोई भनक तक नहीं थी कि शहर से बाहर भी राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोई घटना घट सकती है। लेकिन शहर से 18 किलोमीटर दूर डेडपैठ में पुलिस की गाड़ी पर ग्रेनेड फेंका गया। यह कोई मामूली बात नहीं है। ऐसा लग रहा है कि आतंकवादी सुरक्षाबलों को यह इशारा दे रहे हैं कि हम यहीं पर हैं। अब ऐसा लगने लगा है कि आने वाले तीन दिन काफी जोखिम भरे होंगे। किसी समय 90 के दशक में यह स्थिति होती थी कि जब भी राष्ट्रीय पर्व आता था तो लोग शाम के 5 बजे ही अपने घरों में दुबक जाते थे कि क्या पता किस तरफ से किसी धमाके की आवाज आए और आज भी ऐसा ही महसूस किया जा रहा है। ग्रेनेड फटने की घटना के बाद शुक्रवार शाम को पूरा इलाका शाम ढलते ही सुनसान सा हो गया और लोग अपने घरों के अंदर चले गए। अब अगले तीन दिन सुरक्षाबलों के लिए काफी जोखिम भरे दिन हैं। इन तीन दिनों में यह पता चल पाएगा कि आखिर आतंकवादी किस राह पर चल रहे हैं। देखा जाए तो पुलिस रिकार्ड के मुताबिक इलाके में जहांगीर सरूरी, रियाज, मुदस्सर ही सक्रिय आतंकवादी हैं और दो महीने पहले आंतकी बना सलीम के बारे में कहा जा रहा है कि वह शोपियां इलाके में है। ऐसे में यह लग रहा है कि किश्तवाड़ इलाके में कुछ और बाहरी आतंकी सक्रिय हो गए हैं।