आम, अमरूद व नींबू प्रजाति की फसलों के लिए संजीवनी साबित होगी बारिश
अमित माही ऊधमपुर मौसम की मार का असर सिर्फ लोगों पर ही नहीं पड़ रहा बल्कि फलदार फ
अमित माही, ऊधमपुर :
मौसम की मार का असर सिर्फ लोगों पर ही नहीं पड़ रहा, बल्कि फलदार फसलों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। लंबे समय से अच्छी बारिश न होने और लगातार पड़ रही भीषण गर्मी के प्रभाव से इस बार जिले की आम, अमरूद व नींबू प्रजाति की फसलों की पैदावार और गुणवत्ता ही नहीं, स्वाद भी प्रभावित होना तय है। मौसम की मार की वजह से पैदावार और गुणवत्ता 20 फीसद तक कम होने की आशंका है। मगर पिछले दो दिनों से रोज हो रही हल्की बारिश फसलों को और ज्यादा नुकसान से बचाएगी। हालांकि तेज हवा से नुकसान का खतरा बरकरार है।
पिछले करीब डेढ़ माह से अच्छी बारिश नहीं हुई। करीब एक पखवाड़ा पहले थोड़ी सी बारिश हुई थी, उसके बात कुछ एक बार बूंदाबांदी भी हुई। मगर अच्छी बारिश न होने के कारण मौसम शुष्क बना हुआ है। इससे अधिकतम पारा चढ़ता जा रहा है। गर्मी और शुष्क मौसम के कारण लोगों का तो बुरा हाल हो ही रहा है, जिले के गर्म रहने वाले इलाकों में फलदार फसलों पर इस गर्म मौसम का बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
मुख्य बागवानी अधिकारी ऊधमपुर राजेंद्र कुमार ने बताया कि जिले में 11723 हेक्टेयर भूभाग में आम, अमरूद, नींबू व नींबू प्रजाति की प्रमुख फसलों के अलावा अन्य फलदार फसलें लगी हैं, जिनसे इस वर्ष अनुमानित 27084 हजार मीट्रिक टन फसलों की पैदावार होने का अनुमान था। मगर पिछले डेढ़ माह से पड़ रही गर्मी और बारिश न होने की वजह से शुष्क मौसम के कारण फलों की पैदावार प्रभावित होगी। अब तक मौसम के प्रभाव से पैदावार, गुणवत्ता और फलों का आकार सामान्य से 15 से 20 फीसद कम रहने का अनुमान है। मगर हाल ही में हुई हल्की बारिश के कारण स्थिति बेहतर होगी। इससे और ज्यादा पैदावार और गुणवत्ता प्रभावित नहीं होगी। इसी तरह से नियमित अंतराल पर बारिश होती रही तो प्रभाव और नुकसान दोनों थोड़े कम भी हो सकते हैं। हालांकि हवा की वजह से फसलों को नुकसान पहुंचने का खतरा अभी भी है।
बागवानी विभाग के सब्जेक्ट मैटर स्पेशलिस्ट रेवती रमन शर्मा के मुताबिक जिले के गर्म इलाकों में आम, अमरूद, नींबू के अलावा नींबू प्रजाति की फसलें प्रमुख रूप से लगती हैं। जिले में लगने वाली आम की कुल फसल में से 60 फीसद फसल टिकरी, मजलाता, रिट्टी और ऊधमपुर में लगती है। इसी तरह से जिले में लगने वाली नींबू और नींबू प्रजाति की फसलों में से 70 फीसद पैदावार ऊधमपुर, टिकरी, मलाड़, रामनगर और मजालता इलाकों में होती है। जबकि अमरूद की कुल फसल में आधी पैदावार टिकरी और ऊधमपुर इलाकों से प्राप्त होती है।
शर्मा ने कहा कि इन फसलों पर मार्च में फूल आने शुरू हो गए थे और अप्रैल में फूलों के फलों में बदल कर आकार लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। इस प्रक्रिया के दौरान पानी की सख्त जरूरत होती है। ऊधमपुर जिले में छह फीसद ही सिंचाई योग्य जमीन है, जबकि 94 फीसद भूभाग सिंचाई के लिए वर्षा पर निर्भर है। ऐसे में डेढ़ माह से अच्छी बारिश न होने के कारण मौसम गर्म और शुष्क बना हुआ है। इससे फूलों के फल में बदलने के बाद विकास की प्रक्रिया प्रभावित हुई। कई बार बादल छाए और हल्की बारिश भी हुई, मगर जरूरत के मुताबिक बारिश न होने से पर्याप्त पानी के अभाव में नमी न बनने से फलों के विकास पर असर पड़ा है। इससे जहां इस बार फलों का आकार 20 फीसद तक कम रहेगा, वहीं इतनी ही पैदावार भी कम होगी। मौसम का प्रभाव फलों के स्वाद और गुणवत्ता को भी कवर करेगा। हालांकि हाल ही में हुई बारिश बहुत ज्यादा तो नहीं हुई है, मगर इससे जितना पानी और नमी हो गई है, इससे फसलों को और ज्यादा नुकसान नहीं होगा। इसी तरह से थोड़े अंतराल पर ऐसी बारिश होती रही तो नुकसान का प्रभाव कम भी हो सकता है। मौसम से चिंतित किसानों को मिली राहत :
आम की फसल लगाने वाले सुनाल निवासी काली दास, नींबू की फसल लगाने वाले जगानू के सुभाष चंद्र व रिट्टी के प्रेम चंद, अमरूद की फसल लगाने वाले सुंदरानी निवासी चैन सिंह ने कहा कि इस बार मौसम की वजह से उनको नुकसान होता नजर आ रहा है। जब से पौधों पर फल लगने शुरू हुए हैं, बारिश न होने की वजह से सूखे की वजह से फसल प्रभावित हो रही है। कुछ दिन से आसमान में बादल छा रहे थे, मगर थोड़ी सी बारिश हो रही थी। मौसम की वजह से फलों का जितना विकास होना चाहिए था, उतना नहीं हो पाया। अब तक 20 प्रतिशत तक नुकसान हो चुका है। अगर बारिश न होती तो नुकसान और बढ़ता, मगर पिछले दो दिनों से रोज बारिश होने से नमी बनेगी, जिससे फसलों को फायदा होगा। अब और नुकसान नहीं होगा। हां हवा के कारण कुछ नुकसान होने की आशंका अभी भी है।