मचैल यात्रा पर फैसला हुआ नहीं, हेलीकॉप्टर का किराया तय
मचेल यात्रा पर अभी तक ना तो प्रशासन ने और ना ही सरकार ने कोई फैसला लिया है। इस वर्ष यात्रा चलेगी भी यह भी निश्चित नहीं है। लेकिन किश्तवाड़ प्रशासन ने कुछ दिन पहले हेलीकॉप्टर के टेंडर करवा दिए है।
बलवीर सिंह जंवाल, किश्तवाड़ : मचेल यात्रा पर अभी तक ना तो प्रशासन ने और ना ही सरकार ने कोई फैसला लिया है। इस वर्ष यात्रा चलेगी भी, यह भी निश्चित नहीं है। लेकिन किश्तवाड़ प्रशासन ने कुछ दिन पहले हेलीकॉप्टर के टेंडर करवा दिए है। मचेल आने-जाने का किराया 5560 रखा गया है। यह किराया पिछले दो साल से ज्यादा है। 2019 में यह किराया 4550 और 2018 में 4400 रुपये गुलाबगढ़ से मचेल तक आने-जाने का था।
हेलीकाप्टर का किराया तय किए जाने से ऐसा माना जा रहा है कि हो सकता है उपराज्यपाल अमरनाथ यात्रा की तरह मचेल यात्रा को भी थोड़े दिन चलने की इजाजत दें और यात्री पैदल या हेलीकॉप्टर से मचेल में माता चंडी के दरबार में माथा टेक सकेंगे।
जिला किश्तवाड़ के इलाके की प्रसिद्ध माता चंडी के दरबार मचेल में हर वर्ष 25 जुलाई से यात्रा शुरू होती है। इसके लिए बंदोबस्त भी पहले से ही शुरू हो जाते हैं। जैसे कि गुलाबगढ़ से मचेल तक रास्ते को बनवाना चिकित्सा विभाग की तरफ से चिकित्सा कैंप और अधिकारियों, पैरामेडिकल स्टाफ और डॉक्टरों की तैनाती, बिजली-पानी और लंगर की व्यवस्था भी पहले से ही की जाती है। लेकिन अभी तक इस बारे में कहीं से भी कोई हरी झंडी दिखाई नहीं दे रही है। ना ही संस्था की तरफ से कोई सुझाव या पैगाम आया है और ना ही प्रशासन की तरफ से। इस बीच प्रशासन द्वारा हेलीकॉप्टर के टेंडर करवा दिए जाने से यात्रा होने की उम्मीद भक्तों में जगी है।
सामान्य हालात में यात्रा की पवित्र छड़ी 18 अगस्त को किश्तवाड़ में पहुंचती है और 19 अगस्त को किश्तवाड़ से चलकर 22 अगस्त को मचेल दरबार में पहुंचती है। 24 को छड़ की वापसी होती है। यह परंपरा काफी वर्षों से चली आ रही है। लेकिन अभी तक यह भी नहीं कहा जा सकता कि इस बर्ष सिर्फ पवित्र छड़ी को ही जाने की इजाजत होगी या उससे पहले या उसके साथ यात्री भी जा सकेंगे या नहीं।