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मचैल यात्रा को लेकर प्रशासन के समक्ष कई चुनौतियां

बलवीर सिंह जम्वाल किश्तवाड़ मचैल यात्रा शुरू होने में मात्र ढाई महीने का समय ही बचा है

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 06:16 AM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 06:16 AM (IST)
मचैल यात्रा को लेकर प्रशासन के समक्ष कई चुनौतियां

बलवीर सिंह जम्वाल, किश्तवाड़ :

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मचैल यात्रा शुरू होने में मात्र ढाई महीने का समय ही बचा है। 25 जुलाई को यात्रा शुरू हो जाएगी, लेकिन इसको लेकर प्रशासन की तैयारियां काफी सुस्त गति से चल रही हैं। सड़कें बदहाल हैं, मचैल इलाके में डेढ़ साल से बिजली आपूर्ति ठप है। मोबाइल नेटवर्क कहीं मिलता है तो कहीं नहीं। ऐसे में यात्रा को लेकर प्रशासन के समक्ष कई चुनौतियां हैं।

यात्रा को सफल बनाने के लिए किश्तवाड़ जिला प्रशासन व डिविजनल कमिश्नर आफिस में अभी तक सिर्फ चर्चाएं ही चल रही हैं। गत सोमवार को डिविजनल कमिश्नर आफिस से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई है, जिसमें कई तरह की योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन ये योजनाएं तब सफल हो पाएंगी जब जमीनी स्तर पर इस पर अमल होगा। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो गुलाबगढ़ से लेकर मचैल तक सड़क और पैदल चलने वाले रास्ते की हालत काफी खस्ता है। पीएमजीएसवाई के तहत गुलाबगढ़ से कुंडेल तक 16 किलोमीटर सड़क बनाई गई है, लेकिन 16 किलोमीटर का सिर्फ दावा है। असल में देखा जाए तो मसू तक 10 किलोमीटर ही सड़क सही तरीके से बनी है। उसके आगे सड़क अभी खस्ताहाल है।

पिछले वर्ष 27 अप्रैल को कुंडेल के पास चाट्टू में बादल फटने से भोट नाला का पानी बढ़ गया था, जिससे कुछ पुल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे, जिनमें एक कुंडेल का पुल भी था। करीब एक महीने के बाद कुंडेल के पुल को अस्थायी तौर पर बनाया गया और कहा गया कि पक्का लोहे का पुल जल्दी ही तैयार हो जाएगा, लेकिन दस महीने बीत चुके हैं अभी तक लोहे के पुल का काम भी शुरू नहीं हुआ है। वहीं, जो लकड़ी का पुल अस्थायी तौर पर बनाया गया था, भोट नाला में पानी चढ़ते ही उसके बह जाने का खतरा है।

इसके साथ ही कुंडेल से लेकर चशोती तक रास्ते की हालत बहुत खराब है। वहां पर लोग जान जोखिम में डालकर सफर करते हैं। अब पिछले छह दिनों से चशोती का पुल भी बह गया है और कच्चा लकड़ी का पुल बनाया जा रहा है। लोहे के पुल को बनने में अभी काफी समय लग सकता है। यह सारी जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की है, लेकिन पीडब्ल्यूडी अपनी मर्जी से काम चला रहा है।

पिछले डेढ़ साल से ज्यादा समय से मचैल इलाके में बिजली आपूर्ति पूरी तरह से ठप है। मोबाइल नेटवर्क कहीं मिलता है तो कहीं नहीं। ऐसे में यात्रा को लेकर प्रशासन के सामने काफी चुनौतियां हैं। तीन साल के बाद शुरू होगी यात्रा : इस साल यात्रा तीन साल बाद शुरू हो रही है। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने की वजह से यात्रा बंद कर दी गई और दो बार कोविड की वजह से बंद रही। अब तीन साल के बाद यात्रा में काफी संख्या में यात्रियों के आने की संभावना है। पहले तो यात्रा के सारे बंदोबस्त सर्वशक्ति सेवा संस्था करती थी, लेकिन इस बार अदालत के आदेश के मुताबिक यात्रा डिविजनल कमिश्नर जम्मू की देखरेख में जिला उपायुक्त (डीसी) किश्तवाड़ अशोक शर्मा के जिम्मे है। डीसी एसडीएम पाडर के साथ मिलकर इस यात्रा को संचालित करेंगे। जब अदालत ने यह फैसला दिया था कि मचैल यात्रा को श्राइन बोर्ड चलाएगा। जब तक श्राइन बोर्ड इसे नियंत्रण में नहीं ले लेता तब तक यात्रा की देखरेख डिविजनल कमिश्नर के जिम्मे होगी। तब हमें इस बात की खुशी हुई थी कि अब प्रशासन इलाके की परेशानियां दूर कर देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

- ठाकुर रगेल सिंह, निवासी मचैल जब तक कुंडेल से मचैल तक रास्ते को ठीक नहीं करवाया जाता, तब तक सारे दावे खोखले साबित होंगे, क्योंकि इलाके में सामान कुंडेल से आगे घोड़े व खच्चर पर ही जाता है। रास्ता पूरी तरह से खराब है। खच्चर वाले यहां पर आने का जोखिम नहीं उठाते। ऐसे में मचेल यात्रा के लिए लंगरों का सामान लाने में असुविधा होगी।

- राकेश राणा, निवासी चशोती


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