विलय दिवस पर याद की गई बिग्रेडियर राजेंद्र सिंह की बहादुरी
ऊधमपुर में भूतपूर्व सैनिकों ने भी विलय दिवस को पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया। इस दौरान अमर शहीद ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह महावीर चक्र को श्रद्धांजलि दी गई।
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : ऊधमपुर में भूतपूर्व सैनिकों ने भी विलय दिवस को पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया। इस दौरान अमर शहीद ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह महावीर चक्र को श्रद्धांजलि दी गई।
जम्मू-कश्मीर एक्स सर्विसेज लीग के कार्यालय में सोमवार को एक कार्यक्रम किया गया, जिसकी अध्यक्षता लीग के जिला प्रधान दलबीर सिंह भतेयाल कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 21-22 अक्टूबर, 1947 को जब पाकिस्तान की ओर से कश्मीर पर अचानक हमला किया गया तो जम्मू-कश्मीर एक स्वतंत्र राज्य था। महाराजा हरि सिंह जी ने ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह को आदेश दिया कि स्वयं उस सीमा पर जाकर पूरे हालात का जायजा लें और उचित कार्रवाई करें। ब्रिगेडियर सिंह ने बादामी बाग छावनी में उपलब्ध लगभग एक सौ सैनिकों के साथ 22 अक्तूबर को दोमेल (मुजाफ्फराबाद) की ओर कूच किया था। तब तक पाकिस्तानी हमलावरों ने मुजफ्फाराबाद पर हमला कर श्रीनगर की ओर कूच कर दिया था। 23 अक्तूबर को गढ़ी के स्थान पर आगे बढ़ रहे शत्रु से पहली झड़प में ही उन्हें अंदाजा हो गया था कि हमलावार पाच हजार से अधिक ही होंगे। इस लिए कोई ऐसा ढंग अपनाना पडे़गा कि शत्रु को रोका जा सके और महाराजा को भारत से विलय करने का पर्याप्त समय भी मिल जाए। आखिरकार दिन में लड़ाई में उलझाए और रात को पीछे हट कर नई मोरचाबंदी की नीति अपनाई गई। 26 अक्टूबर को महाराजा हरि सिंह जी ने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए। वहीं पीछे हट कर नई मोरचाबंदी से पूर्व ही शत्रु ने बिगेडियर सिंह को उनके बचे सैनिकों समेत बौनियार में घात लगाकर रोक दिया। वह स्वयं ट्रक चला रहे थे तभी गोलियों की बौछार से वह बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें आखिरी बार उसी रात दो बजे के करीब देखा गया था। आज जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं। इसमें ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह की भी अहम भूमिका है। इस मौके पर सूबेदार मेजर करनैल सिंह, सुबेदार कुलबीर कटोच, नायक संजय कुमार, रफी वानी व पवनदेव सिंह आदि ने श्रद्धाजलि अíपत की।