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पूजा-अर्चना के साथ लोगों ने बैसाखी मेलों का उठाया लुत्फ

संवाद सहयोगी, रियासी : रियासी व आसपास के क्षेत्रों में बैसाखी पर्व धूमधाम से मनाया गया। बैसाखी पर्व

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Apr 2018 01:30 AM (IST)Updated: Sun, 15 Apr 2018 01:30 AM (IST)
पूजा-अर्चना के साथ लोगों ने बैसाखी मेलों का उठाया लुत्फ
पूजा-अर्चना के साथ लोगों ने बैसाखी मेलों का उठाया लुत्फ

संवाद सहयोगी, रियासी : रियासी व आसपास के क्षेत्रों में बैसाखी पर्व धूमधाम से मनाया गया। बैसाखी पर्व पर रियासी में विभिन्न स्थानों पर बैसाखी मेले का आयोजन किया गया। रियासी के महादेव मंदिर में बैसाखी मेले के दौरान खाने-पीने व खिलौने आदि के स्टॉल लगाए गए थे, जहां बच्चों ने खिलौनों की खूब खरीदारी की और बच्चों के साथ-साथ बड़ों ने खाने-पीने के स्टॉलों पर अलग-अलग व्यंजनों का लुत्फ उठाया। वहीं, मेले में आए लोगों ने महादेव मंदिर में आप शंभू के दर्शन कर माथा टेका।

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उधर, रियासी से लगभग 8 किलोमीटर दूर काशी शिव मंदिर पर भी बैसाखी मेले का आयोजन किया गया। बड़ी संख्या में सुबह कस्बे व आसपास के लोग काशी के स्थान पर पहुंचे और लोगों ने चिनाब नदी में डुबकी लगाकर काशी शिव मंदिर में माथा टेका। उधर, डेरा बाबा धार्मिक स्थान पर तीन दिवसीय बैसाखी मेले के अंतिम दिन शनिवार को कीर्तन दरबार आयोजित किया गया, जिसमें रागी जत्थे शामिल हुए। मेले के अंतिम दिन राज्यमंत्री एवं स्थानीय विधायक अजय नंदा मुख्य रूप से पहुंचे और गुरुद्वारे में माथा टेका।

उधर, मेले में स्थानीय दुकानदारों द्वारा विभिन्न चीजों के स्टॉल सजाए गए, जिनमें खाने-पीने से लेकर खिलौने आदि शामिल हैं। मेले में आए बच्चे खिलौनों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं, तो वहीं अन्य लोग खाने-पीने की चीजों का लुत्फ उठा रहे हैं। यहां आए श्रद्धालु गुरुद्वारा में माथा टेक कर खुद को निहाल कर रहे हैं। गुरुद्वारा में बाबाजी के रखे अस्त्र-शस्त्र और बस्तर आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इसी के साथ गुरुद्वारा प्रांगण में बेरी साहिब के समक्ष भी लोग माथा टेक रहे हैं, जिसके बारे में बताया जाता है कि बाबा बंदा बहादुर ¨सह ने दो वर्ष तक बेरी के इसी पेड़ के नीचे बैठ कर तप किया था। गुरुद्वारा प्रांगण में लकड़ी के एक ही टुकड़े का 40 फीट ऊंचा निशान साहिब भी भक्तों के आकर्षण और श्रद्धा का केंद्र है। इस निशान साहिब को बाबा बंदा बहादुर ¨सह ने खुद अपने हाथों से स्थापित किया था। यह भी बता दें कि बाबा बंदा बहादुर ¨सह ने डेरा बाबा के इस स्थान पर दो वर्ष डेरा डालकर तप किया था, तभी से इस जगह का नाम डेरा बाबा बंदा बहादुर ¨सह पड़ गया। वर्तमान में बाबा बंदा बहादुर ¨सह के 10वें वंशज व इस स्थान के गद्दीनशीन बाबा जितेंद्र पाल ¨सह सोढ़ी की देखरेख में इस स्थान पर हर वर्ष तीन दिवसीय बैसाखी मेला लगता है।


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