Move to Jagran APP

पहले दांत निकलवाने की लोग करते थे जिद, आज हर कोई बचाना चाहता है

जनवरी 2021 से जिला अस्पताल में डेंटल ओपीडी बढ़नी शुरू हो गई है। जनवरी से लेकर 19 मार्च 2021 तक डेंटल ओपीडी में 2000 से ज्यादा मरीज आकर उपचार करवा चुके हैं। दांत मानव शरीर का काफी अहम अंग है।

By Edited By: Published: Sat, 20 Mar 2021 07:40 AM (IST)Updated: Sat, 20 Mar 2021 08:01 AM (IST)
पहले दांत निकलवाने की लोग करते थे जिद, आज हर कोई बचाना चाहता है
कोरोना की वजह से पिछले वर्ष से मरीज कम हुए, मगर अब फिर से मरीजों की संख्या बढ़ रही है।

अमित माही, ऊधमपुर : डाक्टर साहब मेरा दांत अगर बच सकता है, तो प्लीज इसे बचाने का प्रयास करें। कभी दांत दर्द सहित दांत की हर समस्या का उपचार उसे निकलवा देना समझने वाले अब अपने दांतों को बचाने के प्रति जागरूक हो रहे हैं, मगर पांच साल पहले स्थिति ऐसी नहीं थी। क्योंकि तब दांत की हर तकलीफ का पहला और आखिरी हल लोगों को दांत निकलवा देना ही लगता था।

loksabha election banner

पिछले पांच साल में लोगों की इस सोच में बदलाव लाने में जिला अस्पताल के दंत चिकित्सकों की जागरूकता ने अहम भूमिका निभाई है। ऊधमपुर जिला अस्पताल में डेंटल ओपीडी की शुरुआत फरवरी 2016 में हुई थी। शुरुआत में प्रतिदिन औसतन 25 से 30 ही मरीज जांच व उपचार के लिए डेंटल ओपीडी में आते थे, मगर पिछले पांच साल में यह आंकड़ा बढ़ कर दोगुना हो गया है। हालांकि कोरोना की वजह से पिछले वर्ष से मरीज कम हुए, मगर अब फिर से मरीजों की संख्या बढ़ रही है।

शुरू में नौ से दस ओपीडी रहती थी, मगर इसके बाद संख्या बढ़ती गई। कोरोना महामारी से पहले प्रतिदिन अस्पताल में 70 से 80 मरीज आने लगे। महीने में तीन-चार दिन तो 100 से ज्यादा मरीज रहते थे। डा. नितिन कुडेयार के मुताबिक शुरू में डेंटल सेक्शन में आने वाले मरीजों को यदि यह समझाया जाता था कि उनका दांत उपचार से बच सकता है, फिर भी लोग अपना दांत निकाल देने की ही जिद करते थे, ताकि उनको दोबारा तकलीफ न हो।

मगर पिछले पांच साल में लोगों की सोच और दांत की तकलीफ में दांत निकलवा देने की आदत और मानसिकता बदली है। आज हालत यह है कि मरीज खुद ही उनसे दांत को किसी भी तरह से बचा लेने को कहते हैं। यह सकारात्मक बदलाव है। यही कारण है कि पिछले दो साल में दांत निकलवाने का आंकड़ा कम हुआ है और दांतों का रूट कनाल ट्रीटमेंट(आरसीटी) कराने वालों का आंकड़ा बढ़ा है। उन्होंने बताया कि कोरोना से पहले तक अस्पताल के डेंटल सेक्शन में प्रतिदिन औसतन 15 तक रूट कैनाल ट्रीटमेंट (आरसीटी), पांच से सात स्के¨लग, औसतन पांच दांत निकाले जाते थे।

इसके अलावा 20 के करीब दांतों में फि¨लग की जाती थी और हर माह चार से पांच सर्जरी की जाती थी, जिसमें हादसों के कारण टूटे जबड़ों सहित मुह की अन्य सर्जरियां शामिल हैं। पहले इस तरह के उपचार के लिए जम्मू या फिर अन्य राज्यों में सरकारी या निजी अस्पतालों में जाना पड़ता था, जिसमें पैसा और समय दोनों ही बर्बाद होता था। मगर जिला अस्पताल में इस तरह की सर्जरी और उपचार में नाम मात्र खर्च आता है। अगर यही उपचार निजी क्लीनिकों में करवाया जाए तो मरीज को हजारों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। जिला अस्पताल में रोजाना चलती है डेंटल ओपीडी जिला अस्पताल में डेंटल ओपीडी रोजाना चलती है। सेक्शन में तीन डेंटल चेयर हैं। एक डेंटल कंसल्टेंट और दो डेंटल सर्जन हैं। इसके अलावा एनएचएम में एक डेंटल सर्जन भी नियुक्त है। इसके अलावा टेक्नीशियन व अन्य स्टाफ भी हैं। जल्द उपचार से दांत को बचाया जाना संभव डा. कुडेयार ने कहा कि दांतों के रोग का उपचार जितनी जल्दी शुरू होगा, उसे बचाने की संभावना उतनी ज्यादा हो जाती है। दांतों के रोग को लोग अक्सर हल्के में लेते हैं। दांत में कीड़ा लगने पर सुराख (कैविटी) होने या अन्य कोई समस्या होने पर उपचार में देरी दांत को गंवा देने की वजह बन सकती है। दांत के उपचार में जितनी देरी होगी, वे उतने ज्यादा खराब होंगे और उन्हें बचा पाना उतना ही मुश्किल होगा। समय पर उपचार करवाया जाए तो दांत को शत-प्रतिशत बचाया जा सकता है। कोरोना महामारी के कारण पिछले साल कम आए मरीज कोरोना महामारी की वजह से मार्च 2020 में लगे लाकडाउन और कोरोना संक्रमण के चलते जिला अस्पताल में मार्च के बाद ओपीडी में मरीजों का आना कम हो गया। मई से लेकर दिसंबर 2020 तक 1,389 मरीजों का ही उपचार किया गया। इनमें से भी ज्यादातर आपात स्थिति वाले मरीज थे, जिनकों हादसों में या अन्य कारणों से समस्या हुई थी।

जनवरी 2021 से जिला अस्पताल में डेंटल ओपीडी बढ़नी शुरू हो गई है। जनवरी से लेकर 19 मार्च 2021 तक डेंटल ओपीडी में 2,000 से ज्यादा मरीज आकर उपचार करवा चुके हैं। दांत मानव शरीर का काफी अहम अंग है। ये न केवल चीजों को चबाने के काम आते हैं, बल्कि दांतों की वजह से चेहरा सुंदर दिखता है। लोगों में दांतों को बचाने और मुख स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता काफी बढ़ी है। पहले लोग दांतों को लेकर काफी लापरवाही बरतते थे, मगर अब ऐसा नहीं है। अपने दांतों, मसू्रड़ों में कोई समस्या पर ही नहीं मुंह में छोटा सा छाला होने पर परामर्श व उपचार के लिए आते हैं।

सह सकारात्मक बदलाव अच्छा है। पहले लोगों को लगता था कि दांत की हर समस्या का केवल एक ही हल उसे निकलवा देना है। मगर आज ऐसा नहीं है, लोग दांत को बचाने के लिए कहते हैं। यहां तक कि जिनके दांतों को निकालने के अलावा कोई चारा नहीं बचता, वे भी कहते हैं कोशिश कर दांतों को बचा लें। खुशी है कि वह और डेंटल सेक्शन की सारी टीम लोगों को जागरूक करने में सफल हो रही है। - डा. नितिन कुडेयार, डेंटल कंसल्टेंट, जिला अस्पताल ऊधमपुर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.