Move to Jagran APP

जुर्माना न होने पर एक ने बेच दिया अपना मवेशी

संवाद सहयोगी रियासी घी निकालने के लिए उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है। लावारिस मवेशियों

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 02:18 AM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 06:23 AM (IST)
जुर्माना न होने पर एक ने बेच दिया अपना मवेशी
जुर्माना न होने पर एक ने बेच दिया अपना मवेशी

संवाद सहयोगी, रियासी : घी निकालने के लिए उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है। लावारिस मवेशियों के मामले में वह कहावत रियासी में चरितार्थ होती दिख रही है। जो पशुपालक बार-बार हिदायतों के बावजूद अपने मवेशियों को कस्बे में लावारिस छोड़ कर कई समस्याएं उत्पन्न करने से बाज नहीं आते थे, प्रशासन और नगर पालिका द्वारा अपनाए गए कारगर तथा सख्त रवैए पर अब उन पशुपालकों को भी अपनी आंखें खोलने पर मजबूर होना पड़ गया है।

loksabha election banner

शुक्रवार को ऐसे 10 पशुपालक नगर पालिका कार्यालय आ पहुंचे, जिनके मवेशी लावारिस तौर पर कैटल पांड में बंद किए गए थे। उन सभी 10 पालकों को अपना मवेशी छुड़ाने के लिए दो-दो हजार रुपये जुर्माना भरना पड़ा। जबकि उनमें से एक पालक के पास जुर्माने की राशि न होने पर उसने अपना मवेशी ही बेच दिया। गौरतलब है कि रियासी कस्बे में लावारिस मवेशियों की समस्या पिछले कई वर्षो से आम लोगों को झेलनी पड़ रही थी। कस्बे में कई लोगों ने मवेशी पाल रखे हैं। जिनमें कई पालक सुबह दूध लेने के बाद अपने मवेशी को बिना चारा डाले घर से बाहर खदेड़ देते थे। भूख शांत करने के लिए मवेशी चारे की तलाश में बाजार, गलियों तथा चौराहों पर भटकते रहते थे। इससे न केवल जाम, दुर्घटनाओं तथा गंदगी सहित अन्य समस्याओं को बढ़ावा मिल रहा था, बल्कि हादसे में और पॉलीथिन व कचरे आदि खाने से कई मवेशियों की मौत हो जाती थी। नगर पालिका द्वारा कई बार कस्बे में मुनादी कर पालकों को अपने मवेशी संभालने की हिदायतें जारी की गई, लेकिन इसका पशुपालकों पर कोई असर नहीं हुआ। उसके बाद नगरपालिका ने अंजी इलाके में लाखों रुपए की लागत से कैटल पांड का निर्माण करवाया, लेकिन स्टाफ की कमी के कारण नगरपालिका उस कैटल पांड का भी इस्तेमाल करने में असमर्थ रही। जिस पर डीसी इंदु कंबल चिब ने खुद इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कैटल पांड ठेकेदार को सौंपने का फैसला लिया। जिसमें तय किया गया कि कस्बे से लावारिस मवेशियों को पांड तक पहुंचाने की जिम्मेदारी नगर पालिका स्टाफ की होगी। कैटल पांड में बंद मवेशी के चारे तथा अन्य देखरेख सहित जुर्माना करने की रिपोर्ट नगरपालिका कार्यालय में देनी होगी। आखिरकार बीते सोमवार को इस योजना पर काम शुरू हो गया। तीन दिनों में ही कस्बे से तीन दर्जन लावारिस मवेशी पांड में बंद कर दिए गए। वीरवार को तीन पालक अपने मवेशी छुड़ाने पहुंचे, जिनमें प्रत्येक पालक को 2000 रुपये जुर्माना भरना पड़ा। वीरवार को नगर पालिका ने यह हिदायत जारी कर दी कि रविवार से जुर्माने की राशि में पांच सौ रुपए प्रतिदिन जोड़े जाएंगे। जिसका खासा असर देखने को मिला। देरी किए जाने पर जुर्माने की राशि भारी हो जाएगी, इसका ध्यान आते ही शुक्रवार को 10 पालक अपने मवेशी छुड़ाने आ पहुंचे। मवेशी छुड़ाने के एवज में प्रत्येक पालक को 2,000 रुपये जुर्माना भरना पड़ा। उनमें एक पालक के पास जुर्माना भरने के पैसे नहीं थे। जिस पर उसने अपना मवेशी किसी को साढ़े चार हजार रुपए में बेचकर जुर्माने की राशि भरी। इस बारे में कुछ लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि नगर पालिका की कई हिदायतों के बावजूद पालकों पर कोई असर नहीं होता था। लेकिन सख्त रवैया अपनाने पर वही पशुपालक भी अपना रवैया बदलने पर मजबूर हो गए हैं। इससे यह कहावत चरितार्थ होती है कि सीधी उंगली से घी नहीं निकलता। घी निकालने के लिए उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.