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आंसुओं की धार से भी नहीं पिघला आतंकियों का दिल

ग्रामीणों ने हाथ पांव जोड़े, माफी मांगी, करबला का वास्ता दिया, लेकिन निहत्थे लोगों की एक न सुनी।

By BabitaEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 08:03 AM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 08:03 AM (IST)
आंसुओं की धार से भी नहीं पिघला आतंकियों का दिल
आंसुओं की धार से भी नहीं पिघला आतंकियों का दिल

श्रीनगर, नवीन नवाज। 10 मुहर्रम यानी यौम-ए-आशूरा, करबला के शहीदों की शहादत को याद करने और इमान पर डटे रहने के अहद का दिन। शुक्रवार को यही पाक दिन था और करबला से सैकड़ों मील दूर कश्मीर के शोपियां में इस्लाम के नाम पर कश्मीर में मासूमों का खून बहाने वाले धर्मांध जिहादी तत्वों ने तीन पुलिसकर्मियों को अगवा कर मौत के घाट उतार दिया। करबला में जिस तरह यजीदी फौजों ने इमाम हुसैन की एक न सुनी, उसी तरह खुद को इस्लाम का पैरोकार कहने वाले जिहादी तत्वों ने बटगुंड और कापरन के ग्रामीणों और निहत्थे पुलिसकर्मियों की कोई बात नहीं सुनी। उनका दिल अगवा पुलिसकर्मियों के मासूम बच्चों की आंसुओं की धार से भी नहीं पिघला।

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सुबह सवेरे ही आतंकी बटगुंड में पहुंच गए और विभिन्न पुलिसकर्मियों के घरों में दस्तक देना शुरू कर दी। किसी को पीटा तो किसी को धमकाया और सात बजे के करीब जब वह गांव से बाहर निकले तो चार लोगों को बंधक बनाकर निकले। ग्रामीणों ने उनके हाथ पांव जोड़ माफियां मांगी, उनकी हर शर्त पूरी करने

का यकीन दिलाया। करबला का वास्ता भी दिया, लेकिन उन्होंने एक न सुनी। सुनते भी क्यों, वह करबला दोहराने आए थे। डरे सहमे ग्रामीण गोलियों के डर से पीछे हट गए और अपने परिजनों को आतंकियों के साथ जाते देखते रह गए।

 

करीब डेढ़ घंटे बाद ग्रामीणों ने गोलियों की आवाज सुनी। उन्हें लगा कि आतंकी घेरे में फंस गए और सुरक्षाबल उनके परिजनों को जिंदा ले आएंगे, लेकिन उनकी उम्मीद पूरी नहीं हुई। उनके परिजनों को आतंकियों ने करीब दो किलोमीटर दूर गोलियों से भून दिया था। पूरे गांव में मातम पसर गया औरकरबला की चीत्कारें बटगुंड में फिर सुनाई देने लगी।

पुलिस कांस्टेबल निसार अहमद धोबी का शव जैसे ही उसके घर में पहुंचा तो शायद ही कोई ऐसा होगा, जिसने छाती न पीटी हो। 24 वर्षों से पुलिस में कार्यरत निसार ने अपने घर से दूर श्रीनगर में ही अधिकांश समय नौकरी की थी। उसके परिवार में अब उसकी बूढे मां-बाप और एक बेटी व बेटा रह गए हैं। उसके घर में मौजूद उसके एक करीबी रिश्तेदार ने कहा कि काश आतंकियों ने उसे एक मौका दिया होता, वह जरूर इस्तीफा दे देता। गांव में शायद ही कोई ऐसा होगा, जो निसार के बारे में कोई बुरी बात कह सके।

निसार के घर से चंद किलोमीटर की दूरी पर दो और लाशें आई। इनमें एक कुलदीप सिंह की थी और दूसरी फिरदौस अहमद कूचे की। पूरे बटगुंड में कुलदीप सिंह का परिवार एकमात्र हिंदू  परिवार है। वह अपने घर में अकेला कमाने वाला था। उसकी बूढ़ी मां को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसके बुढ़ापे की लाठी क्यों छिन गई। कुलदीप के दो बच्चे हैं, बेटी की उम्र करीब दस साल है।

उसकी बीवी जम्मू में अपने एक रिश्तेदार के पास आई हुई थी जो अपने पति की शहादत की खबर मिलने के बाद देर शाम वापस पहुंची। कुलदीप का अंतिम संस्कार शनिवार को होगा। कुलदीप की मां ने कहा कि मैंने बंदूकधारियों से कहा था कि मेरे बेटे ने पुलिस की नौकरी छोड़ दी है। वह अब कुलगाम में रेडीमेड कपड़ोंं की दुकान कर रहा है। वह उसकी टांग में गोली मार देते, मुझे मार देते। मेरा दूसरा बेटा भी फोर्स में था, उसने कुछ समय पहले स्वेच्छा से नौकरी छोड़ी है और अब एक बैंक में काम कर रहा है। मैंने कहा कि हम यहां आपको किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा सकते।

कुलदीप के घर से करीब 50 मीटर की दूरी पर एसपीओ फिरदौस अहमद कूचे के घर में भी मातम पसरा हुआ था। उसके परिवार में उसकी मां, उसकी पत्नी और दो बच्चे रह गए हैं। बड़ा बेटा चार साल का है, जबकि दूसरा मां की गोद में ही है। उसके घर की हालत मुफलिसी की कहानी अपने आप सुना रही थी। बैन कर रही उसकी पत्नी को दिलासा देने का प्रयास करने वालों को खुद समझ नहीं आ रहा था कि वह उसे क्या कहें। वहां मौजूद एक ग्रामीण ने कहा कि आतंकियों ने फिरदौस को नहीं उसके पूरे परिवार का कत्ल किया है। समझ में नहीं आता कि अब इस परिवार का क्या होगा, वही अकेला कमाने वाला था।

 

निसार और फिरदौस को दोपहर बाद उनके पैतृक कब्रिस्तानों में सुपुर्दे खाक कर दिया गया। बटगुंड और कापरन में ही नहीं आसपास के इलाकों में भी माहौल गमगीन था। शहीद पुलिसकर्मियों के जनाजे में शामिल होने के बाद श्रीनगर लौट रहे एक पुलिसकर्मी अल्ताफ अहमद ने कहा कि मैंने करबला की शहादत और वहां हुए जुल्म के बारे में सिर्फ पढ़ा था, सुना था। लेकिन बटगुंड और कपरन में मैने करबला की तकलीफ को कम महसूस किया है।

बांडीपोर बंद रहा, यातायात ठप

उत्तरी कश्मीर के बांडीपोर जिले के सुंबलर शोकबाबा क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में दो आतंकियों की मौत के विरोध में शुक्रवार को क्षेत्र में व्यापारिक प्रतिष्ठान, शैक्षणिक संस्थान तथा निजी कार्यालय बंद रहे। यातायात भी ठप रहा। हालात  देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध कर रखे थे। इस क्षेत्र में गत वीरवार से सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में अभी तक दो आतंकी मारे गए हैं, जबकि मुठभेड़ अभी जारी है। 


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