आतंकियों ने रची नई साजिश, सभी संगठनों ने मिलाया हाथ
कश्मीर में सक्रिय विभिन्न आतंकी संगठन अब मिलकर आतंकी हमलों को अंजाम देने में लगे हैं। आतंकियों की इस नई साजिश का पता गत गुरुवार को भाजपा नेता अनवर खान के मकान पर हुए हमले की जाच के दौरान हुआ है। यह हमला लश्कर-ए-तैयबा के हिट स्क्वाड और छद्म संगठन कहे जाने वाले टीआरएफ ने अल-बदर के आतंकियों ने साथ मिलकर किया था।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर में सक्रिय विभिन्न आतंकी संगठन अब मिलकर आतंकी हमलों को अंजाम देने में लगे हैं। आतंकियों की इस नई साजिश का पता गत गुरुवार को भाजपा नेता अनवर खान के मकान पर हुए हमले की जाच के दौरान हुआ है। यह हमला लश्कर-ए-तैयबा के हिट स्क्वाड और छद्म संगठन कहे जाने वाले टीआरएफ ने अल-बदर के आतंकियों ने साथ मिलकर किया था। हमले में लिप्त अल-बदर के आतंकी शुक्रवार को गठपोरा (पुलवामा) मुठभेड़ में मारे गए हैं।
आइजीपी विजय कुमार ने बताया कि हम पुलवामा में टीआरएफ के आतंकियों का पीछा करते हुए पहुंचे थे और जब मुठभेड़ हुई तो पता चला कि अल-बदर के आतंकी हैं। इससे पूर्व 25 मार्च को शोपियां में भी एक मुठभेड़ के दौरान दो आतंकी इनायतुल्ला शेख और आदिल मलिक मारे गए थे। आदिल का संबंध लश्कर से था और इनायतुल्ला हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी था। उन्होंने कहा कि आतंकी संगठन पहले भी कई बार किसी जगह विशेष पर हमले की साजिश या अपनी गतिविधियां में तेजी लाने जैसे मुद्दों पर आपस में गठजोड़ करते थे, लेकिन जब भी वारदात अंजाम देते थे तो अकेले देते थे, दूसरे संगठन की मदद सिर्फ लाजिस्टिक या ठिकाने की सहायता तक सीमित रहती थी।
आइजीपी ने बताया कि भाजपा नेता के मकान पर हमले की वारदात के बाद पकड़े गए तीन ओवरग्राउंड वर्करों से पूछताछ और मार्च में शोपिया में हुई मुठभेड़ से पता चलता है कि आतंकी संगठनों ने अपने कैडर को अन्य संगठनों के कैडर के साथ मिलकर आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए कहा है। आतंकी संगठन अब मिलकर वारदात को अंजाम दे रहे हैं।
आतंकरोधी अभियानों के संचालन में अहम भूमिका निभा रहे केंद्रीय खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि वादी में इस समय आतंकियों का वित्तीय नेटवर्क लगभग तबाह हो चुका है। अधिकाश ओवरग्राउंड वर्कर भी पकड़े जा चुके हैं। नए लड़कों की भर्ती में भी कमी आई है। सरहद पार से नए आतंकियों की घुसपैठ भी लगभग बंद है और हथियारों की भी कमी हो चुकी है। इसलिए आतंकियों ने अब अपने सीमित होते संसाधनों को बचाने व अपनी कार्रवाइयों को मिलकर अंजाम देने की साजिश रची है। इससे सुरक्षाबलों के लिए भी कई बार भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। किसी वारदात को अंजाम देने वाले आतंकियों को जब वह चिह्नित करते हैं तो एक संगठन विशेष से जुड़े आतंकियों का नाम सामने आता है और वह उनके पीछे लग जाते हैं, जबकि चिह्नित आतंकियों का साथ देने वाले दूसरे संगठन के आतंकी बच निकलते हैं। मगर अब एजेंसिया व सुरक्षाबल सतर्क हैं। हमारे लिए ज्यादा मायने नहीं रखता यह गठजोड़ :
एसएसपी इम्तियाज हुसैन मीर ने कहा कि आतंकियों का आपस में मिलकर वारदात अंजाम देना हमारे लिए कोई ज्यादा मायने नहीं रखता। हमारे लिए सभी संगठन और आतंकी एक समान ही हैं। अक्सर आतंकी अपना संगठन भी बदल लेते हैं। लश्कर व अल-बदर के आतंकियों द्वारा मिलकर हमला करना इस बात की गवाही देता है कि उनका सपोर्ट स्ट्रक्चर अब चरमरा चुका है। मतलब यह कि कश्मीर में आतंकवाद अब अपने अंतिम चरण में है और खुद को बचाने के लिए, कश्मीर में आतंकवाद की बुझती आग को जलाए रखने के लिए वह अब सिर्फ नाम के लिए अलग हैं, अन्यथा एक ही हैं।