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नए भूमि कानून: निश्चिंत रहें, जम्मू कश्मीर के किसानों की जमीन सुरक्षित : सिन्हा

उपराज्यपाल ने बुधवार को श्रीनगर के राजबाग स्थित बागवानी परिसर में स्थानीय सेब उत्पादकों के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआइएस) शुरू करते हुए नए भूमि कानूनों पर किसानों की चिंताओं को दूर किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 05:58 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 05:58 AM (IST)
नए भूमि कानून: निश्चिंत रहें, जम्मू कश्मीर के किसानों की जमीन सुरक्षित : सिन्हा
नए भूमि कानून: निश्चिंत रहें, जम्मू कश्मीर के किसानों की जमीन सुरक्षित : सिन्हा

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को कहा कि केंद्र या जम्मू कश्मीर सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी, जिससे यहां के लोगों का अहित हो। जम्मू कश्मीर में भूमि स्वामित्व के कानूनों में संशोधन पर उपजी भ्रम की स्थिति पर उपराज्यपाल ने स्पष्ट किया कि यहां किसी भी किसान की जमीन (कृषि भूमि) नहीं छीनी जाएगी और न ही दूसरे राज्य का कोई व्यक्ति उसकी जमीन खरीद सकेगा। अलबत्ता, औद्योगिक निवेश और रोजगार के अवसर बनाने के लिए गैर कृषि भूमि का यथासंभव सदुपयोग जरूर किया जाएगा।

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उपराज्यपाल ने बुधवार को श्रीनगर के राजबाग स्थित बागवानी परिसर में स्थानीय सेब उत्पादकों के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआइएस) शुरू करते हुए नए भूमि कानूनों पर किसानों की चिंताओं को दूर किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में जमीन के मालिकाना अधिकारों से संबंधित कानूनों में दो बदलावों की एक अधिसूचना 26 अक्टूबर को जारी की है। इसे लेकर विभिन्न वर्गो ने लोगों में भ्रम पैदा करने का प्रयास किया है। इसे दूर करना जरूरी है।

उपराज्यपाल ने कहा कि जम्मू कश्मीर में छोटे किसान हैं। हमें यहां के पर्यावरण, भौगोलिक परिस्थितियों के बारे में पता है। केंद्र या प्रदेश सरकार कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगी, जिससे स्थानीय लोगों का अहित हो। किसी की जमीन छीनी नहीं जा सकती और न ही किसी को जमीन बेचने के लिए मजबूर किया जा सकता है। हमने तो स्थानीय लोगों के हितों को सुरक्षित बनाने और उन्हें लालफीताशाही से बचाने का प्रयास करते हुए भूमि कानूनों में आवश्यक बदलाव किए हैं। यहा किसी किसान की जमीन नहीं छीनी जाएगी और न कोई दूसरे राज्य का व्यक्ति उसकी जमीन खरीद सकेगा। इसका पूरा उपाय किया गया है। उन्होंने कहा कि अगर हमें किसानों के हित का ध्यान नहीं होता तो नैफेड एक बार फिर किसानों से सेब खरीदने के लिए अपनी मंडिया नहीं सजाता। यह योजना लगातार दूसरे साल लागू की गई है।


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