त्राल में परिजनों के समझाने पर आतंकी ने डाले हथियार, मुठभेड़ में साथी ढेर
पुलवामा जिले के नूरपोरा त्राल में आतंकियों के एक दल के छिपे होने की सूचना मिलते ही शाम को पुलिस ने सेना और सीआरपीएफ के जवानों के साथ मिलकर तलाशी अभियान चलाया।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: दक्षिण कश्मीर के नूरपोरा त्राल (पुलवामा) में सोमवार को सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ के दौरान एक आतंकी को आत्मसमर्पण के लिए मना लिया। इससे उसकी जिदगी बच गई, लेकिन उसका एक अन्य साथी नहीं माना और मारा गया। फिलहाल, पकड़े गए आतंकी से पूछताछ जारी है। बीते एक सप्ताह के दौरान कश्मीर में किसी मुठभेड़ के दौरान आतंकियों के आत्मसमर्पण का यह दूसरा मामला है। इससे पूर्व 22 अक्टूबर को सोपोर में अल-बदर के दो आतंकियों ने मुठभेड़ के दौरान आत्मसमर्पण किया था। मारे गए आतंकी की पहचान शौकत अहमद लोन निवासी चुरसू अवंतीपोरा, पुलवामा और आत्मसमर्पण करने वाला गुलशनपोरा, त्राल का रहने वाला साकिब अहमद है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
पुलवामा जिले के नूरपोरा त्राल में आतंकियों के एक दल के छिपे होने की सूचना मिलते ही शाम को पुलिस ने सेना और सीआरपीएफ के जवानों के साथ मिलकर तलाशी अभियान चलाया। एसएसपी अवंतीपोरा ताहिर सलीम ने बताया कि गांव में तीन से चार आतंकियों के आने की खबर मिली थी। आतंकी गांव के बाहरी छोर पर छिपे हुए थे। घेराबंदी देख आतंकी जंगल की तरफ भागने का प्रयास किया। जवानों ने उनका पीछा किया और उन्हें खेतों में घेर लिया। जवानों ने आत्मसमर्पण के लिए कई बार कहा, लेकिन वह फायरिग करते रहे। जवानों ने भी जवाबी फायर किया। करीब आधे घंटे की मुठभेड़ में एक आतंकी मारा गया। दूसरा आतंकी वहीं घेरे में था। फायरिग रोकने के बाद उसे आत्मसमर्पण के लिए मनाने का प्रयास किया गया। लाउडस्पीकर पर उससे कहा किया कि अगर आत्मसमर्पण करने का मौका नहीं ठुकराया जाता तो उसका साथी नहीं मारा जाता। इसलिए अब उसके पास भी दो ही विकल्प हैं, वह सरेंडर करे तो बेहतर है, अन्यथा पकड़ा जाएगा या मारा जाएगा। अगर सरेंडर करता है तो उसके साथ नरमी बरती जाएगी। कुछ समय पहले ही बना था आतंकी
एसएसपी ने बताया कि सरेंडर कराने के लिए आतंकी के कुछ परिजनों की मदद ली गई। काफी समझाने के बाद रात नौ बजे उसने हथियार डाल दिए। उसके मारे गए साथी का शव व हथियार कब्जे में ले लिए गए हैं। दोनों ही स्थानीय हैं और कुछ समय पहले ही आतंकी बने थे। आइजीपी कश्मीर विजय कुमार ने कहा कि अधिकारियों व जवानों ने बहुत संयम व सूझबूझ के साथ काम लिया है। अगर मुठभेड़ की शुरुआत में ही आतंकी सरेंडर के लिए राजी हो जाते तो दो जिदगी बच जाती।