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Division in PAGD: गठन के साथ तय थी गुपकार एलायंस की टूट, दल मिले थे पर कार्यकर्ताओं के दिल कभी नहीं मिले

कश्मीरी दलों ने पीपुल्स एलायंस के नाम पर एक साथ आने का प्रयास किया था लेकिन गठन के साथ ही इस गठबंधन की टूट तय थी। एलायंस के नेता भले ही एक-साथ दिखने का प्रयास करते रहे पर धुर विरोधियों का साथ आना उनके कार्यकर्ताओं को कभी रास नहीं आया।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 07:38 AM (IST)
Division in PAGD: गठन के साथ तय थी गुपकार एलायंस की टूट, दल मिले थे पर कार्यकर्ताओं के दिल कभी नहीं मिले
पीपुल्स एलायंस के नाम पर एकसाथ आए सियासी दलों के दिल कभी नहीं मिल सके।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: नए जम्मू कश्मीर में जनसमर्थन खिसकते देख भले ही कश्मीरी दलों ने पीपुल्स एलायंस फार गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) के नाम पर एक छतरी के नीचे आने का प्रयास किया था, लेकिन गठन के साथ ही इस गठबंधन की टूट तय हो गई थी। 15 अक्टूबर 2020 को हुए इस गठबंधन के तीन माह में ही इसका बिखराव शुरू हो गया है।

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शुरुआत में पीएजीडी ने अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली तक चुनावी सियासत से दूर रहने का दावा किया था, लेकिन जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद (DDC) के चुनावों का एलान होते ही पीएजीडी ने भी चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी। पहले ही दिन से कहा जा रहा था कि पीएजीडी में शामिल राजनीतिक दलों ने जनता के बीच जाने के लिए एक सुरक्षित बहाना तलाशने के लिए ही आपस में गठजोड़ किया है और चुनाव संपन्न होते ही यह बिखरने लगेगा। डीडीसी चुनाव प्रक्रिया बीते माह ही संपन्न हुई है।

डीडीसी चुनाव से पहले गुपकार एलायंस के नेता भले ही एक-साथ दिखने का प्रयास करते रहे पर कश्मीर की सियासत के धुर विरोधियों का साथ आना उनके कार्यकर्ताओं को कभी रास नहीं आया। इसका असर प्रत्याशियों के चयन पर भी पड़ा और यही वजह है कि दर्जनों सीटों पर गठबंधन के प्रत्याशी एक-दूसरे के खिलाफ ही चुनाव में दम ठोंकते रहे।

इसकी वजह से पीडीपी और पीपुल्‍स कांफ्रेंस जैसे दलों को लगा कि उन्‍हें अधिक नुकसान हुआ। खासकर नेशनल कांफ्रेंस के खिलाफ दोनों दल समय-समय पर नाराजगी व्‍यक्‍त करते दिखे। चुनाव के बाद नेशनल कांफ्रेंस ने इशारा कर भी दिया कि गठबंधन से जो उन्हें हासिल करना था, कर लिया। बता दें कि डीडीसी चुनाव में भाजपा (75 सीट) के बाद नेशनल कांफ्रेंस (67 सीट) ही सबसे बड़ा दल बनकर उभरा था।

चुनाव के बाद सामने आने लगे थे मतभेद : डीडीसी चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद ही पीएजीडी के घटक दलों में मतभेद सार्वजनिक होने लगे थे। यह मतभेद और स्पष्ट हो गए थे जब महबूबा ने डीडीसी चुनाव के बाद गठबंधन की पहली बैठक से किनारा कर लिया था। इसके बाद पीपुल्स कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता मौलाना इमरान रजा अंसारी ने भी एक पत्र लिखकर पीएजीडी के उन घटक दलों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की थी, जिन्होंने पीएजीडी के अधिकृत उम्मीदवारों को हराने का काम किया है।

पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन को अपने संगठन के नेताओं की तरफ से लगातार दबाव बनाया जा रहा था कि वह पीएजीडी से अलग हों या फिर उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई को सुनिश्चित बनाएं, जिन्होंने पीएजीडी में रहते हुए उसके उम्मीदवारों को हराया है।

गुपकार गैंग को सच्चाई समझ आ रही : अल्ताफ ठाकुर

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि गुपकार गैंग मौकापरस्तों की झूठ की बुनियाद पर बनाई गई पार्टी है। इस गैंग को बनाने वालों ने लोगों को अनुच्छेद 370 वापस दिलाने का यकीन दिलाकर वोट मांगे। अब गैंग के कई सदस्यों को सच्चाई समझ आ गई है कि यह असंभव है। उन्हेंं समझ आ गया है कि अनुच्छेद 370 अब जमीन के नीचे 370 फुट की गहराई में दफन हो चुका है।

गुपकार के खात्मे की शुरुआत : अल्ताफ बुखारी

जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के चेयरमैन अल्ताफ बुखारी ने कहा कि अवसरवादी गुपकार एलायंस का उम्मीद से पहले ही खात्मा शुरू हो गया है। यह तो होना ही था। पहले ही दिन से पीएजडी का नेतृत्व लोगों से धोखाधड़ी में लगा है। नेशनल कांफ्रंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेतृत्व को गंभीरता से आत्मचिंतन करते हुए आम लोगों के शोषण की सियासत बंद करनी चाहिए।

नेकां को उम्‍मीद, पीएजीडी पर कोई असर नहीं होगा

नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता व सांसद हसनैन मसूदी ने कहा कि पीपुल्स कांफ्रेंस के अलग होने से पीएजीडी पर कोई असर नहीं होगा। लोकतंत्र में हरेक को अपनी राय रखने  का हक है। सज्जाद गनी लोन के फैसले के बाद डा. फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को एकजुट रहना चाहिए, उन्हेंं प्रत्येक दबाव को झेलत हुए आग बढऩा चाहिए।


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