Move to Jagran APP

दक्षिण कश्मीर में दो और युवक बना आतंकी, इस साल कश्मीर में 65 से ज्यादा युवक बन चुके हैं आतंकी

दक्षिण कश्मीर से दो और युवक आतंकी बन गया हैं। दोनों की हथियारों संग तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इस साल कश्मीर में 65 से ज्यादा युवक बन चुके हैं आतंकी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 26 Jun 2019 10:38 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2019 10:38 AM (IST)
दक्षिण कश्मीर में दो और युवक बना आतंकी, इस साल कश्मीर में 65 से ज्यादा युवक बन चुके हैं आतंकी
दक्षिण कश्मीर में दो और युवक बना आतंकी, इस साल कश्मीर में 65 से ज्यादा युवक बन चुके हैं आतंकी

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। दक्षिण कश्मीर से दो और युवक आतंकी बन गया हैं। दोनों की हथियारों संग तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इस बीच, उत्तरी कश्मीर के पट्टन में एक युवक का पीछा करते हुए आतंकी एक सर्विस सेंटर में घुस गया। युवक के न मिलने पर आतंकी वहां से चला गया।

loksabha election banner

एक अन्य सूचना के मुताबिक, सुरक्षाबलों ने सुल्तानपोरा हंदवाड़ा में आतंकियों के छिपे होने की सूचना पर तलाशी अभियान भी चलाया। दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग के हयार बिजबेहाड़ा रफीक अहमद दरांगे हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी बन गया है। आतंकी संगठन ने उसका कोड नाम अबु जरार रखा है जो दो साल पहले मारे गए आतंकी सब्जार बट का कोड नाम था।

रफीक की सोशल मीडिया पर मंगलवार को तस्वीर वायरल हुई है। इसमें वह हाथों में असाल्ट राइफल लिए नजर आ रहा है। उसके सामने पिस्तौल, मैगजीन और ग्रेनेड भी पड़े दिख रहे हैं। रफीक के परिजनों ने एक दिन पहले ही सोशल मीडिया पर उससे वापस लौटने की अपील की थी। उन्होंने उसके लापता होने की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई थी। वहीं, जिला पुलवामा में कसबयार गांव के रहने वाला नजीर अहमद पर्रे भी जैश ए मोहम्मद का आतंकी बन गया है। उसने भी आतंकी बनने का एलान सोशल मीडिया पर हथियारों संग अपनी तस्वीर वायरल कर किया है।

आतंकी संगठन ने उसका कोड नाम मुजम्मिल भाई रखा है। वादी में इस साल लगभग 70 युवकों के आतंकी बनने की सूचना है। उत्तरी कश्मीर के तापर-पट्टन इलाके में तीन हथियारबंद आतंकी सिल्वर रंग की आल्टो कार में एक युवक का पीछा करते हुए सर्विस सेंटर में दाखिल हो गए।

यह आतंकी बोलेरो कार में इफ्तिखार हुसैन की कथित तौर पर तलाश कर रहे थे। लेकिन इफ्तिखार अपनी कार को वहां खड़ा कर पहले ही निकल गया था। एक अन्य सूचना के मुताबिक, सेना की 21 आरआर और राज्य पुलिस के विशेष अभियान दल एलओजी के जवानों ने हंदवाड़ा के सुल्तानपोरा इलाके में आतंकियों के छिपे होने की सूचना पर कासो चलाया। देर रात तक तलाशी ली जा रही थी। 

 इस साल कश्मीर में 65 से ज्यादा युवक बन चुके हैं आतंकी

स्थानीय युवकों को जिहादियों से बचाने के लिए राज्य प्रशासन और एजेंसियों के अभियान खास रंग नहीं ला रहे हैं। इस साल कश्मीर में 65 से ज्यादा युवक आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं। इनमें 10 विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए हैं। पूरी वादी में 265 आतंकी सक्रिय हैं। इनमें 169 स्थानीय ही हैं। आतंकी बनने वाले इन युवकों में आतंकियों से मुक्त करार दिए जिला बारामुला का रहने वाला अदनान अहमद चन्ना भी है। बारामुला के आजादगंज का चन्ना दो माह पहले लापता हुआ था। एक सप्ताह पहले उसके आतंकी बनने की पुष्टि हुई है। वह भी सोशल मीडिया पर 15 जून को वायरल हुई उसकी एक तस्वीर के आधार पर। वह लश्कर ए तैयबा का हिस्सा बना है। उसका कोड नाम सैफुल्ला भाई है। 

जानकारी हो जिला कुपवाड़ा में गुलगाम का इम्तियाज अहमद मीर भी अपनी पढ़ाई छोड़ 12 जून को आतंकी बना। दो दिन पहले बरो बंडिना अवंतीपोरा के 21 वर्षीय आकिब वानी घर से गायब हो गया। वह इस्लामिक यूनिर्विसटी में पीजी का रहा था। उसके भी आतंकी संगठन में शामिल होने का दावा किया जा रहा है। उसका एक भाई आतकी था, जो 2008 में लोलाब में मुठभेड़ में मारा गया था। युवाओं के आतंकी बनने पर चिंता राज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह और श्रीनगर स्थित सेना की 15वी कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन ने भी आतंकी संगठनों में युवाओं के शामिल होने पर चिंता जताते हुए बीते दिनों स्वीकार किया कि 40 से ज्यादा स्थानीय लड़के आतंकी बने हैं।

मजहब के नाम पर बरगलाते हैं 

राज्य पुलिस में एसएसपी रैंक के एक अधिकारी ने नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि हम उन्हीं लड़कों को आतंकी संगठन में शामिल मानते हैं जिनकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होती है या जो किसी वारदात में लिप्त पाए जाते हैं। कई मामलों में हमने देखा है कि जब किसी लड़के के आतंकी बनने पर उसकी तस्वीर वायरल होती है तो उसके बाद उसके परिजन शिकायत दर्ज कराते हैं। इसलिए यह कहा जाता है कि लापता लड़कों और आतंकी बनने वाले लड़कों की संख्या ज्यादा है। हमारे पास जो आंकड़े जमा हैं। उनके मुताबिक यह संख्या 65 से 70 के बीच है। इनमें से 10 लड़के विभिन्न मुठभेड़ों में मारे जा चुके हैं। 11 लड़कों वापस लाया गया है,लेकिन वह आतंकी बने 65 लड़कों के अलावा हैं। स्थानीय युवकों के आतंकी बनने संबधी कारणों का जिक्र करते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आतंकी संगठनों से जुड़ने वाले अधिकांश युवकों का किसी न किसी तरीके से आतंकवाद के साथ संबध रहा है। कई ओवरग्राउंड वर्कर रहे हैं या फिर कई आतंकियों के रिश्तेदार हैं।

आतंकियों और उनके सरगनाओं द्वार चलाया जा रहा दुष्प्रचार उन्हें जिहाद की तरफ ले जा रहा है। आतंकियों के ओवरग्राउंड वर्कर विभिन्न इलाकों में नौजवानों की निशानदेही करते हुए उन्हें मजहब नामक पर बरगलाते हैं क्योंकि मजहब के नाम पर किसी को गुमराह करना आसान रहता है। आतंकियों का जिस तरह से कई मजहबी व अलगाववादी नेता महिमामंडन करते हैं, आतंकियों के जनाजे में भीड़ जमा होती है, उससे भी कई लड़के जिहादी बनने की राह पर चल निकलते हैं। 

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.