Move to Jagran APP

कश्मीरी युवाओं को रोजगार का जायका

Javed Parsa. कश्मीर में पला-बढ़ा यह नवयुवक राह से भटके कश्मीरी भाइयों को भविष्य की राह दिखाने में जुटा हुआ है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 12:43 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 01:02 PM (IST)
कश्मीरी युवाओं को रोजगार का जायका
कश्मीरी युवाओं को रोजगार का जायका

श्रीनगर, नवीन नवाज। वादी-ए-जन्नत कश्मीर में पला-बढ़ा यह नवयुवक राह से भटके कश्मीरी भाइयों को भविष्य की राह दिखाने में जुटा हुआ है। 27 साल के जावेद पारसा ने कश्मीर के कई हिस्सों में फूड-कम-लाइब्रेरी चेन-पारसा रेस्तरां की शुरुआत की, जो यहां शिक्षा और रोजगार की सुखद बयार बहाने में सफल होती दिख रही है। जावेद ने बताया कि यह उनका बिजनेस वेंचर कतई नहीं है। बल्कि वे कश्मीरी युवाओं के लिए कुछ बेहतर करना चाहते हैं। उन्हें शिक्षा और रोजगार देना चाहते हैं ताकि वे बेहतर राह पकड़ लें और जन्नत फिर जन्नत बन जाए। वह कहते हैं, मेरा मकसद राह से भटके युवाओं को आगे बढ़ने और खराब हालात में खुद को साबित करने के लिए प्रेरित करना है...।

prime article banner

कुछ वर्ष पहले मुश्किल हालात में खुद को सरेंडर करने के बजाय उन्होंने श्रीनगर में रेस्तरां खोला, जो अब विस्तार पा चुका है। पारसा रेस्तरां में लाइब्रेरी भी रखी गई, जिसमें जागरूक करती किताबों ने काफी हद तक युवाओं का माइंडसेट बदलने का काम किया। रेस्तरां में रोजगार भी उनको दिया, जिनकी शिक्षा छूटी थी या पढ़ाई पूरी करने के लिए काम की तलाश थी। कुछ तो पूरी तरह अनपढ़ थे, जो अब रोजगार करते हुए पढ़ रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं। जावेद ने दैनिक जागरण से अपनी हर बात खुलकर साझा की। कहते हैं, हैदराबाद में आर्किटेक्ट की पढ़ाई करने के बाद अमेजन में नौकरी लगी, लेकिन उसे छोड़ श्रीनगर घर लौटने का फैसला किया। यह वर्ष 2014 की बात है। झेलम ने न सिर्फ लालचौक को डुबोया, पूरा कश्मीर बाढ़ से त्रस्त था।

लोग जैसे-तैसे जिंदगी का ताना-बाना शुरू करने लगे, कोई नई शुरुआत नहीं करना चाहता था। मैंने कश्मीर के लिए कुछ करने की ठान ली थी। जैसे-तैसे पैसे का बंदोबस्त किया। 31 अक्टूबर को झेलम से 300 मीटर की दूरी पर एक मॉल में ‘काठी जंक्शन’ नामक रेस्तरां खोला। अवधारणा यही थी कि कश्मीरी युवाओं को रोजगार और शिक्षा मुहैया कराता चलूं। यह रेस्तरां लोगों को बेहद पसंद आया। गाड़ी चल पड़ी। आज पारसा रेस्तरां के नाम से इस चेन के अनेक रेस्तरां कश्मीर में अपने मकसद को पूरा कर रहे हैं। युवाओं में इन रेस्तरां का जबर्दस्त क्रेज है। वे इसे अपना अड्डा मानते हैं। मैं जानता था कि उन्हें बैठने के लिए काफी का मजा लेते हुए गप्पबाजी का

सस्ता और सुलभ अड्डा चाहिए। जहां वे कोरी गप्पबाजी के साथ भविष्य की भी सोच सकें, ऐसा माहौल मैंने उन्हें देना शुरू किया। मैंने जहां कहीं भी पारसा रेस्तरां खोला है, वह कॉलेज या किसी ऐसी जगह के करीब है जहां नौजवानों की संख्या खूब रहती है। रेस्तरां में उनकी जेब को ध्यान में रखा। हमने यहां कई प्रयोग किए। स्टोरी टेलर बुलाते हैं, स्थानीय प्रतिभाओं को प्रस्तुति के लिए आमंत्रित करते हैं। उम्मीद जगाने वाले, प्रेरणा देने वाले, राह दिखाने वाले लोग, कश्मीर की भलाई चाहने वाले लोग यहां खुद चले आते हैं। हर रेस्तरां में लाइब्रेरी है, जहां युवा अपनी पसंद की किताब उठाकर पढ़ सकते हैं।

कुछ लोग यहां स्वेच्छा से किताबें दे जाया करते हैं। यहां किताबों का विमोचन भी होता है, डाक्यूमेंट्री फिल्मों की रिलीज से लेकर सामाजिक अभियान भी चलाए जाते हैं। मेरे साथ जो भी काम कर रहे हैं, सभी नौजवान हैं। पारसा में काम करने वालों की उम्र 20 से 35 साल के बीच है। कइयों ने स्कूल नहीं देखा है। वे यहां काम करने के अलावा पढ़ाई भी कर रहे हैं। उनकी पढ़ाई जारी रखने में पूरा सहयोग करने का प्रयास किया जाता है। जहां-जहां रेस्तरां ख्रोली जा रही है, सभी जगह ऐसे ही नौजवानों को रोजगार दे रहा हूं। आज ऐसे युवाओं की संख्या सैकड़ों से हजारों में पहुंच रही है। दुआ करता हूं, अल्लाह, कश्मीर के हालात पहले जैसे हो जाएं।

जहां जाएंगे वहां पाएंगे
काठी जंक्शन से शुरू हुआ सफर अब पारसा रेस्तरां का कारवां बन चुका है। सिर्फ श्रीनगर में नहीं, अनंतनाग, बारामुला समेत वादी के विभिन्न शहरों से होते हुए यह मंदिरों के शहर जम्मू में पहुंचने वाला है। इस कारवां का सफर कोई आसां नहीं था, लेकिन यह हौसलों की उड़ान की कहानी है।

बन गए आइडल
उम्र महज 27 साल। लेकिन देखते ही देखते यह नवयुवक कश्मीरी युवाओं का आइडल बन गया है। उसकी छवि नेता या कट्टरपंथियों जैसी कतई नहीं है। शिक्षा और रोजगार की खुद पहल कर दिखाने वाले जावेद पारसा को कमजोर तबके का कश्मीरी युवा अपना सच्चा हितैषी और पथप्रदर्शक मानने लगा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.