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Destination Kashmir: राष्ट्रीय मिल्ट्री स्कूल के पूर्व छात्र वादी की खूबसूरती के हुए कायल, बोले- कश्मीर तो बेनजीर है

राष्ट्रीय मिल्ट्री स्कूल (आरएमएस) अजमेर के पूर्व छात्र इन दिनों पुराने सहपाठियों के साथ कश्मीर की सैर का आनंद ले रहे हैं। उनकी नजर में कश्मीर तो बेनजीर है ...यह जन्नत है। वाकई कश्मीर जैसी खूबसूरत जगह कोई नहीं।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sun, 04 Apr 2021 02:00 AM (IST)Updated: Sun, 04 Apr 2021 07:31 AM (IST)
Destination Kashmir: राष्ट्रीय मिल्ट्री स्कूल के पूर्व छात्र वादी की खूबसूरती के हुए कायल, बोले- कश्मीर तो बेनजीर है
राष्ट्रीय मिल्ट्री स्कूल अजमेर के पूर्व छात्र पुराने सहपाठियों के साथ कश्मीर की खूबसूरती का आनंद ले रहे हैं।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : कश्मीर तो बेनजीर है, ...यह जन्नत है जन्नत है। वाकई कश्मीर जैसी खूबसूरत जगह कोई नहीं। दोस्तों के साथ शनिवार को प्रसिद्ध पर्यटनस्थल गुलमर्ग आए स. भरपूर सिंह खूबसूरत वादियों को देख खो गए। भरपूर सिंह राष्ट्रीय मिल्ट्री स्कूल (RMS Ajmer) अजमेर के पूर्व छात्र हैं जो इन दिनों पुराने सहपाठियों के साथ कश्मीर की सैर का आनंद ले रहे हैं।

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आरएमएस अजमेजर के 1984-91 बैच के छात्रों के दल ने वार्षिक मिलन कार्यक्रम (एनुअल रियूनियन) 2021 के लिए कश्मीर को चुना है। तीन दिन से कश्मीर के विभिन्न पर्यटनस्थलों पर अपना समय बिताते हुए छात्र जीवन की यादों को फिर से जी रहे दल में करीब 55 लोग शामिल हैं। इनमें आरएमएस अजमेर के 20 पूर्व छात्र और उनके स्‍वजन शामिल हैं। दल में ठाकुर श्रवण सिंह राठौर, कर्नल एमए खान, ठाकुर अभिमन्यु सिंह,मनबीर सिंह, कर्नल नरेश सांगवान, राजेश दाहिया, अजय भाई जी, सरवर सिंह,सिद्धांत मेहरार, धर्मेंद्र गिल,डा. सुनील सांसवाल, अश्विन आर पटेल, शैलेंद्र सिंह, सत्यवान, डा. किशोर कुमार, अमर सिंह, मनोज परिहार और विशाल सिंह शामिल हैं।

पूर्व छात्र ठाकुर अभिमन्यु सिंह ने कहा कि हमने पहलगाम में भी एक दिन बिताया है। श्रीनगर, लालचौक और डाउन-टाउन भी घूमने गए। हमें कहीं आतंकवाद का खौफ नजर नहीं आया। लोग भी सहृदय हैं। यहां के दुकानदारों का बात करने का सलीका भी खूब है। पारंपरिक व्यंजनों का भी पूरा मजा लिया है। ट्यूलिप गार्डन की सैर का मजा ही निराला है। मेरी पत्नी को गुलमर्ग में गंडोला की सैर का आनंद खूब आया है। मुझे सबसे ज्यादा मजा डल झील में शिकारा सैर में आया है।

मनोज परिहार ने कहा कि पत्नी-बच्चे यहां आकर खुद को रोमांचित महसूस कर रहे हैं। यहां की दस्तकारी का सामान, शाल तो महिलाओं को बहुत पसंद आया है। कश्मीर की खूबसूरती को मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता। मैं कश्मीर में पहले भी आ चुका हूं, लेकिन इस बार जिस तरह से मैंने स्थानीय लोगों के चेहरे पर नए विश्वास और उम्मीद की जो झलक देखी है,वह पहले नहीं देखी थी।

लोग अब यहां खुलकर आतंकवाद और अलगाववाद पर चर्चा करने लगे हैं। यह बदलाव लगता है कि अनुच्छेद 370 की समाप्ति से ही आया है। पर्यटन निदेशक डा. जीएन इट्टू ने कहा कि आजकल डेस्टिनेशन मीट,मैरिज, वेडिंग एनिवर्सरी का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। अगर वह कश्मीर आएं तो उन्हेंं निराशा नहीं होगी। कश्मीर सिर्फ कहने में खूबसूरत नहीं है,यह हकीकत मेें धरती पर जन्नत है।


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