बदल चुके राजनीतिक परिदृश्य में जनमत संग्रह असंभव : ओपी शाह
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : ट्रैक-2 पर कश्मीर समस्या के समाधान के लिए अलगाववादी खेमे से संपर्क और
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : ट्रैक-2 पर कश्मीर समस्या के समाधान के लिए अलगाववादी खेमे से संपर्क और संवाद बनाने में जुटे प्रतिष्ठित राजनीतिक विश्लेषक ओपी शाह ने वीरवार को कहा कि कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी और तहरीके हुíरयत प्रमुख मोहम्मद अशरफ सहराई ने कश्मीर समस्या के समाधान के लिए पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के फार्मूले को आधार बनाकर आगे बढ़ने से इन्कार किया है।
उन्होंने कहा कि अलगाववादी खेमा आज भी संयुक्त राष्ट्र की सिफारिशों के अनुरूप ही जनमत संग्रह की बात करता है, जो बीते 70 वर्षो में बदल चुके अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में लगभग असंभव ही है। उन्होंने कहा कि मैं यहां केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर नहीं आया हूं। न मुझे केंद्र सरकार ने भेजा है, लेकिन एक भारतीय नागरिक होने के नाते मेरा यह फर्ज है कि कश्मीर समस्या के समाधान में सहयोग जरूर करूं। उन्होंने कहा कि मैं पहले भी यहां कई बार आ चुका हूं। मेरी लगभग सभी अलगाववादी नेताओं से बातचीत हुई है। इस बार मैं कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी, तहरीके हुíरयत प्रमुख मोहम्मद अशरफ सहराई, उदारवादी हुíरयत प्रमुख मीरवाईज मौलवी उमर फारूक, नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला, माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारीगामी, डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट के चेयरमैन जीएच मीर, जेल में बंद अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की पत्नी के अलावा कश्मीर बार एसोसिएशन के विभिन्न प्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों से मिला हूं।
उन्होंने कहा कि मेरी जिससे भी बात हुई, उसने कश्मीर में मौजूदा ¨हसा और अनिश्चितता के लिए कश्मीर समस्या को ही जिम्मेदार ठहराते हुए इसके जल्द समाधान के लिए बातचीत पर जोर दिया। गिलानी व सहराई के साथ बातचीत पर उन्होंने कहा कि कश्मीर समस्या के समाधान के लिए मुशर्रफ के चार सूत्री फार्मूले को अपनाने से इन्कार कर दिया है, लेकिन मैने उन पर जोर दिया है कि वह बातचीत लायक माहौल बनाने के लिए संबंधित पक्षों से संवाद का चैनल जरूर खोलें। अलगाववादी नेताओं ने जम्मू कश्मीर के लिए जनमत संग्रह पर ही जोर दिया है।
ओपी शाह ने आज मुस्लिस कांफ्रेंस के चेयरमैन अब्दुल गनी बट से मुलाकात पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि प्रो. बट ने मुशर्रफ फार्मूले पर कोई स्पष्ट जवाब तो नहीं दिया, लेकिन उन्होंने भारत- पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर जल्द बातचीत की वकालत करते हुए इसमें कश्मीरियों को शामिल करने पर जोर दिया है।
डॉ. फारूक अब्दुल्ला और माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारीगामी से हुई मुलाकात पर उन्होंने कहा कि डॉ. अब्दुल्ला ने ऑटोनामी का जिक्र किया है, जबकि तारीगामी ने सभी पक्षों से बातचीत पर जोर देते हुए रियासत की विशिष्ट पहचान के संरक्षण को यकीनी बनाने के लिए कहा है।