Jammu Kashmir: पहले दरकिनार किया, अब गिलानी को नवाजेगा पाक
पाकिस्तान की नीतियों के कारण ही गिलानी जून माह के दौरान हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन पद से इस्तीफा देने को मजबूर हुए।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : अनुच्छेद 370 और 35ए हटने से कश्मीर में लगभग समाप्त हो चुकी अलगाववादी गतिविधियों को फिर हवा देने और कट्टरपंथियों को एकजुट करने के लिए पाकिस्तान ने नई चाल चली है। कश्मीर बनेगा पाकिस्तान का नारा देने वाले वयोवृद्ध कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी को दरकिनार करने के बाद अब पाकिस्तान उन्हें अपने सबसे बड़े नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित करने जा रहा है।
पाकिस्तान की सिनेट (पाकिस्तान की संसद का ऊपरी सदन) में इस आशय का एक प्रस्ताव पारित हुआ है। सिर्फ यही नहीं, इस्लामाबाद में गिलानी के नाम पर एक विश्वविद्यालय स्थापित करने और जीवन गाथा को स्कूली पाठयक्रम में शामिल करने का भी प्रस्ताव पास किया गया है। पाकिस्तान ने कश्मीरियों पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए ही गिलानी को निशान-ए-पाकिस्तान से नवाजने का दांव चला है। पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को लागू करने व अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का एक साल पूरा हो रहा है। इस सिलसिले में जम्मू कश्मीर में एकात्मकता दिवस भी मनाया जा रहा है।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने से हताश पाकिस्तान पांच अगस्त 2020 को काला दिवस मना रहा है। उसने कश्मीरियों में भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का भी आयोजन किया है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की संसद के ऊपरी सदन सिनेट में गत सोमवार को जमात-ए-इस्लामी के सिनेटर मुश्ताक अहमद ने कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी को कश्मीर में भारत के खिलाफ आवाज उठाने के लिए निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किए जाने का प्रस्ताव रखा था। यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ। सिनेट ने गुलाम कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद में भी अगले माह एक विशेष सत्र आयोजित करने का भी प्रस्ताव पारित किया है।
गिलानी ने शुरू कर दिया था पाकिस्तान को बेनकाब करना : पाकिस्तान और कश्मीर की सियासत पर नजर रखने वालों के मुताबिक, गिलानी को यह सम्मान सिर्फ कश्मीर के अलगाववादी खेमे पर अपनी पकड़ बनाए रखने और कट्टरपंथी गिलानी व उनके समर्थकों को शांत कर मनाने की पाकिस्तान की एक कोशिश है। गिलानी और पाकिस्तान के बीच कश्मीर संबंधी मुद्दों पर मतभेद चल रहे हैं। पाकिस्तान की नीतियों के कारण ही गिलानी जून माह के दौरान हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन पद से इस्तीफा देने को मजबूर हुए। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने हुर्रियत के अधिकांश नेताओं को गिलानी के खिलाफ तैयार कर लिया था और संगठन में गिलानी के फैसलों के खिलाफ खुलेआम आवाज उठ रही थी। इससे आहत गिलानी ने भी पाकिस्तान को बेनकाब करना शुरू कर दिया था। गिलानी को निशान-ए-पाकिस्तान प्रदान कर पाकिस्तान एक तरह से उन्हें चुप करवाना चाहता है।
गिलानी पाकिस्तान के एजेंट : रविंद्र रैना गिलानी को निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित करने के फैसले पर भाजपा की प्रदेश इकाई ने कड़ा एतराज जताया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि इससे एक बार फिर साबित होता है कि गिलानी पाकिस्तान के एजेंट हैं। कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद में पाकिस्तान की भूमिका है। हुर्रियत कांफ्रेंस कश्मीरियों के लिए नहीं बल्कि पाकिस्तान के लिए काम करती है। वह पाकिस्तान के इशारे पर कश्मीर को नर्क बना चुकी है।