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Pulwama Terror Attack Anniversary : फिर पुलवामा जैसी गुस्ताखी पाक के अस्तित्व पर पड़ जाएगी भारी

Pulwama Terror Attack Anniversary नियंत्रण रेखा सुलगाने की साजिशों का ऐसा मुंहतोड़ मिला कि अब पाकिस्तान को दामन बचाना मुश्किल हो रहा है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 07:34 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 08:53 AM (IST)
Pulwama Terror Attack Anniversary : फिर पुलवामा जैसी गुस्ताखी पाक के अस्तित्व पर पड़ जाएगी भारी
Pulwama Terror Attack Anniversary : फिर पुलवामा जैसी गुस्ताखी पाक के अस्तित्व पर पड़ जाएगी भारी

श्रीनगर, नवीन नवाज। 14 फरवरी,  2019 स्थान : पुलवामा। पाकिस्तान की कायराना साजिश ने पूरे देश में उबाल ला दिया। 40 जवान मातृभूमि पर कुर्बान हो गए। जवानों की चिताओं के साथ देश का गुस्सा धधक रहा था। केंद्र ने भी साफ कर दिया कि वह गुस्ताखी कर चुके, अब बारी हमारी है। उसके बाद सुरक्षाबलों ने प्रहार किया तो आतंकी और उनके आका त्राहिमाम करने लगे। आतंकियों का सरपरस्त पाकिस्तान आज तक उस चोट को सहला रहा है। पहले बालाकोट में घुसकर मारा और फिर सुरक्षाबलों ने कश्मीर से आतंकी कमांडरों को चुन-चुन कर खत्म कर दिया। नियंत्रण रेखा सुलगाने की साजिशों का ऐसा मुंहतोड़ मिला कि अब पाकिस्तान को दामन बचाना मुश्किल हो रहा है। अब उसे समझ आ रहा है कि फिर ऐसी कोई गुस्ताखी उसके अस्तित्व पर ही भारी पड़ जाएगी।

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इसका नतीजा है कि पुलवामा के एक साल बाद जमीनी हकीकत बदल चुकी है। बालाकोट में वायुसेना की कार्रवाई के बाद वादी में भी जैश की कोर टीम निशाने पर रही। बड़े कमांडर ढेर हो गए। घाटी में वर्ष 2019 में 160 आतंकी मारे गए और 102 पकड़े गए। आतंकियों का वित्तीय नेटवर्क लगभग तबाह हो चुका है। वादी में लश्कर व हिज्ब जैसे संगठनों की कमान संभालने को कोई आतंकी कमांडर तैयार नहीं है।

जानें, क्यों अहम था बालाकोट का हमला

पांच फरवरी, 2019 को जैश ए मोहम्मद के सरगना अजहर मसूद के भाई रौऊफ असगर ने कराची में जिहादियों की रैली में भारत को दहलाने की धमकी दी थी। उसके बाद पुलवामा हो गया। भारतीय सुरक्षाबलों ने उन्हें खुश होने का ज्यादा अवसर नहीं दिया और पाकिस्तान के भीतर घुसकर करारा प्रहार किया।

बालाकोट हमला आतंकी कैंप से ज्यादा उनके मंसूबों और उनके हौसले पर था। उस सदमे से आजतक न जैश उभर सका है और न पाकिस्तान। एलओसी पार पाकिस्तानी इलाके में वायुसेना की कार्रवाई ने पूरे समीकरण बदल दिए। 26 फरवरी को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा के बालाकोट में स्थित जैश की जिहादी फैक्टरी पर हमले में अजहर मसूद भी कथित तौर पर जख्मी हुआ और उसके परिवार के कई सदस्य मारे गए। दावा है कि वायुसेना की इस कार्रवाई में करीब 300 आतंकी मारे गए। इससे न सिर्फ दुनिया को भारत की हवाई ताकत का अंदाजा हुआ बल्कि पाकिस्तान भी पूरी तरह सकते में आ गया।

मई 2019 तक कर दिया गया 101 बड़े आतंकियों का सफाया

पुलवामा के चंद दिन बाद ही घाटी में जैश सरगना गाजी रशीद तीन साथियों संग मारा गया। 22 अप्रैल तक कश्मीर में सभी प्रमुख जैश कमांडर मारे गए। इनमें से 19 पाकिस्तानी थे। हिजबुल, लश्कर और अंसार गजवात-उल हिंद (एजीएच) और आइएसजेके जैसे आतंकी संगठनों के नेटवर्क पर तेजी से कार्रवाई की गई। जनवरी से मई 2019 तक कश्मीर में 101 आतंकी मारे गए। दर्जनों ओवरग्राउंड वर्कर पकड़े गए। सुरक्षाबलों का रौद्र रूप देख आतंकी मांद में छिप गए। आइएस और एजीएच का नेटवर्क चार से पांच आतंकियों तक सिमट गया।

सीमाओं को सुलगाने की साजिश पड़ी भारी

बालाकोट के बाद पाकिस्तानी सेना ने खुन्नस मिटाने के लिए नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारतीय सैन्य व नागरिक ठिकानों को निशाना बनाते हुए गोलाबारी तेज कर दी। वर्ष 2019 के दौरान 15 वर्षों में सबसे अधिक 3289 बार पाकिस्तानी सेना ने जंगबंदी का उल्लंघन किया। एलओसी और पाकिस्तान ने बैट (बार्डर एक्शन टीम) के हमले भी तेज किए। इस पर भारतीय सेना ने जो जवाब दिया उसके घाव सहलाते हुए इमरान खान और जनरल बाजवा को देखा जा सकता है। भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में 90 के करीब पाकिस्तानी सैनिक और अधिकारी मारे गए हैं। नीलम घाटी और गुरेज सेक्टर में पाकिस्तान के लांचिंग पैड तबाह हो गए। एक दर्जन पाकिस्तानी चौकियां और 18 निगरानी मोर्चे भी तबाह हुए।

आतंकियों का वित्तीय नेटवर्क ध्वस्त

आतंकियों के खिलाफ अभियान के साथ ही सुरक्षा एजेंसियों ने उनके वित्तीय नेटवर्क को भी ध्वस्त कर दिया। सबसेे पहले क्रॉस एलओसी ट्रेड बंद किया गया। नारको टेररिज्म पर शिकंजा कसा गया और आतंकवाद की आग को गर्म करने वालों की धरपकड़ तेज की गई। करीब 85 नशे के सौदागरों को दबोच लिया गया। टेरर फंडिंग में जुटे कई व्यापारियों और अलगाववादियों की संपत्ति को सील कर दिया गया।

पुलवामा के बाद बदले समीकरण 

कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता सलीम रेशी ने कहा कि पुलवामा के बाद समीकरण बदल चुके हैं। आतंकियों का नेटवर्क लगभग धवस्त हो चुका है। पाकिस्तान की भी पोल खुल चुकी है। पिछले वर्ष सितंबर और अक्टूबर में दूसरे राज्य के कुछ लोगों की हत्या के अलावा आतंकी बड़े हमले में कामयाब नहीं हो पाए। अगर कभी कोशिश की है तो पकड़े गए या मारे गए। बेशक कश्मीर में घुसपैठ जारी होगी लेकिन आतंकी संगठनों के पास नेतृत्व का संकट है। कोई कमांडर जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।

अनुच्छेद 370 के खात्मे की जमीन हुई तैयार

देश में विलय के बाद से वर्ग विशेष के तुष्टिकरण और अलगाववाद को पोषित करने वाले अनुच्छेद 370 के खात्मे की जमीन भी पुलवामा के बाद तैयार हो चुकी थी। कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ प्रो. हरिओम के मुताबिक, भाजपा सदैव अनुच्छेद 370 के खात्मे के पक्ष में थी लेकिन पुलवामा के बाद पूरे देश में इसके खिलाफ आवाज उठी और जनभावनाओं पर सवार होकर पुन: सत्ता में आई मोदी सरकार ने इस दाग को धो दिया। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू कर देश को जिहादी तत्वों से ही बचाने का काम किया है।

अभी चुनौतियां भी कायम

विशेषज्ञों के अनुसार बेशक पाकिस्तान को हर मोर्चे पर शिकस्त झेलनी पड़ी पर अभी भी वह नित नई साजिशें रच रहा है। उसके कुछ पैराकारी वादी में नई पीढ़ी के मन में जहर भरने की साजिशों में रचे हुए हैं। साथ ही विदेशी आतंकियों को कश्मीर में झोंकने की साजिशें रची जा रही हैं। धर्मांध युवाओं को राह से भटकने से रोकने के लिए सुरक्षाबल खास रणनीति पर काम कर रहे हैं और 80 युवाओं को मुख्यधारा में लाया भी गया है। शिक्षा, सदभाव व विकास की सियासत से नई पीढ़ी को बदलाव की राह पर आगे बढ़ाया जा सकता है।

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