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पुरस्कारों से शेर-ए-कश्मीर नाम हटाने पर नेकां को एतराज

नेकां के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक पीर आफाक अहमद ने कहा कि केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन राजनीतिक दुराग्रह से काम कर रहा है। वीरता पुरस्कार से शेरे कश्मीर का नाम हटाना इतिहास से छेड़खानी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 09:39 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 09:39 AM (IST)
पुरस्कारों से शेर-ए-कश्मीर नाम हटाने पर नेकां को एतराज
पुरस्कारों से शेर-ए-कश्मीर नाम हटाने पर नेकां को एतराज

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : नेशनल कांफ्रेंस ने सोमवार को जम्मू कश्मीर पुलिस शेरे कश्मीर वीरता पदक का नाम बदलने पर कड़ा एतराज जताया है।

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नेकां के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक पीर आफाक अहमद ने कहा कि केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन राजनीतिक दुराग्रह से काम कर रहा है। वीरता पुरस्कार से शेरे कश्मीर का नाम हटाना इतिहास से छेड़खानी है। यह जम्मू कश्मीर की राजनीति की प्रत्येक पहचान को मिटाने की साजिश है। केंद्र सरकार भारतीय संविधान और इसके संघीय ढांचे के प्रति आस्था रखने वालों को ही निशाना बना रही है। वह शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के प्रति दुराग्रह रखती है। इसलिए उनसे जुड़ी हर चीज को नष्ट करने पर तुली है। शेख अब्दुल्ला का व्यक्तित्व किसी पदक या पुरस्कार का मोहताज नहीं है।

पीर आफाक ने कहा कि शेख अब्दुल्ला ने जिस जम्मू कश्मीर की परिकल्पना की थी, उसे आज क्षेत्रीय व धार्मिक संकीर्णता के बंधन में बांधकर दिखाया जा रहा है। केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन आज भी 30 साल पहले इस दुनिया से कूच कर गए नेता से डरते हैं।

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने गत शनिवार को पुलिस वीरता पुरस्कार और उत्कृष्ट सेवा पुलिस पदक का नाम बदलने का एलान किया है। गृह विभाग के प्रधान सचिव शालीन काबरा ने एक आदेश में कहा कि शेरे कश्मीर पुलिस वीरता पदक और शेरे कश्मीर पुलिस उत्कृष्ट सेवा पदक को अब जम्मू कश्मीर पुलिस वीरता पदक और जम्मू कश्मीर पुलिस उत्कृष्ट सेवा पदक ही पढ़ा, लिखा और पुकारा जाए। वीरता पदक का नाम जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक और पूर्व जम्मू कश्मीर के पूर्व प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री स्व. शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के सम्मान में था। शेख अब्दुल्ला को शेरे कश्मीर कहा जाता है।


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