हवाला कारोबारी नासिर के भाइयों के ठिकानों पर एनआइए के छापे
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने मंगलवार को दस साल से फरार हवाला कार
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने मंगलवार को दस साल से फरार हवाला कारोबारी नासिर शफी मीर को पकड़ने के लिए उसके दो भाइयों के ठिकानों पर छापा मारा। इस दौरान एनआइए ने कुछ बैंकों के दस्तावेज, एक लैपटॉप, दो मोबाइल फोन और बीते कुछ सालों के दौरान उनकी विदेश यात्राओं से जुड़े दस्तावेज भी जब्त किए हैं।
नासिर शफी मीर के पिता मोहम्मद शफी मीर 1990 के दशक की शुरुआत में श्रीनगर में सक्रिय हिज्ब आतंकी गुलाम हसन खान के लिए हवाला के जरिए पैसे का बंदोबस्त करते थे। नासिर न सिर्फ आतंकियों के लिए बल्कि मीरवाइज मौलवी उमर फारूक समेत विभिन्न अलगाववादी नेताओं के लिए पैसे पहुंचाने का काम करता था। नासिर के जरिए अलगाववादियों ने दुबई और यूरोप में बड़ी मात्रा में निवेश किया हुआ है।
संबंधित अधिकारियों ने बताया कि एनआइए की टीम सुबह साढ़े सात बजे नासिर के भाई फैयाज अहमद मीर के लालबाजार के कासमिया लेन स्थित मकान पर राज्य पुलिस के साथ पहुंची। एनआइए ने फैयाज और उसके परिजनों से भी पूछताछ की। इसी दौरान एनआइए के एक अन्य दल ने पुलिस के साथ श्रीनगर के ईश्वर निशात स्थित मेहराजुदीन मीर के घर और कार्यालय की तलाशी ली। मेहराजुदीन भी नासिर शफी मीर का भाई है। एनआइए की यह कार्रवाई शाम पांच बजे तक जारी रही। कौन है नासिर शफी मीर :
हवाला कारोबारी नासिर शफी मीर तीन फरवरी 2006 को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उसकी कार से 55 लाख रुपये के साथ हथियारों का एक जखीरा भी जब्त किया था। पूछताछ में उसने बताया था कि 2002 में उसने मनी एक्सचेंज करने वाली दो कंपनियां रीमस एक्सचेंज और कैश एक्सप्रेस की दुबई में स्थापना की थी। इनसे ही वह पाकिस्तान, खाड़ी देशों और अन्य देशों से आने वाले पैसे को जम्मू कश्मीर में आतंकियों और अलगाववादियों तक पहुंचाता था।
मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने 2006-07 में केंद्र के साथ बातचीत की प्रक्रिया बहाल करने के लिए जिन 20 लोगों को रिहा करने की मांग की थी उनमें नासिर भी एक था। इसके बाद केंद्र ने कथित तौर पर नासिर शफी मीर की जमानत याचिका का विरोध नहीं किया और 2007 में उसे जमानत मिल गई। सितंबर 2008 तक वह श्रीनगर में और दिल्ली में संबंधित पुलिस अधिकारियों द्वारा तलब किए जाने तक हाजिरी देता रहा। अक्टूबर 2008 में वह गायब हो गया। इसके बाद 2009 में नासिर को भगोड़ा घोषित किया गया और अप्रैल 2014 में प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर अदालत ने उसकी संपत्ति जब्त करने का निर्देश दिया था।