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कश्मीरी अवाम की बेहतरी के लिए वार्ता की पहल नाकाम, इसके लिए अलगाववादी जिम्मेदार

पीडीपी के महासचिव पीरजादा मंसूर हुसैन ने कहा कि ताली एक हाथ से नहीं बजती, अमन बहाली तो दो तरफा रास्ता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 10:45 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 10:45 PM (IST)
कश्मीरी अवाम की बेहतरी के लिए वार्ता की पहल नाकाम, इसके लिए अलगाववादी जिम्मेदार
कश्मीरी अवाम की बेहतरी के लिए वार्ता की पहल नाकाम, इसके लिए अलगाववादी जिम्मेदार

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। रमजान माह में युद्धविराम की समाप्ति के लिए आतंकियों और अलगाववादियों को जिम्मेदार ठहराते हुए सत्ताधारी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के महासचिव पीरजादा मंसूर हुसैन ने कहा कि हम घोड़े को सिर्फ तालाब तक ले जा सकते हैं, उसे पानी पीने को मजबूर नहीं कर सकते।

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कश्मीर में रमजान माह में युद्धविराम की समाप्ति के लिए आतंकी व अलगाववादी जिम्मेदार

- पीडीपी महासचिव बोले, हालात देख इसे समाप्त करने अलावा कोई विकल्प नहीं था

- प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री के आग्रह पर युद्धविराम का एलान किया था

उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के आग्रह पर कश्मीर में अमन बहाली और कश्मीर मुद्दे पर बातचीत की जमीन तैयार करने के लिए युद्धविराम का एलान किया। यहां के हालात में इसे समाप्त करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।

हुसैन ने कहा कि हालांकि हमें रमजान युद्धविराम की समाप्ति से निराशा हुई है, लेकिन किया भी क्या जा सकता है। ताली एक हाथ से नहीं बजती, अमन बहाली तो दो तरफा रास्ता है। हमने अपनी तरफ से हर प्रयास किया है। हमारी सरकार और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पत्थरबाजों के लिए माफी का एलान किया, उनके खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए गए।

हमने तो वर्ष 2010 में तत्कालीन नेशनल कांफ्रेंस सरकार के दौर में पत्थरबाजों के खिलाफ दर्ज मामले भी हटवाए। बातचीत की प्रक्रिया बहाल करने का प्रयास किया। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यहां आकर ही नहीं दिल्ली में भी कई बार हुर्रियत नेताओं को बातचीत की पेशकश की। इससे ज्यादा क्या होना था।

पीडीपी नेता ने कहा कि यहां 18 साल बाद जंगबंदी का एलान किया गया। पिछली बार जब हुआ था तो तत्कालीन सरकार ने जंगबंदी का विरोध किया था। हमने अमन बहाली का हर कदम उठाया है। सुरक्षाबलों की कार्रवाई में होने वाली जनक्षति समाप्त हो गई, लेकिन आतंकी हिंसा नहीं थमी। कुछ दिन पहले यहां पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या कर दी गई।

हुसैन ने कहा कि हुर्रियत कांफ्रेंस को बातचीत के लिए आना चाहिए था, लेकिन वह शर्ताें का एलान करते रहे। बातचीत कश्मीरी अवाम की बेहतरी के लिए होनी है किसी के घरेलू फायदे के लिए नहीं। पीडीपी नेता ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि जिन लोगों के कारण यह पहल नाकाम हुई है, वह अपनी गलती को समझेंगे और अमन बहाली के लिए आगे आएंगे।


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