कतर से आए युवक की लापरवाही ने परिजनों को डाला संकट में
ट्रेवल हिस्ट्री छिपाने के लिए रिश्तेदारों और दोस्तों के यहां छिपता रहा स्वास्थ्य विभाग के नोटिस के बावजूद नहीं पहुंचा स्वास्थ्य केंद्र ---------
रजिया नूर, श्रीनगर
घाड़ी देश कतर में आटोमोबाइल कंपनी में काम करने वाला उत्तरी कश्मीर के बांडीपोरा जिले के अजस गांव का 27 वर्षीय एक युवक जब भी छुट्टियों पर घर आता था तो पूरा वक्त परिवार के साथ बिताता था। इस बार ऐसा नहीं हुआ। वह कतर से आने के बाद यहां अपने घर में टिककर नहीं बैठा। वह कभी अपने किसी रिश्तेदार के घर तो कभी किसी दोस्त के पास ठहरता। इस डर से कि उसे आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य केंद्र या फिर पुलिस थाने में हाजिरी देने न देना पड़े।
दुनिया में कोरोना वायरस की महामारी फैलने के दौरान यह युवक 12 मार्च को घाटी वापस आया था। तब वह बिल्कुल स्वस्थ महसूस कर रहा था। एयरपोर्ट पर उसकी स्क्रीनिंग भी हुई। इसके बाद सीधे अजस गांव में अपने घर पहुंचा। इसी बीच घाटी में कोरोना ने दस्तक दी और इससे संक्रमण के मामले उभरने लगे। इधर, प्रशासन ने एलान किया कि देश व दुनिया के अन्य हिस्सों से आए लोग अपनी ट्रेवल हिस्ट्री सार्वजनिक करें। बात उस तक भी पहुंच गई, लेकिन उसने गंभीरता से नहीं लिया। उसने अपनी ट्रेवल हिस्ट्री छिपाई। बात जिला प्रशासन के नोटिस में आई और अन्य लोगों के साथ उसके घर भी संदेश भेजकर जिला अस्पताल में जांच कराने को कहा गया। इस बार भी उसने ध्यान नहीं दिया। इस पर स्वास्थ्य विभाग की टीम उसके घर पहुंची, लेकिन वह फरार हो गया। फिर कई दिनों तक वह इधर-उधर भागता रहा। लेकिन जब बुखार के साथ खांसी और गले में खराश होने पर वह मजबूरन संबंधित स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा। इसके बाद उसे वहां से श्रीनगर के एक अस्पताल शिफ्ट कर दिया गया। आज अस्पताल के क्वारंटाइन रूम में अपनी जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है। अपने परिजनों के लिए भी बना खतरा
युवक के परिवार के अन्य सदस्य भी उसी अस्पताल में भर्ती हैं। सभी की जांच रिपोर्ट आनी है। उसके एक नजदीकी रिश्तेदार का कहना है कि उन्होंने पहले ही दिन उसे समझाया था कि वह स्वास्थ्य केंद्र में जाकर अपनी ट्रेवल हिस्ट्री की रिपोर्ट पेश करें। लेकिन उसने यह कहकर मना कर दिया कि एयरपोर्ट पर उसकी स्क्रीनिंग हो गई है। वह बिल्कुल फिट है। लेकिन अब इसका खामियाजा उठाना पड़ रहा है। अभी भी सैकड़ों लोग छिपे हैं
घाटी में वह अकेला ही ऐसा युवक नहीं है, जिसने अपनी ट्रेवल हिस्ट्री छुपाई है। कश्मीर में अभी ऐसे सैकड़ों लोग हैं जो घरों में छिपे हुए हैं। ऐसे लोग परिवार के लोगों की भी जिंदगी बर्बाद करने की जमीन बना रहे हैं। बड़ी बात यह है कि कश्मीर के क्वारंटाइन या आइसोलेशन वार्डो में जो भी भर्ती हैं, उनमें से अधिकतर की प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई ट्रेवल हिस्ट्री रही है। घाटी का पहली कोरोना संक्रमित मामला (श्रीनगर के खानयार इलाके की) व इस वायरस से मरने वाले व्यक्ति (सोपोर निवासी एवं तब्लीगी जमात से संबंधित) दोनों की ट्रेवल हिस्ट्री रही थी। संक्रमण का तत्काल पता नहीं चलता
बालरोग विशेषज्ञ तथा कश्मीर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सुहैल अहमद नायकू ने कहा कि कश्मीर में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों की सबसे बड़ी वजह लोगों द्वारा अपनी ट्रेवल हिस्ट्री को छिपाना है। यह ऐसी बीमारी नहीं है कि इसके लक्षण फौरन सामने आएं। इंसान को पता भी नहीं चलता और वह इसका शिकार हो चुका होता है। इसके लक्षण 14 दिनों में नजर आते हैं। तब तक यह वायरस परिवार या अन्य लोगों को संक्रमित कर चुका होता है।