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युवाओं को वैध पासपोर्ट पर आतंकी बनने के लिए पाकिस्तान भेज रहे अलगाववादी

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने शुक्रवार को जम्मू स्थित विशेष एनआइए अदालत में अलगाववादी नेताओं आतंकी संगठनों पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआइ की मिलीभगत साजिश का पर्दाफाश किया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Oct 2020 07:48 AM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2020 07:48 AM (IST)
युवाओं को वैध पासपोर्ट पर आतंकी बनने के लिए पाकिस्तान भेज रहे अलगाववादी

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर के युवाओं को गुमराह कर आतंकी बनाने के लिए उन्हें वैध पासपोर्ट और वीजा देकर पाकिस्तान भेजा जा रहा है। उन्हें पासपोर्ट और वीजा कश्मीर में अलगाववादी संगठनों के नेता मुहैया कराते हैं। युवाओं को घाटी में सक्रिय आतंकी पहले गुमराह करते हैं, जिसके बाद उन्हें अलगाववादी नेताओं की मदद से पाकिस्तान भेजा जाता है। वहां वह दो हफ्ते का प्रशिक्षण लेकर आतंकी बन जाते हैं। इसके बाद कुछ तो वहीं रुक जाते हैं और कुछ कश्मीर में आकर आतंकी गतिविधियों में संलिप्त हो जाते हैं। आतंकियों की भर्ती के एक मामले में दायर आरोप पत्र में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने शुक्रवार को जम्मू स्थित विशेष एनआइए अदालत में अलगाववादी नेताओं, आतंकी संगठनों, पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआइ की मिलीभगत साजिश का पर्दाफाश किया है। यह मामला करीब तीन साल पूर्व कुलगाम में दर्ज किया गया था। एनआइए ने इसकी जांच दो साल पहले वर्ष 2018 में संभाली थी। आरोपपत्र में शामिल तीन आतंकियों में जुनैद मंजूर मट्टू और उमर रशीद वानी की मौत हो चुकी है, जबकि मुनीब हमीद बट जेल में बंद है।

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एनआइए ने अदालत को बताया कि यह तीनों पाकिस्तान स्थित अपने हैंडलरों के इशारे पर स्थानीय युवकों को लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकी संगठनों में शामिल होने के लिए तैयार करते थे। जो युवक आतंक की राह पर जाने के लिए तैयार हो जाते थे, उन्हें ये अलगाववादी नेताओं की मदद से पाकिस्तान के लिए वीजा और पासपोर्ट का बंदोबस्त करते थे। लश्कर आतंकी जुनैद मंजूर मट्टू ने ही मुनीब बट को पाकिस्तान में प्रशिक्षण के लिए भेजा था। उसने मुनीब के लिए अलगाववादी नेताओं के जरिए ही वीजा और पासपोर्ट का बंदोबस्त किया था। मुनीब को पाकिस्तान में न सिर्फ हथियार चलाने प्रशिक्षण दिया गया, बल्कि उसे सोशल मीडिया के विभिन्न एप के इस्तेमाल से भी अवगत कराया गया। पाकिस्तान से लौटने के बाद वह कुलगाम में सक्रिय लश्कर के आतंकियों के अलावा पाक में बैठे लश्कर कमांडरों व आइएसआइ के लोगों के साथ भी सोशल मीडिया के जरिए लगातार संपर्क में रहा। शुरू में उसने कुलगाम में बतौर स्लीपर सेल आतंकी संगठन के लिए काम किया।

एनआइए के मुताबिक, वर्ष 2016-18 के दौरान कश्मीर में सक्रिय विभिन्न अलगाववादी संगठनों के नेताओं ने कई कश्मीरी युवकों को वैध वीजा और पासपोर्ट के आधार पर आतंक के प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भेजा है। इनमें से कई तो वहीं पर ही आतंकी कमांडरों के साथ बतौर सहायक रुक गए। कुछ वापस लौट आए। पहले स्लीपर सेल और फिर बने सक्रिय आतंकी

आरोप पत्र में कहा गया कि पाकिस्तान में इन युवकों को पांच से 15 दिन का प्रशिक्षण दिया गया। वापस लौटते ही यह युवक आतंकी संगठन में सक्रिय नहीं हुए। शुरू में इन्होंने स्लीपर सेल और ओवरग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) बनकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया। इसके बाद जब किसी क्षेत्र विशेष में कैडर की कमी हुई तो पाकिस्तानी हैंडलर के इशारे पर यह सक्रिय आतंकी बन गए। जुनैद और उमर दोनों ही कुलगाम में सक्रिय थे। जुनैद वर्ष 2017 में और उमर 2018 में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया। एनआइए ने अदालत को बताया है कि इस मामले की जांच अभी जारी है।


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