कांगड़ी से करें घर रोशन और जूतों से मोबाइल चार्ज
रजिया नूर श्रीनगर बिजली हो न हो-पर आपका घर जरूर रोशन होगा। बिजली चली जाए-फिर भी आपका मोबाइल चार्ज होगा।
रजिया नूर, श्रीनगर :
बिजली हो न हो-पर आपका घर जरूरी रोशन होगा। बिजली चली जाए-फिर भी आपका मोबाइल चार्ज होगा। यह संभव होगा, कश्मीर में चिल्लेकलां (सबसे सर्द मौसम) की भीषण ठंड में भी गर्माहट देने वाली कांगड़ी और आपके जूतों से। जी हां, इस बार कांगड़ी और जूते आपकी बिजली की समस्या को भी कुछ हद तक दूर करने वाले हैं।
पुलवामा जिले के अवंतीपोरा के चरसू के रहने वाले (20) सुहेल अहमद पर्रे, (16) अबरार अहमद पर्रे और उनके चचेरे भाई (15) मुआजिम अशरफ पर्रे ने दावा किया है कि उन्होंने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसे कांगड़ी के साथ फिट कर बिजली पैदा की जा सकती है। इसी तरह चलने या दौड़ने के दौरान इंसान के शरीर से निकलने वाली ऊर्जा को जूतों में फिट पावर बैंक में जमा कर मोबाइल फोन चार्ज किया जा सकता है।
दैनिक जागरण के साथ बातचीत में सुहेल, अबरार और मुआजिम ने कहा कि घाटी में विशेषकर सर्दियों में बिजली की काफी किल्लत रहती है। उन्होंने सोचा कि क्यों न ऐसा तरीका खोजा जाए जिसे आम लोग आसानी से इस्तेमाल कर बिजली की किल्लत से थोड़ी राहत हासिल कर सकें। हाल ही में दसवीं कक्षा पास कर चुके सुहेल ने कहा, एक दिन मेरी नजर अपने ही घर में रखी कांगड़ी पर पड़ी। मुझे ख्याल आया कि क्यों न ऐसा कोई तरीका निकालूं जिससे कांगड़ी से निकलने वाली हीट एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में तबदील कर सकूं। मैंने अपने दोनों भाइयों से बात की। दोनों को मेरा आइडिया पसंद आया और हम तीनों ने इस पर काम करना शुरू कर दिया। हमें कांगड़ी से निकलने वाली हीट एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में तबदील करने का तरीका ढूंढने में 22 दिन लगे और अंत: हम अपने इस मिशन में कामयाब रहे। ऐसे कंागड़ी से रोशन हुआ एलईडी बल्ब :
आठवीं के छात्र अबरार ने बताया कि हमने कांगड़ी में रखे दहकते कोयले के ऊपर थर्मो इलेक्टिकल कूलर रखा। इस कूलर के साथ हीट सिक (इस उपकरण के दो टर्मिनल होते हैं) के एक टर्मिनल को चार्जेबल सेल के साथ जोड़ा और हीट सिक के दूसरे टर्मिनल को मिनी इंवर्टर के साथ जोड़ा। इस इंवर्टर के साथ बिजली की तार की मदद से एलईडी ब्लब को जोड़ दिया। इन उपकरणों की मदद से हम कांगड़ी से निकलने वाली हीट एनर्जी को पहले थर्मो और उसके बाद इलेक्ट्रिकल एनर्जी में तबदील कर सके। कांगड़ी में जब तक कोयले दहकते रहेंगे तब तक बल्ब रोशन रहेगा और जब कोयले बुझ जाएंगे तब हम चार्जेबल सेल, जो कांगड़ी में लगे उपकरणों के साथ जुड़कर चार्ज हो जाते हैं, उनकी मदद से हम चार घंटे तक एक बल्ब को जला सकते हैं। मुआजिम ने कहा कि एक कांगड़ी एक एलईडी बल्ब को रोशन करने की क्षमता रखती है। जूतों से निकलने वाली ऊर्जा से सेल फोन चार्ज :
आठवीं कक्षा के छात्र अबरार ने कहा कि जब इंसान चलता या दौड़ता है तो उसके दबाव से शरीर से पीजो इलेक्ट्रिकल एनर्जी निकलती है। हमने सोचा कि अगर इसे स्टोर किया जाए तो इसे हम इस्तेमाल कर सकते हैं। हमने इसपर काम किया। इसके लिए हमने पीजो इलेक्ट्रिकल डिस्क नामक एक डिवाइस लाया। इसे जूते में फिट किया और इसके साथ पावर बैंक जोड़ दिया। इससे चलने के दौरान इंसान के शरीर से निकलने वाली पीजो इलेक्ट्रिकल एनर्जी जूते में लगे पीजो इलेक्ट्रिकल डिस्क की मदद से पावर बैंक में स्टोर करने में हम सफल रहे। इस तरीके से पावर बैंक में स्टोर की जाने वाली एनर्जी से हम जरूरत पड़ने पर आराम से अपना सेल फोन चार्ज कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल :
दक्षिणी कश्मीर के इन चचेरे भाइयों की यह तकनीक इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। साहिल तनवीर नामक एक युवक ने कहा कि मैंने इस तकनीक को ट्राय किया, वाकई इसके अच्छे परिणाम मिले।