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वादी में प्रशासनिक पाबंदियों के चलते जनजीवन ठप

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर घाटी में शुक्रवार को बंद और प्रशासनिक पाबंदियों के चलते जनजीवन लगभग ठ

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Feb 2018 03:17 AM (IST)Updated: Sat, 10 Feb 2018 03:17 AM (IST)
वादी में प्रशासनिक पाबंदियों 
के चलते जनजीवन ठप
वादी में प्रशासनिक पाबंदियों के चलते जनजीवन ठप

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर घाटी में शुक्रवार को बंद और प्रशासनिक पाबंदियों के चलते जनजीवन लगभग ठप रहा। बंद के दौरान जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) व अन्य अलगाववादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने कई इलाकों में अफजल गुरु व मकबूल बट के अवशेषों की मांग करते हुए प्रदर्शन किए। वहीं, सोपोर के कुछ हिस्सों में राष्ट्रविरोधी तत्वों व पुलिसकर्मियों के बीच हिंसक झड़पें भी हुई।

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गौरतलब है कि कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी, उदारवादी हुर्रियत प्रमुख मीरवाइज मौलवी उमर फारूक और जेकेएलएफ चेयरमैन मोहम्मद यासीन मलिक के साझा नेतृत्व वाली ज्वाइंट रजिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) के बैनर तले जमा हुए अलगाववादी संगठनों ने नौ और 11 फरवरी को कश्मीर बंद का एलान किया है। शुक्रवार को संसद हमले के साजिशकर्ता अफजल गुरु की बरसी के सिलसिले में बंद था। अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में फंासी दी गई थी।

अलगाववादियों ने लोगों से अफजल गुरु की बरसी पर बंद को कामयाब बनाने और नमाज-ए-जुम्मा के बाद हिंदोस्तान के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए गुरु व मकबूल बट के अवशेष लौटाने की मांग करने को कहा था। प्रशासन ने बंद के दौरान अलगाववादियों द्वारा हिंसा भड़काए जाने की आशंका को देखते हुए सोपोर और श्रीनगर के नौहट्टा, महराजगंज, सफाकदल, रैनावारी, खनयार, मैसुमा और करालखुड में निषेधाज्ञा लगाई थी। सोपोर के सीर जगीर स्थित गुरु के घर की तरफ आने जाने वाले कई रास्ते बंद कर दिए गए थे। मीरवाइज मौलवी उमर फारूक, सैयद अली शाह गिलानी, मोहम्मद अशरफ सहराई, इंजीनियर हिलाल वार व जावेद मीर समेत सभी प्रमुख अलगाववादियों को नजरबंद कर दिया गया। यासीन मलिक को एहतियातन ही हिरासत में ले लिया गया था।

बंद का असर सुबह से ही वादी में नजर आया। सभी दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। बैंक भी बंद रहे। सरकारी कार्यालय खुले थे, लेकिन कर्मचारियों की उपस्थिति नाममात्र रही। सार्वजनिक वाहन भी सड़कों से गायब रहे। निजी वाहन और कहीं-कही तिपहिया वाहन नजर आए। श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी वाहनों की आवाजाही अपेक्षाकृत कम रही।

सभी प्रमुख अलगाववादी नेताओं के नजरबंद होने के बावजूद बड़ी संख्या में हुर्रियत की दूसरी पंक्ति के नेता और कार्यकर्ता अफजल गुरु के घर पहुंचने में कामयाब रहे। इस दौरान हुर्रियत नेताओं ने लोगों को भी संबोधित किया और गुरु के अवशेष लौटाने की नई दिल्ली से मांग करते हुए गुरु के मिशन को जारी रखने का एलान किया।

इस दौरान सोपोर के चिंकीपोरा और ओल्ड टाउन में युवकों ने राष्ट्रविरोधी नारेबाजी करते हुए जुलूस निकालने का प्रयास किया। वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने जब रोका तो युवकों ने पथराव शुरू कर दिया। इस पर सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें खदेड़ने के लिए बल प्रयोग किया। इसके बाद वहां हिंसक झड़पों का दौर शुरू हो गया, जो देर शाम तक चला।

श्रीनगर के मैसूमा में नूर मोहम्मद कलवाल के नेतृत्व में जेकेएलएफ कार्यकर्ताओं ने अफजल गुरु और मकबूल बट के पोस्टर व बैनर लेकर जुलूस निकाला। यह लोग कश्मीर की आजादी के हक में नारेबाजी करते हुए गुरु व बट के अवशेष लौटाने की मांग कर रहे थे। जेकेएलएफ कार्यकर्ताओं का यह जुलूस मैसुमा तक ही करीब 15 मिनट तक सीमित रहा और बिना किसी हंगामे के संपन्न हो गया।


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