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जम्मू-कश्मीर में लद्दाख बना तीसरा संभाग, लेह होगा मुख्यालय

Ladakh. अब जम्मू कश्मीर में दो नहीं बल्कि तीन संभाग होंगे। जम्मू, कश्मीरी व लद्दाख संभाग। तीनों की मंडल स्तरीय प्रशासकीय इकाइयां होंगी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 04:00 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 07:28 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर में लद्दाख बना तीसरा संभाग, लेह होगा मुख्यालय
जम्मू-कश्मीर में लद्दाख बना तीसरा संभाग, लेह होगा मुख्यालय

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। राज्य प्रशासन ने शुक्रवार को एक बड़ा, एतिहासिक और प्रशासकीय फैसला लेते हुए लद्दाख को कश्मीर संभाग से अलग कर एक नए संभाग का दर्जा प्रदान कर दिया है। अब राज्य में दो नहीं बल्कि तीन संभाग होंगे। जम्मू, कश्मीरी व लद्दाख संभाग। तीनों की मंडल स्तरीय प्रशासकीय इकाइयां होंगी। लद्दाख संभाग (डिवीजन) में लेह व कारगिल जिला होंगे। एक मंडलायुक्त और आइजीपी जल्द ही लद्दाख में नियुक्त किया जाएगा। राज्य प्रशासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि लद्दाख के लिए अब प्रशासकीय व राजस्व डिवीजन भी अलग होंगे, जिनका मुख्यालय लेह में ही होगा।

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लद्दाख के लिए मंडलायुक्त लेह और महानिरीक्षक राज्य पुलिस लेह के पद भी सृजित किए गए हैं। इसके साथ ही योजना, विकास एवं निगरानी विभाग के प्रधान सचिव के नेतृत्व में एक समिति भी बनाई गई है। यह समिति नवगठित लद्दाख डिवीजन में विभिन्न विभागों के मंडल स्तर के पदों को चिन्हित करने के अलावा विभिन्न विभागों के स्टाफ की व्यवस्था, जिम्मेदारियों और कार्यालयों की जगह को भी चिन्हित करेगी।

दूरगामी साबित होगा फैसला
लद्दाख को अलग संभाग बनाए जाने के सरकारी आदेश में कहा गया है कि यह फैसला लद्दाख के लोगों की प्रशासन व विकासीय आकांक्षाओं को पूरा करने में दूरगामी साबित होगा। लद्दाख को संभाग बनाने के मुद्दे पर विभिन्न वर्गो से बातचीत हुई है। लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद लेह व करगिल ने भी इसकी मांग की है।

भीषण भौगोलिक परिस्थितियों वाला क्षेत्र है लद्दाख
बर्फीला रेगीस्तान कहलाने वाला लद्दाख प्रांत राज्य का सबसे ऊंचा पठार है, जो समुद्रतल से करीब 9800 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। लद्दाख में जनसंख्या का घनत्व बहुत ही कम है और यह अत्यंत भीषण भौगोलिक परिस्थितियों वाला क्षेत्र है। साल में लगभग छह माह तक सर्दियों में शेष दुनिया से कटे रहने वाला लद्दाख विकास की दृष्टि में देश के पिछड़े इलाकों में एक है। स्थानीय लोगों को अक्सर अपने मुद्दों और प्रशासकीय मामलों के लिए कई दुश्वारियों को सामना करना पड़ता है।

बरसों से क्षेत्र का समग्र विकास की मांग कर रहे थे लोग
लद्दाख के लोग बरसों से एक ऐसी स्थानीय प्रशासकीय व्यवस्था की मांग कर रहे थे, जो लद्दाख की विशिष्ट सांस्कृतिक, सामाजिक और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप क्षेत्र के समग्र विकास में सहायक हो तथा सभी नीतिगत मामलों में स्थानीय लोगों की भागेदारी को यकीनी बनाती हो। मौजूदा परिस्थितियों में स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद लेह व कारगिल के जिले लद्दाख प्रांत में विभिन्न कार्यकारी और विधायी शक्तियों को विकेंद्रीकृत किया गया है। जम्मू कश्मीर लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद अधिनियम 1997 के तहत ही लेह व कारगिल के लिए परिषदों का गठन किया गया है। इन परिषदों को वित्तीय, प्रशासकीय और विधायी तौर पर मजबूत बनाने के लिए ही एलएएचडीसी अधिनियम 1997 को वर्ष 2018 में संशोधित किया गया है।

राज्य प्रशासन ने दिए तर्क
राज्य प्रशासन के मुताबिक, लेह व कारगिल जिले पर आधारित लद्दाख सर्दियों के दौरान लगभग छह माह तक शेष देश से कटा रहता है और इस दौरान सिर्फ लेह में हवाई जहाज से ही पहुंचा जा सकता है और इस कारण देश के अन्य भागों से कई लोग चाहकर भी सर्दियों के दौरान लद्दाख में नहीं पहुंच पाते। लद्दाख की भीषण एवं विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियां व मुख्य क्षेत्र से इसकी दूरी इसे एक अलग संभाग का दर्जा दिए जाने योग्य है। लद्दाख मौजूदा समय में कश्मीर डिवीजन का हिस्सा है। लद्दाख की विशिष्ट भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक पहचान के मद्देनजर लद्दाख राजधानी से अपनी दूरी के मद्देनजर एक विशेष व्यवहार का हकदार है। सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ही लद्दाख के लिए एक अलग प्रशासकीय व राजस्व डिवीजन बनाने का फैसला किया गया है।


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