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जानिए कौन हैं एनएन वोहरा, जिनके कार्यकाल में चौथी बार JK में लगा गवर्नर रूल

मौजूदा गवर्नर एनएन वोहरा के कार्यकाल में यह चौथी बार है जब राज्‍य में राज्‍यपाल शासन लगा है। फिलहाल यह एक रिकाॅर्ड है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 12:11 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 10:55 PM (IST)
जानिए कौन हैं एनएन वोहरा, जिनके कार्यकाल में चौथी बार JK में लगा गवर्नर रूल
जानिए कौन हैं एनएन वोहरा, जिनके कार्यकाल में चौथी बार JK में लगा गवर्नर रूल

नई दिल्‍ली स्‍पेशल डेस्‍क। भाजपा का पीडीपी से समर्थन वापस लिए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में आठवीं बार राज्यपाल शासन लगा दिया गया है। मौजूदा गवर्नर एनएन वोहरा के कार्यकाल में यह चौथी बार है जब राज्‍य में राज्‍यपाल शासन लगा है। फिलहाल यह एक रिकाॅर्ड है। एनएन वोहरा सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एवं जम्मू और कश्मीर राज्य के वर्तमान राज्यपाल हैं। 82 वर्षीय वोहरा 28 जून 2008 से इस पद पर हैं और इन्होने यह पदभार एस के सिन्हा के परवर्ती के रूप में ग्रहण किया था। इसके साथ ही माना जा रहा है कि वोहरा को एक्‍सटेंशन मिल सकता है। उनका दूसरा कार्यकाल 25 जून को खत्‍म हो रहा है।

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वोहरा के सामने बदले ये सीएम 
वोहरा, के कार्यकाल के दौरान गुलाम नबी आजाद, उमर अब्दुल्ला, मुफ्ती मुहम्मद सईद तथा महबूबा मुफ्ती (वर्तमान) के रूप में जम्मू कश्मीर में चार मुख्यमंत्री बदल चुके हैं। वोहरा के कार्यकाल में पहली बार और जम्मू कश्मीर में पांचवीं बार राज्यपाल शासन उस समय लगा था जब 28 जून 2008 को पीडीपी ने अमरनाथ भूमि मुद्दे पर कांग्रेस से समर्थन वापस ले लिया गया और गुलाम नबी आजाद सरकार अल्पमत में आ गई।

वोहरा के समय कब-कब लगा राष्‍ट्रपति शासन
राज्यपाल एनएन वोहरा को जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बने कुछ दिन ही बीते थे। आजाद ने सात जुलाई 2008 को राज्य विधानसभा में विश्वास मत की वोटिंग से पहले ही अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। वोहरा के कार्यकाल में पहली बार 174 दिन के लिए राज्यपाल शासन लगा था। राज्यपाल शासन पांच जनवरी 2009 तक चला, जब उमर अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्य विधानसभा के चुनाव का परिणाम 23 दिसंबर 2014 को घोषित हुआ था, लेकिन किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। उमर से कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने के लिए कहा गया। वह सात जनवरी 2015 तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहे। उसके बाद वोहरा के समय में दूसरी बार राज्यपाल शासन लगा।

 

एक मार्च 2015 को मुफ्ती मुहम्मद सईद के नेतृत्व में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार बनी और उसी दिन राज्यपाल शासन समाप्त हुआ। मुफ्ती का सात जनवरी 2016 को नई दिल्ली में बीमारी के बाद निधन हो गया। उसके बाद तत्काल से सरकार का गठन नहीं हुआ और नौ जनवरी 2016 को राज्यपाल एनएन वोहरा के समय में तीसरी बार और जम्मू कश्मीर में सातवीं बार राज्यपाल शासन लगा। चार अप्रैल 2016 को महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार ने शपथ ली। अब 19 जून 2018 को भाजपा ने पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया और जम्मू कश्मीर फिर से राज्यपाल शासन की तरफ चला गया है। 

विभिन्‍न पदों पर रह चुके हैं वोहरा
वोहरा जम्मू कश्मीर के 12वें राज्यपाल हैं। 2008 में उन्होंने एसके सिन्हा की जगह ली थी। गवर्नर बनने से पहले 2003 में उन्हें केंद्र सरकार की ओर से कश्मीर में वार्ताकार नियुक्त किया गया था। वर्ष 1954 से 1994 तक नौकरशाह रहे वोहरा ने केंद्रीय गृह एवं रक्षा सचिवों के रूप में सेवा दी थी।  तत्कालीन प्रधानमंत्री आईके गुजराल के प्रधान सचिव के रूप में 1997-98 में उन्हें सेवानिवृत्ति से वापस बुला लिया गया था। 2007 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद के उदय के बाद वह पहले राज्यपाल हैं जो सेना या खुफिया विभाग से बाहर के व्यक्ति हैं। मालूम हो कि जगमोहन के बाद रॉ के पूर्व प्रमुख गिरीशचंद्र सक्सेना राज्यपाल बने थे। सक्सेना के बाद 1993 में केवी कृष्णराव (सेवानिवृत्त) ने पदभार संभाला था। सक्सेना फिर 1998 में इस पद पर आये और उसके बाद लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा ने 2003 में यह पद संभाला था। 

जब पहली बार लगा था राज्यपाल शासन
जम्मू कश्मीर में 26 मार्च 1977 को पहली बार राज्यपाल एलके झा के समय में उस समय राज्यपाल शासन लगाया गया था जब कांग्रेस ने शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। वर्ष 1975 में इंदिरा शेख समझौते के तहत शेख मुहम्मद अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने थे। उस समय 105 दिन के लिए राज्यपाल शासन लगा था।

दूसरी बार राज्यपाल शासन मार्च 1986 में उस समय लगा जब कांग्रेस ने जीए शाह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। 246 दिन का राज्यपाल शासन उस समय समाप्त हुआ जब डॉ. फारूक अब्दुल्ला का तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से समझौता हो गया।

तीसरी बार जनवरी 1990 में उस समय राज्यपाल शासन लगाया गया जब फारूक ने जगमोहन को राज्यपाल बनाने के विरोध में त्यागपत्र दे दिया। यह सबसे लंबी अवधि का राज्यपाल शासन था जो छह वर्ष 264 दिन रहा।

चौथी बार राज्यपाल शासन अक्टूबर 2002 में लगा जब किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। दो नवंबर 2002 को मुफ्ती मुहम्मद सईद के नेतृत्व में पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार बनी और पंद्रह दिन का राज्यपाल शासन समाप्त हुआ।

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