Kashmir Situation: घाटी में आइएसजेके को फिर जिंदा करने की साजिश
सेना समेत अन्य सुरक्षाबलों की रणनीति के आगे पस्त हो रहे आतंकी अब कश्मीर में इस्लामिक स्टेट ऑफ जम्मू कश्मीर (आइएसजेके) को एक बार फिर सक्रिय करने की साजिश रच रहे हैं।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। सेना समेत अन्य सुरक्षाबलों की रणनीति के आगे पस्त हो रहे आतंकी अब कश्मीर में इस्लामिक स्टेट ऑफ जम्मू कश्मीर (आइएसजेके) को एक बार फिर सक्रिय करने की साजिश रच रहे हैं। कश्मीर में लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े स्थानीय आतंकी अब आइएसजेके का हिस्सा बन रहे हैं। यही कारण है कि उसका कैडर पहले से अधिक हो रहा है।
वर्तमान में आइएसजेके की कमान दक्षिण कश्मीर के जामनगरी शोपियां निवासी आदिल अहमद वानी के पास है। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियां इससे इत्तेफाक नहीं रखती। आइएसजेके खूंखार आतंकी संगठन आइएस का समर्थन करने वाले कश्मीरी आतंकियों का संगठन है। कश्मीर में आइएस के झंडे और इसके समर्थन में रैलियां व नारेबाजी की साजिश वर्ष 2014 में शुरू हो गई थी।
हालांकि, अबु बकर अल बगदादी को अपना आका मानने वाले इस आतंकी संगठन का पहला संकेत कश्मीर में वर्ष 2016 के अंत में मिला। वर्ष 2017 में आइएस की विचारधारा के समर्थक आतंकी भी यहां नजर आने लगे हैं। शुरू में आइएसजेके (जिसने एक बार अपना नाम आइएसएचपी भी रखा) ने मारे जा चुके आतंकी कमांडर जाकिर मूसा के संगठन अंसार गजवात उल हिंद के साथ मिलकर भी अपनी गतिविधियां शुरू की थीं। कश्मीर में हिजबुल, लश्कर और जैश की आतंकी गतिविधियां कश्मीर में कम होने के कारण ही स्थानीय आतंकी आइएसजेके में जा रहे हैं।
पहले आइएसजेके के विरोध में थे हिजबुल और लश्कर :
हिजबुल और लश्कर ने वादी में इस्लामिक स्टेट ऑफ जम्मू कश्मीर (आइएसजेके) का पूरा विरोध किया। इसके आतंकियों को हिजबुल व लश्कर ने निशाना भी बनाना शुरू कर दिया। बाहर से किसी तरह की मदद न मिलने के कारण इसके पास हथियारों की कमी भी रही। बीते साल जून में हिजबुल व लश्कर के आतंकियों ने आइएसजेके के आतंकियों से न सिर्फ हथियार छीने, बल्कि दो आतंकियों को मौत के घाट भी उतारा था। इसके बाद वादी में आइएसजेके द्वारा जवाबी कार्रवाई की धमकी दिए जाने पर हिजबुल ने किसी तरह समझौता किया था।
स्थानीय स्तर पर जुटा रहे पैसा :
सूत्रों ने बताया कि इस्लामिक स्टेट ऑफ जम्मू कश्मीर में सक्रिय हो रहे आतंकी स्थानीय ही हैं। इनमें से कई लश्कर, हिजबुल और जैश-ए-मोहम्मद से हैं। यह आतंकी अपने स्तर पर ही विभिन्न स्रोतों से हथियार जुटा रहे हैं या फिर अपनी पुरानी तंजीम से हथियार लेकर आइएसजेके का हिस्सा बन रहे हैं। इनकी फं¨डग का जरिया भी अभी तक पता नहीं चल रहा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि यह स्थानीय स्तर पर ही पैसा जुटा रहे हैं।
..तो इस कारण आइएसजेके में जा रहे आतंकी
सूत्रों का कहना है कि आइएसजेके का हिस्सा बने अधिकांश आतंकी सोशल मीडिया व कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में घूमने वाले वहाबी जिहादी तत्वों के दुष्प्रचार से प्रभावित हैं। इसके अलावा जम्मू कश्मीर में जिस तरह से केंद्र द्वारा अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने के बाद पाकिस्तान, हिजबुल व लश्कर जैसे आतंकी संगठनों की गतिविधियां कम हुई हैं, उससे भी कई स्थानीय आतंकी आइएसजेके और एजीएच में गए हैं। शोपियां के रहने वाले आदिल अहमद वानी जिसे हिजबुल ने निर्वस्त्र कर पीटा भी था, वह बिना किसी बाहरी मदद के अगर जिंदा रहा है तो उसका यही मतलब है कि कश्मीर में आइएसजेके के समर्थक बड़ी संख्या में हैं।